जैव विकास क्या है । परिभाषा । सिद्धांत - jaiv vikas

जैव विकास क्या है?  परिभाषा, सिद्धांत

What is Bio-development?  What is Bio-development?  Definition, theory, meaning
कुछ तो हम पढ़ेंगे जो विकास के बारे में जो की जीव विज्ञान का चैप्टर है तो चलिए शुरू करते हैं.

जैव विकास 

प्रारंभिक निम्न कोटि के जीव से क्रमानुसार अधिक से अधिक जीव की उत्त्पति को जैव विकास कहा जाता है।
अर्थात  jaiv vikas
निम्न छोटे छोटे जीवों का ज्यादा से ज्यादा जीव की उत्त्पति करना जैव विकास कहलाता है।
जैव विकास क्या है? परिभाषा, सिद्धांत, अर्थ
जैव विकास क्या है? परिभाषा, सिद्धांत, अर्थ

जैव विकास का सिद्धांत

1 )लैमार्कवाद :-.   यह सिद्धांत लैमार्क ने अपनी पुस्तक फिलोसोफी जूलाजिक में प्रकाशित किया। लेमार्क के अनुसार अधिक उपयोग होने वाले अंगों का विकास अधिक तथा कम उपयोग होने वाले अंगों का विकास कम होता है जैसे जिराफ की गर्दन का लंबा होना  jaiv vikas

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2 )डार्विनवाद :-जो विकास के संबंध में डार्विनवाद सर्वाधिक प्रसिद्ध है डार्विन के अनुसार सभी जीवो में प्रचुर संतानोत्पत्ति की क्षमता होती है अत्यधिक आबादी के कारण प्रत्येक जीवो को अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु दूसरों जीवो से जीवन पर्याप्त संघर्ष करना पड़ता है चार्ल्स डार्विन इसके कारण होता है।

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3)नव डार्विनवाद:- डार्विन के पश्चात इसके समर्थकों ने इसे जी विवाद के ढांचे में डाल दिया जिसे नव डार्विनवाद कहा जाता है इनके अनुसार किसी जाति पर कोई कारकों का प्रभाव पड़ता है इससे नो डार्विन का उदय होता है

4) उत्परिवर्तनवाद :- यह सिद्धांत को हुंगो डी ब्रिज द्वारा प्रतिपादित किया गया सभी जीवो में उत्परिवर्तन की प्रकृति होती है
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एवोल्यूशन तीन मुख्य सिद्धांतों पर आधारित है-
1)सूक्ष्म विकास
2)प्राकृतिक चयन
3)प्रजातिकरण jaiv vikas

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इनके बारे में जानेंगे

1. सूक्ष्म विकास (micro-evolution):-किसी जीवित प्राणी के जीन्स में परिवर्तन आना और फिर उन परिवर्तनों का जमा होने और दूसरी पीढ़ी में समावेश होने को सूक्ष्म विकास कहते हैं।

ये परिवर्तन अनियमित तरीकों से प्रजनन प्रकिया में गलतियों के कारण हो सकते हैं। प्रकृति में छेड़ छाड़ जैसे विकिरण या रासायनिक रिसाव के कारण भी म्युटेशन हो सकता है।
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उदाहरण :मान लीजिए कि कुछ नीले रंग के कीड़ों में म्युटेशन के कारण उनका रंग पृथ्वी जैसा हरा और भूरा हो गया। इस रंग की वजह से उनका जानवरों और पक्षियों से बचने की संभावना बढ़ जाती है। और उनकी जनसंख्या बढ़ती जाती है। और फिर कई साल बाद, नीले रंग के कीड़े समाप्त हो जाते हैं और बचते हैं तो केवल नए तरह के कीड़े। इसी तरह मनुष्यों में भी म्युटेशन से विकास होता है।

2. प्राकृतिक चयन (natural selection)

इसमें प्राणियों का प्रकृति द्वारा चयन होता है। यह चयन सबसे स्वस्थ और बलशाली प्राणी के द्वारा, या फिर, क्रमरहित भी हो सकता है।
जैसे  दो अलग अलग प्रकार के कीड़ों की बस्ती आस पास रहती है। एक दिन एक हाथी आया और एक बस्ती की कुचल कर चला गया। तो अब, नेचुरल सेल्वेक्शन के द्वारा केवल एक ही तरह के कीड़े बचे।

3. प्रजातिकरण (speciation)

