दोस्तों आज का लेख पूरी तरह से गुरुत्वाकर्षण बल पर ही आधारित है इसके अंदर गुरुत्वाकर्षण क्या है। और यह कैसे काम करता है। गुरुत्वीय त्वरण तथा गुरुत्वाकर्षण की विशेषताओं के साथ-साथ बहुत सारे इसके इसके उदाहरणों के साथ इस लेख को पूरी संरचनात्मक रूप से बनाया गया है।
हमारी पृथ्वी पर किसी वस्तु। या पिंड को ऊपर की ओर फेंकते है तो वह वस्तु या पिंड नीचे की और क्यों आते है। अपने ऐसा तो अवश्य देखा होगा। इसका कारण गुरुत्वाकर्षण है जो वस्तु या पिंड को नीचे खींच लेता है। तो आखिर यह गुरुत्वाकर्षण होता क्या है? आपको यह अवश्य जानना चाहिए। तो आज का यह लेख इसी बारे में है। गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational force) in hindi
न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियम
"किन्हीं दो पिंडो के बीच कार्य करने वाला आकर्षण बल पिंडो के द्रव्यमानों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है"
न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के अनुसार "दो पिंडो के बीच एक आकर्षण बल कार्य करता है। यदि इनमें से एक पिंड पृथ्वी हो तो इस आकर्षण बल को गुरुत्व कहते हैं। अर्थात् गुरुत्व वह आकर्षण बल है, जिससे पृथ्वी किसी वस्तु को अपने केंद्र की ओर खींचती है या आकर्षित करती है। इस बल के कारण जो त्वरण उत्पन्न होती है, उसे गुरुत्व जनित त्वरण (g) कहते हैं।
जिसे g से प्रदर्शित करते है। गुरुत्व जनित त्वरण (g) वस्तु के रूप, आकार, द्रव्यमान आदि पर चीजों पर निर्भर नहीं करता है।और g का मान 9.8 m/s^² होता है।
इसे g से प्रदर्शित करते हैं। इसका मात्रक मीटर/सेकेंड या न्यूटन/कि.ग्रा. है।
g के मान में विभिन्न स्थानों पर परिवर्तन
और हा:-यदि पृथ्वी अपनी वर्तमान कोणीय चाल से 17 गुनी अधिक चाल से घूमने लगे, तो भूमध्य रेखा पर रखी हुई वस्तु का भार शून्य हो जाएगा ।
गुरुत्वाकर्षण बल के विशेषताय और गुण
गुरुत्वाकर्षण बल के उदाहरण
गुरुत्वाकर्षण बल |
हमारी पृथ्वी पर किसी वस्तु। या पिंड को ऊपर की ओर फेंकते है तो वह वस्तु या पिंड नीचे की और क्यों आते है। अपने ऐसा तो अवश्य देखा होगा। इसका कारण गुरुत्वाकर्षण है जो वस्तु या पिंड को नीचे खींच लेता है। तो आखिर यह गुरुत्वाकर्षण होता क्या है? आपको यह अवश्य जानना चाहिए। तो आज का यह लेख इसी बारे में है। गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational force) in hindi
{**यह भी पढ़ें**}
- गुरुतवाकर्षण बल
- परावर्तन और अपवर्तन
- ससंजन और आसंजन क्या है
- धातु किसे कहते हैं
- धातु के रासायनिक और भौतिक गुण
- प्रोटीन क्या है इसकी परिभाषा
- वसा किसे कहते हैं इसके प्रमुख प्रकार
- कार्बोहाइड्रेट क्या है इसके प्रकार
- परासरण दाब किसे कहते हैं
- परावर्तन और अपवर्तन
गुरुत्वाकर्षण क्या है?
