समास किसे कहते हैं । समास के भेद । प्रकार । उदाहरण
हेलो दोस्तों आज के इस लेख में मैं समास के बारे में संपूर्ण जानकारी आपको प्रदान करने जा रहा हूं। इसमें में समास किसे कहते हैं यह क्या है इसकी परिभाषा और इसके भेद भी इस लेख में शामेल है। इसके मुख्य उदाहरण को हिंदी में के साथ पूरी तरह से वर्णित किया है इस को। samas kise kahate hainसमास |
समास किसे कहते हैं । की परिभाषा
समास का शाब्दिक मतलब है संक्षिप्तीकरण। दो या दो से अधिक शब्द मिलकर एक नया एवं सार्थक शब्द की रचना की जाती हैं, यह नया शब्द समास कहलाता है।अर्थात कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक अर्थ को प्रकट किया जा सके वही समा-स होता है।
समास के नियमों से बने हुए शब्दों को सामासिक शब्द कहते हैं। सामासिक शब्द को समस्तपद भी कहते हैं। समास होने के बाद विभक्तियों के चिह्न लुप्त हो जाते हैं। samas kise kahate hain
समास के उदाहरण-
चरणकमल - कमल के सामान चरण -
रसोईघर - रसोई के लिए घर -
दुरात्मा - बुरी है जो आत्मा
घुड़सवार - घोड़े पर सवार
तुलसीदासकृत - तुलसीदास द्वारा कृत
देशभक्त - देश का भक्त
राजपुत्र - राजा का पुत्र
पूर्वपद और उत्तरपद
समास में दो पद या शब्द होते हैं। पहले पद को पूर्वपद और दूसरे पद को उत्तरपद कहते हैं।
इसके बारे में एक उदाहरण से समझते है
जैसे -राजा-रंक । राजा+रंक, इसमें राजा पूर्व पद है,और रंक उत्तर पद है।
संस्कृत में समासों का बहुत अधिक प्रयोग किया जाता है। अन्य भारतीय भाषाओं में भी समा-स उपयोग है।
समास के भेद / प्रकार जानते है
समास के छः भेद / प्रकार होते है- तत्पुरुष समास
- कर्मधारय समास
- अव्ययीभाव समास
- द्वंद्व समास
- द्विगु समास
- बहुव्रीहि समास
सभी प्रकार के समास की विस्तार में चर्चा
तत्पुरुष समास किसे कहते हैं । उदाहरण
तत्पुरुष समास में उत्तरपद प्रधान होता है एवं पूर्वपद गौण होता है। वह समास, तत्पुरुष समास कहलाता है। या जिस समास का उत्तरपद प्रधान हो और पूर्वपद गौण हो, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं।
जैसे
- धर्मग्रन्थ - धर्म का ग्रन्थ
- राजकुमार - राजा का कुमार
- तुलसीदासकृत - तुलसीदास द्वारा कृत
तत्पुरुष समास के प्रकार भी होते हैं
कर्म तत्पुरुष -इस समास में ‘को’ के लोप से कर्म समास बनता है। जैसे- ग्रंथकार -ग्रन्थ को लिखने वाला
- गिरहकट - गिरह को काटने वाला
- वाल्मिकिरचित - वाल्मीकि के द्वारा रचित
- मनचाहा - मन से चाहा
- सत्याग्रह - सत्य के लिए आग्रह
- रसोईघर - रसोई के लिए घर
- राजसभा -राजा की सभा
- गंगाजल - गंगा का जल
- पथभ्रष्ट- पथ से भ्रष्ट
- देशनिकाला - देश से निकाला
- जलसमाधि - जल में समाधि
- नगरवास - नगर में वास
कर्मधारय समास किसे कहते हैं। उदाहरण
वह समास जिसका पहला पद विशेषण तथा दूसरा पद विशेष्य होता है, अथवा एक पद उपमान एवं दूसरा उपमेय का संबंध होता है, उसे कर्मधारय समास कहते हैं।कर्मधारय समास का विग्रह करने पर दोनों पदों के बीच में ‘है जो’ या ‘के सामान’ आते हैं। जैसे:
- महादेव - महान है जो देव
- दुरात्मा - बुरी है जो आत्मा
