अव्ययीभाव | तत्पुरुष | द्वन्द्व | बहुब्रीहि | कर्मधारय | द्विगु समास के उदाहरण
दोस्तो आपको में पहले ही बता दू की इस लेख में सिर्फ सभी समास के उदाहरण ही हैं। सभी समास की पूर्ण व्याख्या देखने के लिए समास। के मुख्य लेख पर जाएं।
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(1) कर्म तत्पुरुष
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अव्ययीभाव समास के उदाहरण
- समस्तपद — विग्रह
- यथारूप :— रूप के अनुसार
- यथायोग्य :— जितना योग्य हो
- घर:—घर :— हर घर/प्रत्येक घर
- यथाशीघ्र :— जितना शीघ्र हो
- श्रद्धापूर्वक :— श्रद्धा के साथ
- अनुरूप :— जैसा रूप है वैसा
- अकारण :— बिना कारण के
- हाथोँ हाथ :— हाथ ही हाथ मेँ
- निरन्ध्र :— रन्ध्र से रहित
- आमरण :— मरने तक
- आजन्म :— जन्म से लेकर
- आजीवन :— जीवन पर्यन्त
- प्रतिशत :— प्रत्येक शत (सौ) पर
- भरपेट :— पेट भरकर
- यथाशक्ति :— शक्ति के अनुसार
- प्रतिक्षण :— प्रत्येक क्षण
- भरपूर :— पूरा भरा हुआ
- अत्यन्त :— अन्त से अधिक
- रातोँरात :— रात ही रात मेँ
- अनुदिन :— दिन पर दिन
- प्रत्यक्ष :— अक्षि (आँखोँ) के सामने
- दिनोँदिन :— दिन पर दिन
- सार्थक :— अर्थ सहित
- सप्रसंग :— प्रसंग के साथ
- प्रत्युत्तर :— उत्तर के बदले उत्तर
- यथार्थ :— अर्थ के अनुसार
- आकंठ :— कंठ तक
- नीरव :— रव (ध्वनि) रहित
- बेवजह :— बिना वजह के
- प्रतिबिँब :— बिँब का बिँब
- दानार्थ :— दान के लिए
- उपकूल :— कूल के समीप की
- क्रमानुसार :— क्रम के अनुसार
- कर्मानुसार :— कर्म के अनुसार
- बेधड़क :— बिना धड़क के
- प्रतिपल :— हर पल
- नीरोग :— रोग रहित
- यथाक्रम :— जैसा क्रम है
- साफ:—साफ :— बिल्कुल स्पष्ट
- यथेच्छ :— इच्छा के अनुसार
- प्रतिवर्ष :— प्रत्येक वर्ष
- निर्विरोध :— बिना विरोध के
- यावज्जीवन :— जब तक जीवन रहे
- प्रतिहिँसा :— हिँसा के बदले हिँसा
- बीचोँ:—बीच :— बीच के बीच मेँ
- कुशलतापूर्वक :— कुशलता के साथ
- प्रतिनियुक्ति :— नियमित नियुक्ति के बदले नियुक्ति
- एकाएक :— एक के बाद एक
- अंतर्व्यथा :— मन के अंदर की व्यथा
- यथासंभव :— जहाँ तक संभव हो
- यथावत् :— जैसा था, वैसा ही
- यथास्थान :— जो स्थान निर्धारित है
- प्रत्युपकार :— उपकार के बदले किया जाने वाला उपकार
- मंद:—मंद :— मंद के बाद मंद, बहुत ही मंद
- प्रतिलिपि :— लिपि के समकक्ष लिपि
- चेहरे:—चेहरे :— हर चेहरे पर
- प्रतिदिन :— हर दिन
- प्रतिक्षण :— हर क्षण
- सशक्त :— शक्ति के साथ
- दिनभर :— पूरे दिन
- निडर :— बिना डर के
- भरसक :— शक्ति भर
- सानंद :— आनंद सहित
- प्रत्याशा :— आशा के बदले आशा
- प्रतिक्रिया :— क्रिया से प्रेरित क्रिया
- सकुशल :— कुशलता के साथ
- प्रतिध्वनि :— ध्वनि की ध्वनि
- सपरिवार :— परिवार के साथ
- दरअसल :— असल मेँ
- अनजाने :— जाने बिना
- अनुवंश :— वंश के अनुकूल
- पल:—पल :— प्रत्येक पल
- व्यर्थ :— बिना अर्थ के
