शुद्ध वर्तनी : Shudh Vartani
शुद्ध वर्तनी |
वैसे तो हिन्दी की लिपि - नागरी लिपि सर्वथा एक वैज्ञानिक लिपि है। इसके अक्षरों का चयन कंठ व मुख से निकलने वाली ध्वनियों के आधार पर किया गया है। इस लिपि की यह विशेषता है कि हम जिस अक्षर को जिस रूप में बोलते हैं, ठीक उसी रूप में लिखते हैं। इसी प्रकार हम जैसा पाते हैं, वैसा ही बोलते हैं। परन्तु फिर भी कई कारणोंवश, कभी उच्चारण दोष के कारण , कभी अज्ञानवश और कभी - कभी उच्चारण की समानता के कारण वर्तनी सम्बन्धी अनेक अशुद्धियाँ हो जाती हैं। इनके निराकरण का । सबसे सरल उपाय निरन्तर अभ्यास है। shudh vartani
निर्देश — नीचे हमने शुद्ध वर्तनी के शब्दों की अशुद्ध एवं शुद्ध रूप बताए हैं।
उदाहरण:
अशुद्ध वर्तनी रूप — शुद्ध वर्तनी रूप
- अच्छर — अक्षर
- अत्याधिक — अत्यधिक
- अध्यन — अध्ययन
- अध्येयता — अध्येता
- अध्यात्मिक — आध्यात्मिक
- आध्यात्म — अध्यात्म
- आर्शीवाद — आशीर्वाद
- अनुगृहीत — अनुग्रहीत
- इतिहासिक — ऐतिहासिक
- ईर्षा — ईष्या
- अन्तर्धान — अंतध्यान
- अर्ध — अर्द्ध
- अस्मर्थ — असमर्थ
- आंख — आँख
- आदर्णीय — आदरणीय
- आधीन — अधीन
- आरोग्यता — आरोग्य
- कनिष्ट — कनिष्ठ शुद्ध वर्तनी
- कृतन्य — कृतघ्न
- कैलास — कैलाश
- क्षात्र — छात्र
- खन्ड — खण्ड
- गुरू — गुरु
- गरिष्ट — गरिष्ठ
- गृहण — ग्रहण
- घनिष्ट — घनिष्ठ
- घवड़ाहट — घबराहट
- चाहिऐ — चाहिए
- उज्वल — उज्ज्वल
- उपरोक्त — उपर्युक्त
- एकत्रित — एकत्र
- उद्योगीकरण — औद्योगीकरण
- तलाब — तालाब
- दृष्य — दृश्य
- द्वारिका — द्वारका
- नर्क — नरक
- निरोग — नीरोग
- चिन्ह — चिह्न
- चेष्ठा — चेष्टा
- जागृत — जाग्रत
- जाग्रति — जागृति
- तत्कालिक — तात्कालिक
- तदोपरान्त — तदुपरान्त
- टैन्ट — टैण्ट
- पूज्यनीय — पूज्य, पूजनीय
- पुन्य — पुण्य
- प्रज्जवलित — प्रज्वलित
- प्रथक — पृथक
- बृज — ब्रज
- नृसंश — नृशंस
- पन्डित — पण्डित, पंडित
- मैथली — मैथिली
- विकाश — विकास
- व्योपार — व्यापार
- शिफारिश — सिफारिश
- शुद्धताई — शुद्धता
- श्राप — शाप
- सम्वत — संवत्
- हरिण — हिरन
- हिन्सा — हिंसा
शुद्ध वर्तनी (shudh vartani) हिंदी व्याकरण से संबंधित यह लेख आपको कैसा लगा। आप हमारे अन्य लेख भी पढ़े।
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