- नीलकमल - नीला कमल
- पीतांबर - पीला अंबर
- सज्जन - सत् जन
- नरसिंह - नरों में सिंह के समान
- करकमल - कमल के सामान कर
- चंद्रमुख - चंद्र जैसा मुख
- कमलनयन - कमल के समान नयन
- देहलता - देह रूपी लता
- दहीबड़ा - दही में डूबा बड़ा
अव्ययीभाव समास किसे कहते हैं। उदाहरण
वह समास जिसका पहला पद अव्यय हो एवं उसके संयोग से समस्तपद भी अव्यय बन जाए, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। अव्ययीभाव समास में पूर्वपद प्रधान होता है।अव्यय - जिन शब्दों पर लिंग, कारक, काल आदि शब्दों से भी कोई प्रभाव न हो जो अपरिवर्तित रहें वे शब्द अव्यय कहलाते हैं।
अव्ययीभाव समास के पहले पद में अनु, आ, प्रति, यथा, भर, हर जैसे शब्द आते हैं।
जैसे
- आजन्म - जन्म से लेकर
- यथामति - मति के अनुसार
- प्रतिदिन - दिन-दिन
- यथाशक्ति - शक्ति के अनुसार आदि।
- आजीवन - जीवन-भर
- यथासामर्थ्य - सामर्थ्य के अनुसार
- यथाशक्ति - शक्ति के अनुसार
- यथाविधि- विधि के अनुसार
- यथाक्रम - क्रम के अनुसार
- भरपेट- पेट भरकर
- हररोज़ - रोज़-रोज़
- हाथोंहाथ - हाथ ही हाथ में
- रातोंरात - रात ही रात में
- प्रतिदिन - प्रत्येक दिन
- बेशक - शक के बिना
- प्रतिवर्ष - हर वर्ष
- आमरण - मरण तक
- खूबसूरत - अच्छी सूरत वाली
द्वंद्व समास किसे कहते हैं। उदाहरण
जिस समस्त पद में दोनों पद प्रधान हों एवं दोनों पदों को मिलाते समय ‘और’, ‘अथवा’, या ‘एवं ‘ आदि योजक लुप्त हो जाएँ, वह समास द्वंद्व समास कहलाता है। जैसे- अन्न-जल - अन्न और जल
- अपना-पराया - अपना और पराया
- राजा-रंक - राजा और रंक
- देश-विदेश - देश और विदेश
- माता पिता - माता और पिता
द्विगु समास किसे कहते हैं। उदाहरण
वह समास जिसका पूर्व पद संख्यावाचक (संख्या) विशेषण होता है तथा समस्तपद समाहार या समूह का बोध कराए, उसे द्विगु समास कहते हैं। जैसे-- दोपहर - दो पहरों का समाहार
- शताब्दी -सौ सालों का समूह
- चौमासा -चार मासों का समूह
- नवरात्र -नौ रात्रियों का समूह
- शताब्दी -सौ अब्दो (वर्षों) का समूह
- अठन्नी -आठ आनों का समूह
- त्रयम्बकेश्वर -तीन लोकों का ईश्वर
- पंचतंत्र -पांच तंत्रों का समाहार
- सप्ताह - सात दिनों का समूह
- नवग्रह -नौ ग्रहों का समूह
- दोपहर -दो पहरों का समाहार
- त्रिलोक -तीन लोकों का समाहार
बहुव्रीहि समास किसे कहते हैं। उदाहरण
जिस समास के समस्तपदों में से कोई भी पद प्रधान नहीं हो एवं दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद की और संकेत करते हैं। वह समास बहुव्रीहि समास कहलाता है। जैसे-- गजानन - गज से आनन वाला
- त्रिलोचन -तीन आँखों वाला
- दशानन -दस हैं आनन जिसके
- नीलकंठ - नीला है कंठ जिसका / शिव
- सुलोचना - सुंदर है लोचन जिसके
- पीतांबर - पीला है अम्बर जिसका/ श्रीकृष्ण
- लंबोदर - लंबा है उदर (पेट) जिसका/ गणेशजी
- दुरात्मा - बुरी आत्मा वाला ( दुष्ट)
- श्वेतांबर - श्वेत है जिसके अंबर / सरस्वती जी
- चतुर्भुज -चार हैं भुजाएं जिसकी
- मुरलीधर -मुरली धारण करने वाला आदि।
- दशानन - दश है आनन जिसके / रावण
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