कोई दो पदार्थो के एक दूसरे कि ओर आकर्षण ही गुरुत्वाकर्षण बल के कारण होता है।न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियम
"किन्हीं दो पिंडो के बीच कार्य करने वाला आकर्षण बल पिंडो के द्रव्यमानों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है"
यह भी पढ़ें
- उष्मागतिकी का प्रथम नियम
- न्यूटन का गति नियम
- उष्मागतिकी का द्वितीय नियम
- ओम का नियम
- ऊर्जा संरक्षण का नियम
- कार्य ऊर्जा और शक्ति तीनों विस्तार से
न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के अनुसार "दो पिंडो के बीच एक आकर्षण बल कार्य करता है। यदि इनमें से एक पिंड पृथ्वी हो तो इस आकर्षण बल को गुरुत्व कहते हैं। अर्थात् गुरुत्व वह आकर्षण बल है, जिससे पृथ्वी किसी वस्तु को अपने केंद्र की ओर खींचती है या आकर्षित करती है। इस बल के कारण जो त्वरण उत्पन्न होती है, उसे गुरुत्व जनित त्वरण (g) कहते हैं।
जिसे g से प्रदर्शित करते है। गुरुत्व जनित त्वरण (g) वस्तु के रूप, आकार, द्रव्यमान आदि पर चीजों पर निर्भर नहीं करता है।और g का मान 9.8 m/s^² होता है।
इसे g से प्रदर्शित करते हैं। इसका मात्रक मीटर/सेकेंड या न्यूटन/कि.ग्रा. है।
g के मान में विभिन्न स्थानों पर परिवर्तन
- पृथ्वी की सतह से ऊपर या नीचे जाने पर g का मान घटता है।
- "g" का मान न्यूनतम विषुवत रेखा पर होता है।
- "g" का मान महत्तम पृथ्वी के ध्रुव पर होता है।
- पृथ्वी की घूर्णन गति घटने पर "g" का मान बढ़ जाता है।
- पृथ्वी की घूर्णन गति बढ़ने पर "g" का मान कम होता जाता है।गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational force) in hindi
और हा:-यदि पृथ्वी अपनी वर्तमान कोणीय चाल से 17 गुनी अधिक चाल से घूमने लगे, तो भूमध्य रेखा पर रखी हुई वस्तु का भार शून्य हो जाएगा ।
{**यह भी पढ़ें**}
- गुरुतवाकर्षण बल
- परावर्तन और अपवर्तन
- ससंजन और आसंजन क्या है
- धातु किसे कहते हैं
- धातु के रासायनिक और भौतिक गुण
- प्रोटीन क्या है इसकी परिभाषा
- वसा किसे कहते हैं इसके प्रमुख प्रकार
- कार्बोहाइड्रेट क्या है इसके प्रकार
- परासरण दाब किसे कहते हैं
- परावर्तन और अपवर्तन
- यदि लिफ्ट ऊपर की ओर जाती है तो लिफ्ट में स्थित पिंड का भार बढ़ा हुआ प्रतीत होता है। यदि लिफ्ट एक समान वेग से ऊपर या नीचे गति करती है। तो लिफ्ट में स्थित पिंड के भार में कोई परिवर्तन प्रतीत नही होता।
- यदि लिफ्ट नीचे की ओर जाती है तो लिफ्ट में स्थित पिंड का भार घटा हुआ प्रतीत होता है।
- यदि नीचे उतरते समय लिफ्ट का त्वरण गुरुत्वीय त्वरण से अधिक हो तो लिफ्ट में स्थित पिंड उसकी फर्श से उठकर उसकी छत से जा लगेगा।
- यदि नीचे उतरते समय लिफ्ट की डोरी टूट जाए तो वह मुक्त पिंड की भांति नीचे गिरती है। ऐसी स्थिति में लिफ्ट में स्थित पिंड का भार शून्य होता है। यही भारहीनता की स्थति है।
गुरुत्वाकर्षण बल के विशेषताय और गुण
- यह सार्वत्रिक आकर्षण बल होता है।
- ब्रह्माण्ड में उपस्थित प्रत्येक दो पिंडो के मध्य लगता है।
- इसका मान दोनों पिंडो के द्रव्यमानों के गुणनफल के समानुपाती एवं दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
- गुरुत्वाकर्षण बल हमेशा आकर्षण प्रकृति का होता है।
- गुरुत्वाकर्षण बल दोनों पिंडो के मध्य उपस्थित माध्यम पर निर्भर नहीं करता है।
- यह बल प्रकृति में पाए जाने वाले सभी बलों से दुर्बल होता है।
- दो इलेक्ट्रान के मध्य पाए जाने वाले विद्युत बल का मान गुरुत्वाकर्षण बल से लगभग 1043 गुना होता है।
- इस बात से हम अनुमान लगा सकते है कि गुरुत्वाकर्षण बल का मान कितना कम होता है।
- यह बल बहुत कम दूरी पर स्थित पिंडो के मध्य भी कार्य करता है।
- हजारो किलोमीटर दूर स्थित पिंडो के मध्य भी कार्य करता है।
- दो पिंडो के मध्य लगने वाला यह बल अन्य पिण्डो की उपस्थिति या अनुपस्थिति से अप्रभावित रहता है।
- यह बल दोनों पिंडो को मिलाने वाली रेखा के अनुदिश कार्य करता है।
- यह एक केन्द्रीय बल होता है।
- इस बल के द्वारा किया गया कार्य का मान पथ या मार्ग पर निर्भर नहीं करता है।
- एक पूर्ण चक्कर में में किया गया कार्य का मान शून्य होता है।
- गुरुत्वाकर्षण बल संरक्षी बल होता है।
- इन बलों पर अध्यारोपण का सिद्धांत लागू होता है।
- किसी निकाय में उपस्थित सभी बलों का योग , अलग-अलग बलों के योग के बराबर होता है।
गुरुत्वाकर्षण बल के उदाहरण
- गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही चन्द्रमा , पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगता रहता है।
- अभिकेंद्रिय बल का मान दोनों में उपस्थित आकर्षण बल द्वारा प्राप्त होता है।
- ग्रहों या उपग्रहों को उनकी कक्षा में चक्कर लगाने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल , सूर्य के बिच कार्यरत गुरुत्वाकर्षण बल के द्वारा प्राप्त होता है।
- तारों के टूटने तथा बनने, आकाश गंगा के निर्माण में भी गुरुत्वाकर्षण बल का बहुत अधिक योगदान है।
यह भी पढ़ें
- उष्मागतिकी का प्रथम नियम
- न्यूटन का गति नियम
- उष्मागतिकी का द्वितीय नियम
- ओम का नियम
- ऊर्जा संरक्षण का नियम
- कार्य ऊर्जा और शक्ति तीनों विस्तार से
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.