- यथामति :— मति के अनुसार
- निर्विकार :— बिना विकार के
- अतिवृष्टि :— वृष्टि की अति
- नीरंध्र :— रंध्र रहित
- यथासमय :— जो समय निर्धारित है
- घड़ी:—घड़ी :— घड़ी के बाद घड़ी
- अत्युत्तम :— उत्तम से अधिक
- अनुसार :— जैसा सार है वैसा
- निर्विवाद :— बिना विवाद के
- यथेष्ट :— जितना चाहिए उतना
- अनुकरण :— करण के अनुसार करना
- अनुसरण :— सरण के बाद सरण (जाना)
- यथाविधि :— जैसी विधि निर्धारित है
- प्रतिघात :— घात के बदले घात
- अनुदान :— दान की तरह दान
- अनुगमन :— गमन के पीछे गमन
- प्रत्यारोप :— आरोप के बदले आरोप
- अभूतपूर्व :— जो पूर्व मेँ नहीँ हुआ
- आपादमस्तक :— पाद (पाँव) से लेकर मस्तक तक
- अत्याधुनिक :— आधुनिक से भी आधुनिक
- निरामिष :— बिना आमिष (माँस) के
- घर:—घर :— घर ही घर
- बेखटके :— बिना खटके
- यथासामर्थ्य :— सामर्थ्य के अनुसार
तत्पुरुष समास के उदाहरण
(1) कर्म तत्पुरुष
- स्वर्ग प्राप्त :— स्वर्ग को प्राप्त
- देशगत :— देश को गत
- आशातीत :— आशा को अतीत(से परे)
- चिड़ीमार :— चिड़ी को मारने वाला
- कठफोड़वा :— काष्ठ को फोड़ने वाला
- दिलतोड़ :— दिल को तोड़ने वाला
- जीतोड़ :— जी को तोड़ने वाला
- हस्तगत :— हाथ को गत
- जातिगत :— जाति को गया हुआ
- मुँहतोड़ :— मुँह को तोड़ने वाला
- दुःखहर :— दुःख को हरने वाला
- यशप्राप्त :— यश को प्राप्त
- पदप्राप्त :— पद को प्राप्त
- ग्रामगत :— ग्राम को गत
- जीभर :— जी को भरकर
- लाभप्रद :— लाभ को प्रदान करने वाला
- शरणागत :— शरण को आया हुआ
- रोजगारोन्मुख :— रोजगार को उन्मुख
- सर्वज्ञ :— सर्व को जानने वाला
- गगनचुम्बी :— गगन को चूमने वाला
- धरणीधर :— धरणी (पृथ्वी) को धारण करने वाला
- गिरिधर :— गिरि को धारण करने वाला
- हलधर :— हल को धारण करने वाला
- परलोकगमन :— परलोक को गमन
- चित्तचोर :— चित्त को चोरने वाला
- ख्याति प्राप्त :— ख्याति को प्राप्त
- दिनकर :— दिन को करने वाला
- जितेन्द्रिय :— इंद्रियोँ को जीतने वाला
- चक्रधर :— चक्र को धारण करने वाला
- मरणातुर :— मरने को आतुर
- कालातीत :— काल को अतीत (परे) करके
- वयप्राप्त :— वय (उम्र) को प्राप्त
- तुलसीकृत :— तुलसी द्वारा कृत
- अकालपीड़ित :— अकाल से पीड़ित
- श्रमसाध्य :— श्रम से साध्य
- सूरकृत :— सूर द्वारा कृत
- दयार्द्र :— दया से आर्द्र
- मुँहमाँगा :— मुँह से माँगा
- मदमत्त :— मद (नशे) से मत्त
- रोगातुर :— रोग से आतुर
- कष्टसाध्य :— कष्ट से साध्य
- ईश्वरदत्त :— ईश्वर द्वारा दिया गया
- रत्नजड़ित :— रत्न से जड़ित
- हस्तलिखित :— हस्त से लिखित
- अनुभव जन्य :— अनुभव से जन्य
- रेखांकित :— रेखा से अंकित
- गुरुदत्त :— गुरु द्वारा दत्त
- वाग्युद्ध :— वाक् (वाणी) से युद्ध
- क्षुधातुर :— क्षुधा से आतुर
- शल्यचिकित्सा :— शल्य (चीर-फाड़) से चिकित्सा
- आँखोँदेखा :— आँखोँ से देखा
- भुखमरा :— भूख से मरा हुआ
- कपड़छान :— कपड़े से छाना हुआ
