ऊष्मागतिकी (Thermodynamics In Hindi):-ऊष्मागतिकी के नियम
ऊष्मागतिकी का पहला नियम(First law of thermodynamics)
इस नियम को ऊर्जा संरक्षण का नियम(Law of energy conservation)भी कहते है ।इसके अनुसार किसी निकाय को दी जाने वाली ऊष्मा दो प्रकार के कार्यों में खत्म होती है।ऊष्मागतिकी (Thermodynamics In Hindi) |
(1)निकाय की आंतरिक ऊर्जा(internal energy) वृद्धि करने में ,जिसे निकाय का ताप बड़ता है।
(2)बाह्य कार्य करने में
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ऊष्मा गतिकी का दूसरा नियम(Second law of thermodynamics)
इस नियम को उष्क्रम माप(Heat measurement) का नियम भी कहते हैं । उष्मागतीकी के प्रथम नियम ऊष्मा प्रवाहित होने की दिशा नहीं बताता ।उष्मगतिकी का द्वितीय नियम ऊष्मा के प्रवाहित होने की दिशा को व्यक्त करता है।उष्नगतिकी के द्वितीय नियम दो कथनों के रूप में व्यक्त किया जाता है:-1)केल्विन प्लांक का कथन(Calvin Plank's statement) :- किसी भी ऐसे ऊष्मा इंजन(Heat engine) का निर्माण असंभव है,जो कि चक्रीय प्रक्रम में किसी स्त्रोत से ऊष्मा लेकर ,कार्यकारी पदार्थ में बिना कुछ परिवर्तन किए उसे पूर्णत: कार्य में बदल सके ।
2)कलासियस का कथन(Qalasius's statement) :- ऐसे किसी भी स्वचालित मशीन(Automatic machine) का निर्माण असंभव है,जो चक्रीय प्रक्रम में बिना किसी बाह्य ऊर्जा स्त्रोत की सहायता के ऊष्मा को ठंडी वस्तु से गरम वस्तु तक पहुंच सके ।
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