विश्व हिंदी सम्मेलन (World Hindi Conference) लिस्ट / Vishwa Hindi Sammelan List in Hindi
विश्व हिंदी सम्मेलन (World Hindi Conference) लिस्ट से संबंधित यह लेख को लेकर आया हूं ।इस लेख के अंदर सभी सम्मेलन की जानकारी दी जाएगी और साथ ही साथ इसकी एक लिस्ट के साथ बताया जाएगा । सभी सम्मेलन कि विस्तार से व्याख्या भी इस लेख में नीचे की गई है।विश्व हिंदी सम्मेलन (World Hindi Conference) लिस्ट |
विश्व हिंदी सम्मेलन (World Hindi Conference)
विश्व हिन्दी सम्मेलन हिन्दी भाषा का सबसे बड़ा अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन है, इसमें विश्व भर से हिंदी विद्वान, हिंदी पत्रकार, भाषा विज्ञानी, साहित्यकार, विषय विशेषज्ञ और हिन्दी प्रेमी एकत्रित होते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी के प्रति एक नई जागरुकता पैदा करने, समय के साथ साथ हिन्दी की विकास यात्रा का आकलन करने, लेखक एवं पाठक दोनों के स्तर पर हिन्दी साहित्य के प्रति सरोकारों को और दृढ़ करने, जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में हिन्दी के प्रयोग को प्रोत्साहन देने तथा हिन्दी के प्रति प्रवासी भारतीयों के भावुकता के साथ एवं महत्त्वपूर्ण रिश्तों को और अधिक गहराई एवं मान्यता प्रदान करने के उद्देश्य से 1975 में विश्व हिन्दी सम्मेलनों की यह कड़ी आरम्भ की गयी थी । इस बारे में उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी जी ने पहल की थी। पहला विश्व हिन्दी सम्मेलन राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के सहयोग के साथ नागपुर में सम्पन्न हुआ था। इसमें प्रसिद्ध समाजसेवी एवं स्वतन्त्रता सेनानी विनोबा भावे ने अपना विशेष सन्देश भेजा।
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विश्व हिन्दी सम्मेलन की लिस्ट/World Hindi Conference List
सभी विश्व हिन्दी सम्मेलन की एक लिस्ट नीचे दी गई है।1) 10-11 जनवरी 1975 नागपुर (भारत)
2) 28-30 अगस्त 1976 पोर्ट लुई (मॉरिशस)
3) 28-30 अक्टूबर 1986 नई दिल्ली (भारत)
4) 2-4 दिसम्बर 1993 पोर्ट लुई (मॉरिशस)
5) 4-8 अप्रैल 1996 त्रिनिडाड-टोबेगो त्रिनिदाद एवं टोबेगो
6) 14-18 सितम्बर 1999 लंदन (यूनाइटेड किंगडम)
7) 5-9 जून 2003 पारामरिबो (सूरीनाम)
8) 13-15 जुलाई 2007 न्यूयार्क (संयुक्त राज्य)
9) 22-24 सितम्बर 2012 जोहांसबर्ग (दक्षिण अफ़्रीका)
10) 10 -12 सितम्बर 2015 भोपाल (भारत)
11) 18 -20 अगस्त 2018 पोर्ट लुई (मॉरिशस)
12) बारहवां विश्व हिन्दी सम्मेलन 2021 न्यू यॉर्क में होगा।
सभी विश्व हिन्दी सम्मेलन की अब थोड़ा विस्तार से जानते हैं
पहला विश्व हिन्दी सम्मेलन
पहला विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी से 14 तक नागपुर में (जनवरी 1975) आयोजित किया गया। सम्मेलन का आयोजन राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के तत्वावधान में हुआ। पहले विश्व हिन्दी सम्मेलन का बोधवाक्य था - वसुधैव कुटुम्बकम। इस सम्मेलन में 30 देशों के कुल 122 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस सम्मेलन से रिलेटेड राष्ट्रीय आयोजन समिति के अध्यक्ष महामहिम उपराष्ट्रपति श्री. बी. डी. जत्ती रहे थे। राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अध्यक्ष श्री मधुकर राव चौधरी जो कि उस समय के महाराष्ट्र के वित्त, नियोजन एवं अल्पबचत मंत्री थे । इस सम्मेलन के मुख्य अतिथि महमान मॉरीशस के प्रधानमन्त्री श्री शिवसागर रामगुलाम, जिनकी अध्यक्षता में मॉरीशस से आये एक प्रतिनिधिमण्डल ने भी सम्मेलन में भाग लिया था ।
सम्मेलन में पारित किये गये मन्तव्य थे-
1) संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी को आधिकारिक भाषा के रूप में स्थान दिया जाये।
2) वर्धा में विश्व हिन्दी विद्यापीठ की स्थापना हो।
3) विश्व हिन्दी सम्मेलनों को स्थायित्व प्रदान करने के लिये अत्यन्त विचारपूर्वक एक योजना बनायी जाये।
दूसरे विश्व हिन्दी सम्मेलन