- स्वयंसिद्ध :— स्वयं से सिद्ध
- शोकाकुल :— शोक से आकुल
- मेघाच्छन्न :— मेघ से आच्छन्न
- अश्रुपूर्ण :— अश्रु से पूर्ण
- वचनबद्ध :— वचन से बद्ध
- देशभक्ति :— देश के लिए भक्ति
- गुरुदक्षिणा :— गुरु के लिए दक्षिणा
- भूतबलि :— भूत के लिए बलि
- रसोईघर :— रसोई के लिए घर
- हथकड़ी :— हाथ के लिए कड़ी
- विद्यालय :— विद्या के लिए आलय
- विद्यामंदिर :— विद्या के लिए मंदिर
- डाक गाड़ी :— डाक के लिए गाड़ी
- सभाभवन :— सभा के लिए भवन
- प्रौढ़ शिक्षा :— प्रौढ़ोँ के लिए शिक्षा
- यज्ञशाला :— यज्ञ के लिए शाला
- शपथपत्र :— शपथ के लिए पत्र
- स्नानागार :— स्नान के लिए आगार
- कृष्णार्पण :— कृष्ण के लिए अर्पण
- युद्धभूमि :— युद्ध के लिए भूमि
- परीक्षा भवन :— परीक्षा के लिए भवन
- सत्याग्रह :— सत्य के लिए आग्रह
- छात्रावास :— छात्रोँ के लिए आवास
- युववाणी :— युवाओँ के लिए वाणी
- समाचार पत्र :— समाचार के लिए पत्र
- वाचनालय :— वाचन के लिए आलय
- चिकित्सालय :— चिकित्सा के लिए आलय
- बंदीगृह :— बंदी के लिए गृह
- बलिपशु :— बलि के लिए पशु
- पाठशाला :— पाठ के लिए शाला
- आवेदन पत्र :— आवेदन के लिए पत्र
- हवन सामग्री :— हवन के लिए सामग्री
- कारागृह :— कैदियोँ के लिए गृह
- देशनिष्कासन :— देश से निष्कासन
- दोषमुक्त :— दोष से मुक्त
- बंधनमुक्त :— बंधन से मुक्त
- जातिभ्रष्ट :— जाति से भ्रष्ट
- कर्तव्यच्युत :— कर्तव्य से च्युत
- पदमुक्त :— पद से मुक्त
- रोगमुक्त :— रोग से मुक्त
- लोकभय :— लोक से भय
- राजद्रोह :— राज से द्रोह
- जलरिक्त :— जल से रिक्त
- नरकभय :— नरक से भय
- जन्मांध :— जन्म से अंधा
- देशनिकाला :— देश से निकाला
- कामचोर :— काम से जी चुराने वाला
- जन्मरोगी :— जन्म से रोगी
- भयभीत :— भय से भीत
- पदच्युत :— पद से च्युत
- बुद्धिहीन :— बुद्धि से हीन
- धनहीन :— धन से हीन
- भाग्यहीन :— भाग्य से हीन
- धर्मविमुख :— धर्म से विमुख
- पदाक्रान्त :— पद से आक्रान्त
- कर्तव्यविमुख :— कर्तव्य से विमुख
- पथभ्रष्ट :— पथ से भ्रष्ट
- सेवामुक्त :— सेवा से मुक्त
- गुण रहित :— गुण से रहित
- देवदास :— देव का दास
- लखपति :— लाखोँ का पति (मालिक)
- करोड़पति :— करोड़ोँ का पति
- राष्ट्रपति :— राष्ट्र का पति
- सूर्योदय :— सूर्य का उदय
- दुःखसागर :— दुःख का सागर
- राजप्रासाद :— राजा का प्रासाद
- गंगाजल :— गंगा का जल
- जीवनसाथी :— जीवन का साथी
- देवमूर्ति :— देव की मूर्ति
- सेनापति :— सेना का पति
- प्रसंगानुकूल :— प्रसंग के अनुकूल
- भारतवासी :— भारत का वासी
- पराधीन :— पर के अधीन
- राजपुत्र :— राजा का पुत्र
- जगन्नाथ :— जगत् का नाथ
- मंत्रिपरिषद् :— मंत्रियोँ की परिषद्
- राजभाषा :— राज्य की (शासन) भाषा
- राष्ट्रभाषा :— राष्ट्र की भाषा
- जमीँदार :— जमीन का दार (मालिक)
- भूकंप :— भू का कम्पन
- रामचरित :— राम का चरित
- स्वाधीन :— स्व (स्वयं) के अधीन