किसी एक प्रजाति का उस सीमा तक म्युटेशन हो जाना की अब वह अपनी वास्तविक प्रजाति के साथ प्रजनन करने में सक्षम न हो तो वह म्युटेशन वाली प्रजाति नई प्रजाति ही बन जाती। इसे प्रजातिकरण कहते हैं।

मानव विकास

एवोल्यूशन एक बहुत ही धीमी प्रक्रिया है। इसे होने में लाखों करोड़ों साल बीत जाते हैं। इसे समझना बहुत जटिल है। प्रचलित यह है कि मनुष्य बंदरो में से विकसित हुऐ ।जिसका प्रमाण यह है कि मनुष्यों और बंदरों के जीन्स बहुत हमसे मिलते है। परंतु यह बात बिल्कुल गलत है। हम बंदरों चिंपांज़ी के दूर के रिश्तेदार तो है लेकिन वो हमारे पूर्वज नहीं।

अनुवांशिक:-

विलक्षण जो पीढ़ी दर पीढ़ी संचालित होते हैं अनुवांशिक लक्षण कहलाते हैं इनके कारणों के अध्ययन को अनुवांशिकी कहते हैं अनुवांशिकी के बारे में सर्वप्रथम ग्रेगर जोहान मेंडल ने दी इन्हें अनुवांशिकी का जनक कहा जाता है मेंडल ने इसका प्रयोग सर्वप्रथम मटर के पौधे पर किया था। jaiv vikas

परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण बिंदु

1)W वाटसन ने सर्वप्रथम जेनेटिक्स का उपयोग किया

2)जोहानसन ने जिनका प्रयोग किया

3)बाल हटाने गुणसूत्र का नामकरण किया

4)क्षेत्र में पाए जाने वाले पदार्थ को जिनोम कहते हैं

5)मनुष्य के शरीर में 20 अमीनो एसिड पाए जाते हैं

6)थरियोफ्रेस्ट्स को वनस्पति विज्ञान का जनक कहा जाता है

7)जाइलम :-पौधों के सभी भागों में जल की पूर्ति करता है। जल को जड़ों से पौधों के विभिन्न भागों तक पहुंचाता है. jaiv vikas

8)फ्लॉयाम:- पोधों के सभी भागों के लिए भोजन की पूर्ति करता है। अंखियों में बने हुए भोजन को पौधों के विभिन्न भागों तक जड़ों तक पहुंचाने का कार्य करता है

प्रकाश संश्लेषण

पौधों में जल प्रकाश पर्णहरित तथा कार्बन डाइऑक्साइड की उपस्थिति में कार्बोहाइड्रेट्स का निर्माण होता है यह प्रकाश संश्लेषण कहलाता है स्थलीय पौधे वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं और जलीय पौधे जल्द में गली कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं। प्रकाश संश्लेषण की लाल रंग के प्रकाश में सबसे अधिक एवं बैगनी रंग के प्रकाश में सबसे कम होती ह


पादप के हार्मोन्स

आक्सिंस :-इसकी खोज 1880  में डार्विन ने की थी

जिबरेलिंस :-इसकी खोज कुरोसवा ने की

साइटों कैनिन:- इसकी कोज मिलार ने की थी

एथिलीन:- इसका उपयोग फलों को पकाने वाले हारमोंस के रूप में किया जाता है इसकी खोज वर्ग ने की

 विषाणु जनित रोग
तम्बाकू का मोजेक रोग ,पोटेटो मोजेक,बंकी टॉप आफ वनाना ,रंग परिवर्तन

जीवाणु जनित रोग
आलू का शैथिल रोग ,ब्लेक आर्म ऑफ़ कोटन,धान का आंगमारी रोग ,


पारिस्थितिकी

जीव विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत जीव धारियों और उनके वातावरण के पारस्परिक संबंधों का अध्ययन किया जाता है उसे पारिस्थितिकी करते हैं

सबसे अधिक स्थाई पारिस्थितिक तंत्र महासागर है

पारिस्थितिक तंत्र शब्द का उपयोग सर्वप्रथम टेसले नामक वैज्ञानिक ने किया था

प्रत्येक पारिस्थितिकी तंत्र 2 घटकों से मिलकर बना होता है

पार आयुक्त जल पीने से मिनीमाता रोग हो जाता है

नदियों में जल प्रदूषण को मापने के अक्सीजन थी घुली हुई मात्रा से करते हैं

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Dosto aapko jaiv vikas yeah post kaise lagi comment kar kar Hamein avashyak tyane dhanyavad . 


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