इस सम्मेलन का आयोजन मॉरीशस की धरती पर हुआ। मॉरीसस की राजधानी पोर्ट लुई में 28-30 अगस्त 1976 में चले विश्व सम्मेलन के आयोजक राष्ट्रीय आयोजन समिति के अध्यक्ष, मॉरीशस के प्रधानमन्त्री डॉ. सर शिवसागर रामगुलाम थे । भारत के अतिरिक्त सम्मेलन में 17 देशों के 181 प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया । सम्मेलन में भारत से तत्कालीन केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार नियोजन मन्त्री डॉ. कर्ण सिंह के नेतृत्व में 23 सदस्यीय प्रतिनिधिमण्डल ने भाग लिया।
तीसरे विश्व हिन्दी सम्मेलन
इस हिन्दी सम्मेलन का आयोजन भारत की राजधानी दिल्ली में 28-30 अक्टूबर 1983 तक किया गया । सम्मेलन में कुल 6566 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया जिनमें विदेशों से आये 260 प्रतिनिधि भी शामिल थे। सम्मेलन के लिये बनी राष्ट्रीय आयोजन समिति के अध्यक्ष तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष डॉ. बलराम जाखड़ थे। इसमें मॉरीशस से आये प्रतिनिधिमण्डल ने भी हिस्सा लिया जिसके नेता थे श्री हरीश बुधू। सम्मेलन के आयोजन में राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा ने प्रमुख भूमिका निभायी। इस समारोह हिन्दी की सुप्रसिद्ध कवियत्री सुश्री महादेवी वर्मा समापन समारोह की मुख्य अतिथि रही थीं और इस तीसरे विश्व हिन्दी सम्मेलन के अवसर पर उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा था - (भारत के सरकारी कार्यालयों में हिन्दी के कामकाज की स्थिति उस रथ जैसी है जिसमें घोड़े आगे की बजाय पीछे जोत दिये गये हों।)
चौथे विश्व हिन्दी सम्मेलन
इस सम्मेलन का आयोजन 2-4 दिसम्बर 1996 में मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुई में इसका आयोजन किया गया था । यह यहां 17 साल बाद मॉरीशस में एक बार फिर विश्व हिन्दी सम्मेलन हुआ था। सम्मेलन में मॉरीशस के अलावा यहां लगभग 200 विदेशी प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। 1996 के इस आयोजन का उत्तरदायित्व मॉरीशस के कला, संस्कृति, अवकाश और सुधार संस्थान मन्त्री श्री मुक्तेश्वर चुनी ने सम्हाला था। उन्हें राष्ट्रीय आयोजन समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। इस समारोह में भारत से गये प्रतिनिधि मंडल के नेता श्री मधुकर राव चौधरी थे । भारत के तत्कालीन गृह राज्यमन्त्री श्री रामलाल राही प्रतिनिधि मंडल के उपनेता थे।
पाँचवें विश्व हिन्दी सम्मेलन
यह सम्मेलन का आयोजन हुआ त्रिनिदाद एवं टोबेगो की राजधानी पोर्ट ऑफ स्पेन में 4 अप्रैल से 8 अप्रैल 1996 और आयोजक संस्था थी त्रिनीदाद की हिन्दी निधि। सम्मेलन में भारत से 17 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल ने हिस्सा लिया। अन्य देशों के 257 प्रतिनिधि इसमें शामिल हुए । सम्मेलन के हिन्दी निधि के अध्यक्ष श्री चंका सीताराम प्रमुख संयोजक थे। भारत की ओर से इस सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रतिनिधि मंडल के नेता अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल श्री माता प्रसाद रहे थे । इस सम्मेलन का केन्द्रीय विषय मुख्य रूप से प्रवासी भारतीय और हिन्दी था। जिन अन्य विषयों पर इसमें ध्यान केन्द्रित किया गया, वे (हिन्दी भाषा और साहित्य का विकास, कैरेबियाई द्वीपों में हिन्दी की स्थिति एवं कप्यूटर युग में हिन्दी की उपादेयता) थे।
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छठवा विश्व हिन्दी सम्मेलन
इस सम्मेलन लन्दन का आयोजन 14 सितम्बर से 18 सितम्बर 1999 में किया गया। सम्मेलन में 21 देशों के 700 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इनमें भारत से 350 तथा ब्रिटेन से 250 प्रतिनिधि शामिल थे । यू.के. हिन्दी समिति, गीतांजलि बहुभाषी समुदाय और बर्मिंघम भारतीय भाषा संगम, यॉर्क ने मिलजुल कर इसके लिये राष्ट्रीय आयोजन समिति का गठन किया गया था । जिसके अध्यक्ष डॉ. कृष्ण कुमार और संयोजक डॉ. पद्मेश गुप्त थे। सम्मेलन का केंद्रीय मुख्य विषय हिन्दी तथा भावी पीढ़ी था । सम्मेलन में विदेश राज्य मंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधि मंडल ने भाग लिया। प्रतिनिधि मंडल के उपनेता प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. विद्यानिवास मिश्र थे । इस सम्मेलन का ऐतिहासिक महत्त्व इसलिए है क्योंकि यह हिन्दी को राजभाषा बनाये जाने के 50वें वर्ष में आयोजित किया गया। साथ ही साथ यह वर्ष सन्त कबीर की छठी जन्मशती का भी था।
सातवां विश्व हिन्दी सम्मेलन