- मधुमक्खी :— मधु की मक्खी
- भारतरत्न :— भारत का रत्न
- राजकुमार :— राजा का कुमार
- राजकुमारी :— राजा की कुमारी
- दशरथ सुत :— दशरथ का सुत
- ग्रन्थावली :— ग्रन्थोँ की अवली
- राष्ट्र का पिता
- अश्वमेध :— अश्व का मेध
- माखनचोर :— माखन का चोर
- नन्दलाल :— नन्द का लाल
- दीनानाथ :— दीनोँ का नाथ
- दीनबन्धु :— दीनोँ (गरीबोँ) का बन्धु
- कर्मयोग :— कर्म का योग
- ग्रामवासी :— ग्राम का वासी
- दयासागर :— दया का सागर
- अक्षांश :— अक्ष का अंश
- दीपावली :— दीपोँ की अवली (कतार)
- गीतांजलि :— गीतोँ की अंजलि
- कवितावली :— कविता की अवली
- पदावली :— पदोँ की अवली
- पुत्रवधू :— पुत्र की वधू
- धरतीपुत्र :— धरती का पुत्र
- वनवासी :— वन का वासी
- भूतबंगला :— भूतोँ का बंगला
- कर्माधीन :— कर्म के अधीन
- लोकनायक :— लोक का नायक
- रक्तदान :— रक्त का दान
- सत्रावसान :— सत्र का अवसान
- देशान्तर :— देश का अन्तर
- तुलादान :— तुला का दान
- कन्यादान :— कन्या का दान
- गोदान :— गौ (गाय) का दान
- ग्रामोत्थान :— ग्राम का उत्थान
- वीर कन्या :— वीर की कन्या
- राजसिंहासन :— राजा का सिँहासन
- ग्रामवास :— ग्राम मेँ वास
- आपबीती :— आप पर बीती
- शोकमग्न :— शोक मेँ मग्न
- वाक्पटु :— वाक् मेँ पटु
- धर्मरत :— धर्म मेँ रत
- धर्माँध :— धर्म मेँ अंधा
- लोककेन्द्रित :— लोक पर केन्द्रित
- काव्यनिपुण :— काव्य मेँ निपुण
- रणवीर :— रण मेँ वीर
- जलमग्न :— जल मेँ मग्न
- आत्मनिर्भर :— आत्म पर निर्भर
- तीर्थाटन :— तीर्थोँ मेँ अटन (भ्रमण)
- नरश्रेष्ठ :— नरोँ मेँ श्रेष्ठ
- गृहप्रवेश :— गृह मेँ प्रवेश
- घुड़सवार :— घोड़े पर सवार
- रणधीर :— रण मेँ धीर
- रणजीत :— रण मेँ जीतने वाला
- रणकौशल :— रण मेँ कौशल
- आत्मविश्वास :— आत्मा पर विश्वास
- वनवास :— वन मेँ वास
- लोकप्रिय :— लोक मेँ प्रिय
- दहीबड़ा :— दही मेँ डूबा हुआ बड़ा
- रेलगाड़ी :— रेल (पटरी) पर चलने वाली गाड़ी
- मुनिश्रेष्ठ :— मुनियोँ मेँ श्रेष्ठ
- नरोत्तम :— नरोँ मेँ उत्तम
- वाग्वीर :— वाक् मेँ वीर
- पर्वतारोहण :— पर्वत पर आरोहण (चढ़ना)
- कर्मनिष्ठ :— कर्म मेँ निष्ठ
- नीतिनिपुण :— नीति मेँ निपुण
- ध्यानमग्न :— ध्यान मेँ मग्न
- सिरदर्द :— सिर मेँ दर्द
- देशाटन :— देश मेँ अटन
- कविपुंगव :— कवियोँ मेँ पुंगव (श्रेष्ठ)
- पुरुषोत्तम :— पुरुषोँ मेँ उत्तम
- रसगुल्ला :— रस मेँ डूबा हुआ गुल्ला
- युधिष्ठिर :— युद्ध मेँ स्थिर रहने वाला
- सर्वोत्तम :— सर्व मेँ उत्तम
- सत्तारुढ़ :— सत्ता पर आरुढ़
- शरणागत :— शरण मेँ आया हुआ
- गजारुढ़ :— गज पर आरुढ़
- कार्यकुशल :— कार्य मेँ कुशल
- दानवीर :— दान मेँ वीर
- कर्मवीर :— कर्म मेँ वीर
- कविराज :— कवियोँ मेँ राजा
3) द्वन्द्व समास के उदाहरण
- अन्नजल :— अन्न और जल
- देश-विदेश :— देश और विदेश
- राम-लक्ष्मण :— राम और लक्ष्मण
- रात-दिन :— रात और दिन
- सीताराम :— सीता और राम
