ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम|ऊष्मागतिकी का द्वितीय नियम|ऊष्मा गतिकी का तृतीय नियम क्या है|परिभाषा

ऊष्मागतिकी (Thermodynamics In Hindi):-ऊष्मागतिकी के नियम

ऊष्मागतिकी(Thermodynamics) भौतिकी की शाखा है जिसके अंतर्गत ऊष्मीय ऊर्जा का यांत्रिक ऊर्जा रासायनिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा आदि के साथ संबंध के बारे में पूरा अध्ययन किया जाता है यह ऊष्मागतिकी है


ऊष्मागतिकी का पहला नियम(First law of thermodynamics)

इस नियम को ऊर्जा संरक्षण का नियम(Law of energy conservation)भी कहते है ।इसके अनुसार किसी निकाय को दी जाने वाली ऊष्मा दो प्रकार के कार्यों में खत्म होती है।
ऊष्मागतिकी (Thermodynamics In Hindi)
ऊष्मागतिकी (Thermodynamics In Hindi)

(1)निकाय की आंतरिक ऊर्जा(internal energy) वृद्धि करने में ,जिसे निकाय का ताप बड़ता है।
(2)बाह्य कार्य करने में
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यह नियम मुख्य रूप से ऊर्जा संरक्षण(Energy Conservation) को दर्शाता है,परन्तु व्यवहार में देखे तो कार्य को तो ऊष्मा में पूर्णत: बदला जा सकता है,किन्तु ऊष्मा को पूर्णत: कार्य नहीं बदला जा सकता हैं।प्रथम नियम के आधार पर इसे नहीं समझाया जा सकता है।

ऊष्मा गतिकी का दूसरा नियम(Second law of thermodynamics)

इस नियम को  उष्क्रम माप(Heat measurement) का नियम भी कहते हैं । उष्मागतीकी के प्रथम नियम ऊष्मा प्रवाहित होने की दिशा नहीं बताता ।उष्मगतिकी का द्वितीय नियम ऊष्मा के प्रवाहित होने की दिशा को व्यक्त करता है।उष्नगतिकी के द्वितीय नियम दो कथनों के रूप में व्यक्त किया जाता है:-

1)केल्विन प्लांक का कथन(Calvin Plank's statement) :- किसी भी ऐसे ऊष्मा इंजन(Heat engine) का निर्माण असंभव है,जो कि चक्रीय प्रक्रम में किसी स्त्रोत से ऊष्मा लेकर ,कार्यकारी पदार्थ में बिना कुछ परिवर्तन किए उसे पूर्णत: कार्य में बदल सके ।

2)कलासियस का कथन(Qalasius's statement) :- ऐसे किसी भी स्वचालित मशीन(Automatic machine) का निर्माण असंभव है,जो चक्रीय प्रक्रम में बिना किसी बाह्य ऊर्जा स्त्रोत की सहायता के ऊष्मा को ठंडी वस्तु से गरम वस्तु तक पहुंच सके ।
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इसमें मैंने ऊष्मा गतिकी के प्रथम नियम और द्वितीय नियम को अच्छे से बताने की पूरी कोशिश की है ।यदि आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो कृपया इसे अपने दोस्तों में शेयर करें ,और आपको किस तरह की पोस्ट चाहिए उस बारे में हमें कमेंट करके अवश्य बताएं ता,हम आपके सुझावों को अपनी पोस्ट पर लिख सके और हमें आपका मार्गदर्शन भी प्राप्त हो सके।