इस हिन्दी सम्मेलन का आयोजन 5 जून से 9 जून 2003 में सुदूर सूरीनाम की राजधानी पारामारिबो में हुआ था । इक्कीसवीं सदी का पहला विश्व हिन्दी सम्मेलन था । सम्मेलन में भारत से 200 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इसमें 12 से अधिक देशों के हिन्दी विद्वान व अन्य हिन्दी सेवी सम्मिलित हुए। इस सम्मेलन के आयोजक श्री जानकीप्रसाद सिंह रहे थे। इस समरोह का केन्द्रीय विषय विश्व हिन्दी: नई शताब्दी की चुनौतियाँ था । सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले भारतीय प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व विदेश राज्य मन्त्री श्री दिग्विजय सिंह ने किया। सम्मेलन का उद्घाटन 5 जून को हुआ था।
आठवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन
आठवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन 13 जुलाई से 14 जुलाई 2007 तक न्यू यॉर्क में जो कि संयुक्त राज्य अमेरिका की राजधानी है में हुआ। इस सम्मेलन का केन्द्रीय विषय विश्व मंच पर हिन्दी था । इसका आयोजन भारत सरकार के विदेश मन्त्रालय द्वारा किया गया। न्यूयॉर्क में सम्मेलन के आयोजन से सम्बन्धित व्यवस्था अमेरिका की हिन्दी सेवी संस्थाओं के सहयोग से भारतीय विद्या भवन ने की थी। इसके लिए एक विशेष जालस्थल (वेवसाइट) का निर्माण भी किया गया। इसे प्रभासाक्षी.कॉम के समूह सम्पादक बालेन्दु शर्मा दाधीच के नेतृत्व वाले प्रकोष्ठ ने विकसित किया है।
नौवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन
नौवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन वर्ष 22 सितम्बर से 24 सितम्बर 2012 तक, दक्षिण अफ्रीका के एक शहर जोहांसबर्ग में सोमवार को खत्म हो गया । इस विश्व हिन्दी सम्मेलन में 22 देशों के 600 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था और इन समारोह में लगभग 300 भारतीय शामिल हुए थे। समारोह में तीन दिन चले मंथन के बाद कुल 12 प्रस्ताव पारित किए गए तथा विरोध के बाद एक संशोधन भी किया गया।
दसवां विश्व हिन्दी सम्मेलन
इस सम्मेलन के आयोजन की घोषणा हो चुकी है। यह 10 से 12 सितंबर तक भोपाल में हुआ। दसवें सम्मेलन का मुख्य थीम था - ' हिन्दी जगत : विस्तार एवं सम्भावनाएँ '।
दसवां विश्व हिंदी सम्मेलन दसवां विश्व हिंदी सम्मेलन भारत की सांस्कृतिक नगरी भोपाल में 10 से 12 सितबंर, 2015 को विदेश मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित किया जा रहा है। दसवां विश्व हिंदी सम्मेलन को भारत में आयोजित करने का निर्णय सितंबर 2012 में दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग शहर में आयोजित नौवें विश्व हिंदी सम्मेलन में लिया गया था।
ग्यारहवां विश्व हिन्दी सम्मीलन
ग्यारहवां विश्व हिन्दी सम्मेलन 18 से 20 अगस्त 2018 तक मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुई में आयोजित किया किया गया। इस सम्मेलन का आयोजन भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा मॉरीशस सरकार के सहयोग से होगा। इस सम्मेलन की योजना का निर्णय सितंबर 2015 में भोपाल में आयोजित दसवां विश्व हिंदी सम्मेलन में लिया गया था।
ग्यारहवां विश्व हिन्दी सम्मीलन मॉरिशस में आयोजित किया गया।
भारत के अलावा मॉरीशस ही दुनिया का एक मात्र देश है जो 11वें विश्व हिन्दी सम्मेलन के आयोजन द्वारा तीसरी बार विश्व हिन्दी सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है।
ग्यारहवां विश्व हिन्दी सम्मेलन का पहला सत्र भोपाल से मॉरीशस तक होगा जिसमें दसवां विश्व हिन्दी सम्मेलन में पारित अनुशंसाओं पर की गई कार्रवाई से संबन्धित एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी। ग्यारहवां विश्व हिन्दी सम्मेलन तकनीक और डिजिटल प्रकाशन को भी समर्पित होगा।
बारहवां विश्व हिन्दी सम्मेलन
बारहवां विश्व हिन्दी सम्मेलन 2021 न्यू यॉर्क में होगा।
दोस्तो आपके द्वारा ऐसे प्रश्न किए जाते हैं
1) पहला विश्व हिंदी सम्मेलन कब हुआ
2) पहला विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन कहां हुआ।
3) हिंदी विश्व सम्मेलन
4) बारहवां विश्व हिन्दी सम्मेलन कब और कहां होगा।
5) ग्यारहवां विश्व हिंदी सम्मेलन कब और कहां हुआ।
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