- गौरीशंकर :— गौरी और शंकर
- अड़सठ :— आठ और साठ
- पच्चीस :— पाँच और बीस
- छात्र-छात्राएँ :— छात्र और छात्राएँ
- कन्द-मूल-फल :— कन्द और मूल और फल
- गुरु-शिष्य :— गुरु और शिष्य
- खट्टामीठा :— खट्टा और मीठा
- जला-भुना :— जला और भुना
- माता-पिता :— माता और पिता
- दूधरोटी :— दूध और रोटी
- पढ़ा-लिखा :— पढ़ा और लिखा
- हरि-हर :— हरि और हर
- राधाकृष्ण :— राधा और कृष्ण
- राधेश्याम :— राधे और श्याम
- राग-द्वेष :— राग या द्वेष
- एक-दो :— एक या दो
- दस-बारह :— दस या बारह
- लाख-दो-लाख :— लाख या दो लाख
- पल-दो-पल :— पल या दो पल
- आर-पार :— आर या पार
- यश-अपयश :— यश अथवा अपयश
- हाथ-पाँव :— हाथ, पाँव आदि
- नोन-तेल :— नोन, तेल आदि
- रुपया-पैसा :— रुपया, पैसा आदि
- आहार-निद्रा :— आहार, निद्रा आदि
- जलवायु :— जल, वायु आदि
- पाप-पुण्य :— पाप या पुण्य
- उल्टा-सीधा :— उल्टा या सीधा
- कर्तव्याकर्तव्य :— कर्तव्य अथवा अकर्तव्य
- सुख-दुख :— सुख अथवा दुख
- जीवन-मरण :— जीवन अथवा मरण
- धर्माधर्म —धर्म अथवा अधर्म
- लाभ-हानि :— लाभ अथवा हानि
- कपड़े-लत्ते :— कपड़े, लत्ते आदि
- बहू-बेटी :— बहू, बेटी आदि
- पाला-पोसा :— पाला, पोसा आदि
- साग-पात :— साग, पात आदि
- काम-काज :— काम, काज आदि
- खेत-खलिहान :— खेत, खलिहान आदि
- आगा-पीछा :— आगा, पीछा आदि
- चाय-पानी :— चाय, पानी आदि
- भूल-चूक :— भूल, चूक आदि
- फल-फूल :— फल, फूल आदि
- लूट-मार :— लूट, मार आदि
- पेड़-पौधे :— पेड़, पौधे आदि
- भला-बुरा :— भला, बुरा आदि
- दाल-रोटी :— दाल, रोटी आदि
- ऊँच-नीच :— ऊँच, नीच आदि
- धन-दौलत :— धन, दौलत आदि
- खरी-खोटी :— खरी, खोटी आदि
4) बहुव्रीहि समास के उदाहरण
- लम्बोदर :— लम्बे उदर (पेट) वाला, परन्तु लम्बोदर सामास मे अन्य अर्थ होगा :— लम्बा है उदर जिसका वह(गणेश)
- अजानुबाहु :— जानुओँ (घुटनोँ) तक बाहुएँ हैँ जिसकी वह(विष्णु)
- आशुतोष :— वह जो आशु (शीघ्र) तुष्ट हो जाते हैँ(शिव)
- पंचानन :— पाँच है आनन (मुँह) जिसके वह(शिव)
- वाग्देवी :— वह जो वाक् (भाषा) की देवी है(सरस्वती)
- युधिष्ठिर :— जो युद्ध मेँ स्थिर रहता है(धर्मराज) (ज्येष्ठ पाण्डव)
- षडानन :— वह जिसके छह आनन हैँ(कार्तिकेय)
- अजातशत्रु :— नहीँ पैदा हुआ शत्रु जिसकाकोई व्यक्ति विशेष
- वज्रपाणि :— वह जिसके पाणि (हाथ) मेँ वज्र है(इन्द्र)
- मकरध्वज :— जिसके मकर का ध्वज है वह(कामदेव)
- रतिकांत :— वह जो रति का कांत (पति) है(कामदेव)
- सप्तऋषि :— वे जो सात ऋषि हैँ(सात ऋषि विशेष जिनके नाम निश्चित हैँ)
- त्रिवेणी :— तीन वेणियोँ (नदियोँ) का संगमस्थल(प्रयाग)
- पंचवटी :— पाँच वटवृक्षोँ के समूह वाला स्थान(मध्य प्रदेश मेँ स्थान विशेष)
- रामायण :— राम का अयन (आश्रय)(वाल्मीकि रचित काव्य)
- पंचामृत :— पाँच प्रकार का अमृत(दूध, दही, शक्कर, गोबर, गोमूत्र का रसायन विशेष)
- चक्रधर :— चक्र धारण करने वाला(श्रीकृष्ण)
- पतझड़ :— वह ऋतु जिसमेँ पत्ते झड़ते हैँ(बसंत)
- दीर्घबाहु :— दीर्घ हैँ बाहु जिसके(विष्णु)
- पतिव्रता :— एक पति का व्रत लेने वालीवह स्त्री)
- चारपाई :— चार पाए होँ जिसके(खाट)
- विषधर :— विष को धारण करने वाला(साँप)
- अष्टाध्यायी :— आठ अध्यायोँ वाला(पाणिनि कृत व्याकरण)
- तिरंगा :— तीन रंगो वाला(राष्ट्रध्वज)
- अंशुमाली :— अंशु है माला जिसकी(सूर्य)
- महात्मा :— महान् है आत्मा जिसकी(ऋषि)
- वक्रतुण्ड :— वक्र है तुण्ड जिसकी(गणेश)
- दिगम्बर :— दिशाएँ ही हैँ वस्त्र जिसके(शिव)
- घनश्याम :— जो घन के समान श्याम है(कृष्ण)
- प्रफुल्लकमल :— खिले हैँ कमल जिसमेँ(वह तालाब)
- एकदन्त :— एक दंत है जिसके(गणेश)
- नीलकण्ठ :— नीला है कण्ठ जिनका(शिव)
- पीताम्बर :— पीत (पीले) हैँ वस्त्र जिसके(विष्णु)
- कपीश्वर :— कपि (वानरोँ) का ईश्वर है जो(हनुमान)
- वीणापाणि :— वीणा है जिसके पाणि मे(सरस्वती)
- महावीर :— महान् है जो वीर(हनुमान व भगवान महावीर)
- लोकनायक :— लोक का नायक है जो(जयप्रकाश नारायण)
- महाकाव्य :— महान् है जो काव्य(रामायण, महाभारत आदि)
- अनंग :— वह जो बिना अंग का है(कामदेव)
- देवराज :— देवोँ का राजा है जो(इन्द्र)
- हलधर :— हल को धारण करने वाला
- शशिधर :— शशि को धारण करने वाला(शिव)
- वसुंधरा :— वसु (धन, रत्न) को धारण करती है जो(धरती)
- त्रिलोचन :— तीन हैँ लोचन (आँखेँ) जिसके(शिव)
- वज्रांग :— वज्र के समान अंग हैँ जिसके(हनुमान)
- शूलपाणि :— शूल (त्रिशूल) है पाणि मेँ जिसके(शिव)
- चतुर्भुज :— चार है भुजाएँ जिसकी(विष्णु)
- दशमुख :— दस है मुख जिसके(रावण)
- चक्रपाणि :— चक्र है जिसके पाणि मेँ ( विष्णु)
- पंचानन :— पाँच हैँ आनन जिसके(शिव)
- पद्मासना :— पद्म (कमल) है आसन जिसका(लक्ष्मी)
- मनोज :— मन से जन्म लेने वाला(कामदेव)
- गिरिधर :— गिरि को धारण करने वाला(श्रीकृष्ण)
- लम्बोदर :— लम्बा है उदर जिसका(गणेश)
- चन्द्रचूड़ :— चन्द्रमा है चूड़ (ललाट) पर जिसके(शिव)
- पुण्डरीकाक्ष :— पुण्डरीक (कमल) के समान अक्षि (आँखेँ) हैँ जिसकी(विष्णु)
- रघुनन्दन :— रघु का नन्दन है जो(राम)
- सूतपुत्र :— सूत (सारथी) का पुत्र है जो(कर्ण)
- चन्द्रमौलि :— चन्द्र है मौलि (मस्तक) पर जिसके(शिव)
- चतुरानन :— चार हैँ आनन (मुँह) जिसके(ब्रह्मा)
- अंजनिनन्दन :— अंजनि का नन्दन (पुत्र) है जो(हनुमान)
- वीणावादिनी :— वीणा बजाती है जो(सरस्वती)
- नगराज :— नग (पहाड़ोँ) का राजा है जो(हिमालय)
- वज्रदन्ती :— वज्र के समान दाँत हैँ जिसके(हाथी)
- मारुतिनंदन :— मारुति (पवन) का नंदन है जो(हनुमान)
- भूतनाथ :— भूतोँ का नाथ है जो(शिव)
- षटपद :— छह पैर है जिसके(भौँरा)
- लंकेश :— लंका का ईश (स्वामी) है जो(रावण)
- सिन्धुजा :— सिन्धु मेँ जन्मी है जो(लक्ष्मी)
- दिनकर :— दिन को करता है जो(सूर्य)
- शचिपति :— शचि का पति है जो(इन्द्र)
- वसन्तदूत :— वसन्त का दूत है जो(कोयल)
- गजानन :— गज (हाथी) जैसा मुख है जिसका(गणेश)
- पंकज :— पंक् (कीचड़) मेँ जन्म लेता है जो(कमल)
- निशाचर :— निशा (रात्रि) मेँ चर (विचरण) करता है जो(राक्षस)
- मीनकेतु :— मीन के समान केतु हैँ जिसके(विष्णु)
- नाभिज :— नाभि से जन्मा (उत्पन्न) है जो(ब्रह्मा)
- गजवदन :— गज जैसा वदन (मुख) है जिसका(गणेश)
- ब्रह्मपुत्र :— ब्रह्मा का पुत्र है जो(नारद)
5) कर्मधारय समास के उदाहरण
(1) विशेषता वाचक कर्मधारय- महाराज :— महान् है जो राजा
- महापुरुष :— महान् है जो पुरुष
- नीलाकाश :— नीला है जो आकाश
- महात्मा :— महान् है जो आत्मा
- सद्बुद्धि :— सत् है जो बुद्धि
- मंदबुद्धि :— मंद है जिसकी बुद्धि
- मंदाग्नि :— मंद है जो अग्नि
- बहुमूल्य :— बहुत है जिसका मूल्य
- महाकवि :— महान् है जो कवि
- नीलोत्पल :— नील है जो उत्पल (कमल)
- महापुरुष :— महान् है जो पुरुष
- महर्षि :— महान् है जो ऋषि
- महासंयोग :— महान् है जो संयोग
- शुभागमन :— शुभ है जो आगमन
- सज्जन :— सत् है जो जन
- पूर्णाँक :— पूर्ण है जो अंक
- भ्रष्टाचार :— भ्रष्ट है जो आचार
- शिष्टाचार :— शिष्ट है जो आचार
- अरुणाचल :— अरुण है जो अचल
- शीतोष्ण :— जो शीत है जो उष्ण है
- देवर्षि :— देव है जो ऋषि है
- अंधकूप :— अंधा है जो कूप
- कृष्ण सर्प :— कृष्ण (काला) है जो सर्प
- नीलगाय :— नीली है जो गाय
- नीलकमल :— नीला है जो कमल
- परमात्मा :— परम है जो आत्मा
- अंधविश्वास :— अंधा है जो विश्वास
- कृतार्थ :— कृत (पूर्ण) हो गया है जिसका अर्थ (उद्देश्य)
- दृढ़प्रतिज्ञ :— दृढ़ है जिसकी प्रतिज्ञा
- राजर्षि :— राजा है जो ऋषि है
- महाजन :— महान् है जो जन
- महादेव :— महान् है जो देव
- श्वेताम्बर :— श्वेत है जो अम्बर
- पीताम्बर :— पीत है जो अम्बर
- अधपका :— आधा है जो पका
- अधखिला :— आधा है जो खिला
- लाल टोपी :— लाल है जो टोपी
- महासागर :— महान् है जो सागर
- महाकाल :— महान् है जो काल
- महाद्वीप :— महान् है जो द्वीप
- कापुरुष :— कायर है जो पुरुष
- बड़भागी :— बड़ा है भाग्य जिसका
- कलमुँहा :— काला है मुँह जिसका
- सद्धर्म :— सत् है जो धर्म
- कालीमिर्च :— काली है जो मिर्च
- महाविद्यालय :— महान् है जो विद्यालय
- परमानन्द :— परम है जो आनन्द
- दुरात्मा :— दुर् (बुरी) है जो आत्मा
- भलमानुष :— भला है जो मनुष्य
- नकटा :— नाक कटा है जो
- जवाँ मर्द :— जवान है जो मर्द
- दीर्घायु :— दीर्घ है जिसकी आयु
- अधमरा :— आधा मरा हुआ
- निर्विवाद :— विवाद से निवृत्त
- महाप्रज्ञ :— महान् है जिसकी प्रज्ञा
- नलकूप :— नल से बना है जो कूप
- परकटा :— पर हैँ कटे जिसके
- अतिवृष्टि :— अति है जो वृष्टि
- महारानी :— महान् है जो रानी
- नराधम :— नर है जो अधम (पापी)
- नवदम्पत्ति :— नया है जो दम्पत्ति
- दुमकटा :— दुम है कटी जिसकी
- प्राणप्रिय :— प्रिय है जो प्राणोँ को
- अल्पसंख्यक :— अल्प हैँ जो संख्या मेँ
- पुच्छलतारा :— पूँछ है जिस तारे की
- नवागन्तुक :— नया है जो आगन्तुक
- वक्रतुण्ड :— वक्र (टेढ़ी) है जो तुण्ड
- चौसिँगा :— चार हैँ जिसके सीँग
- अधजला :— आधा है जो जला
- बाहुदण्ड :— बाहु है दण्ड समान
- चंद्रवदन :— चंद्रमा के समान वदन (मुख)
- कमलनयन :— कमल के समान नयन
- मुखारविँद :— अरविँद रूपी मुख
- मृगनयनी :— मृग के समान नयनोँ वाली
- ग्रन्थरत्न :— रत्न रूपी ग्रन्थ
- पाषाण हृदय :— पाषाण के समान हृदय
- देहलता :— देह रूपी लता
- अमृतवाणी :— अमृत रूपी वाणी
- विद्याधन :— विद्या रूपी धन
- वज्रदेह :— वज्र के समान देह
- संसार सागर :— संसार रूपी सागर
- कनकलता :— कनक के समान लता
- करकमल :— कमल रूपी कर
- मीनाक्षी :— मीन के समान आँखोँ वाली
- चन्द्रमुखी :— चन्द्रमा के समान मुख वाली
- चन्द्रमुख :— चन्द्र के समान मुख
- नरसिँह :— सिँह रूपी नर
- चरणकमल :— कमल रूपी चरण
- क्रोधाग्नि :— अग्नि के समान क्रोध
- कुसुमकोमल :— कुसुम के समान कोमल
- वचनामृत :— अमृत रूपी वचन
6) द्विगु समास के उदाहरण
- एकलिंग :— एक ही लिँग
- दोराहा :— दो राहोँ का समाहार
- तिराहा :— तीन राहोँ का समाहार
- चौराहा :— चार राहोँ का समाहार
- पंचतत्त्व :— पाँच तत्त्वोँ का समूह
- शताब्दी :— शत (सौ) अब्दोँ (वर्षोँ) का समूह
- त्रिवेणी :— तीन वेणियोँ का संगम
- त्रिवेदी :— तीन वेदोँ का ज्ञाता
- द्विवेदी :— दो वेदोँ का ज्ञाता
- चतुर्वेदी :— चार वेदोँ का ज्ञाता
- पंचवटी :— पाँच वटोँ (वृक्षोँ) का समूह
- नवरत्न :— नौ रत्नोँ का समाहार
- त्रिफला :— तीन फलोँ का समाहार
- त्रिभुवन :— तीन भुवनोँ का समाहार
- त्रिलोक :— तीन लोकोँ का समाहार
- त्रिशूल :— तीन शूलोँ का समाहार
- तिबारा :— तीन हैँ जिसके द्वार
- सप्ताह :— सात दिनोँ का समूह
- चवन्नी :— चार आनोँ का समाहार
- अठवारा :— आठवेँ दिन को लगने वाला बाजार
- पंचामृत :— पाँच अमृतोँ का समाहार
- चतुर्भुज :— चार भुजाओँ वाली आकृति
- त्रिभुज :— तीन भुजाओँ वाली आकृति
- पन्सेरी :— पाँच सेर वाला बाट
- द्विगु :— दो गायोँ का समाहार
- चौपड़ :— चार फड़ोँ का समूह
- त्रिलोकी :— तीन लोकोँ का
- सतसई :— सात सई (सौ) (पदोँ) का समूह
- एकांकी :— एक अंक है जिसका
- एकतरफा :— एक है जो तरफ
- इकलौता :— एक है जो
- चतुर्वर्ग :— चार हैँ जो वर्ग
- षट्कोण :— छः कोण वाली बंद आकृति
- दुपहिया :— दो पहियोँ वाला
- त्रिमूर्ति :— तीन मूर्तियोँ का समूह
- दशाब्दी :— दस वर्षोँ का समूह
- पंचतंत्र :— पाँच तंत्रोँ का समूह
- नवरात्र :— नौ रातोँ का समूह
- सप्तसिन्धु :— सात सिन्धुओँ का समूह
- त्रिकाल :— तीन कालोँ का समाहार
- अष्टधातु :— आठ धातुओँ का समूह
- सप्तर्षि :— सात ऋषियोँ का समूह
- दुनाली :— दो नालोँ वाली
- चौपाया :— चार पायोँ (पैरोँ) वाला
- षट्पद :— छः पैरोँ वाला
- चौमासा :— चार मासोँ का समाहार
- इकतीस :— एक व तीस का समूह
समास का मुख्य लेख यहां से देखे
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