भारतीय संविधान(Indian Constitution) Top GK Part 15 प्रश्न In Hindi 5000+ Questions
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1401) अनु. 13 के अनुसार - मौलिक अधिकार न्यायलय द्वारा प्रवर्तनीय है तथा इनका उल्लंघन करने वाले किसी भी कानून को न्यायालय शून्य घोषित कर सकता है।1402)मूल संविधान में 7 मौलिक अधिकार दिये गये थे लेकिन 1978 में 44वे संविधान संशोधन द्वारा अनु. 31 में वर्णित सम्पत्ति के अधिकार को समाप्त करके उसे अनु. 300 क के तहत कानूनी अधिकार घोषित किया गया है ।
1403) वर्तमान में 6 मौलिक अधिकार हैं !
1404) समानता का अधिकार (अनु. 14 से 18 तक) -
1405 )अनु. 14 के अनुसार सभी व्यक्तियों को राज्य के द्वारा कानून के समक्ष समानता और कानून का समान संरक्षण प्राप्त होगा ।
1406)अनु. 15 के अनुसार- राज्य किसी भी नागरिक के विरूद्ध धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग तथा जन्म स्थान आदि के आधार पर कोई विभेद नहीं करेगा।
1407 )बालकों और स्त्रियों की स्वाभाविक प्रवृत्ति को ध्यान में रखकर उनके संरक्षण के लिये उपबन्ध बनाने का अधिकार अनु. 15(3) के तहत राज्य को प्राप्त है।
1408 )अनु. 15(4) के अनुसार राज्य सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछडे और SC, ST के लिए विशेष प्रावधान कर सकता है।
1409 )अनु. 16 के अनुसार देश के समस्त नागरिकों को शासकीय सेवाओं में अवसर की समानता होगी ।
1410 )अनु. 16(3) के अनुसार किसी क्षेत्र में नौकरी देने के लिए निवास सम्बन्धी शर्त लगाई जा सकती है ।
1411 )अनु. 16(4) के अनुसार देश के पिछडे नागरिकों को उचित प्रतिनिधित्व के अभाव में आरक्षण की व्यवस्था की जा सकती है
1412 )अनु. 17 के अनुसार अस्पृश्यता का अन्त किया गया है । इसको समाप्त करने के लिए संसद ने अस्पृश्यता अपराध अधिनियम 1955 के तहत दण्डनीय बना दिया है । बाद में 1976 में इसको संशोधित करके सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम 1976 बनाया गया ।
1413 )अनु. 18 के अनुसार शिक्षा और सैनिक क्षेत्र को छोड़कर राज्य द्वारा सभी उपाधियों का अन्त कर दिया गया है
1414 )अनु. 18(2) के अनुसार भारत का कोई भी नागरिक किसी भी विदेशी पुरस्कार को राष्ट्रपति की अनुमति के बिना ग्रहण नहीं कर सकता ।
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1415स्वतंत्रता का अधिकारः-(अनु. 19 से 22 तक) -
1416 )अनु. 19 के अनुसार नागरिक को 6 प्रकार की स्वतंत्रतायें दी गई है -
1417 )अनु. 19(A) - भाषण और विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता। अनु. 19(1) के अन्तर्गत प्रेस को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई है । इसी के तहत देश के नागरिकों को राष्ट्रीय ध्वज को फहराने की स्वतंत्रता दी गई है ! संविधान के प्रथम संशोधन अधिनियम 1951 के द्वारा विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित कर दिया गया है। सरकार राज्य की सुरक्षा, सार्वजनिक कानून व्यवस्था, सदाचार, न्यायालय की अवमानना, विदेशी राज्यों से संबंध तथा अपराध के लिए उत्तेजित करना आदि के आधार पर विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगा सकती है।
1418 )अनु. 19(B) के तहत शांतिपूर्ण तथा बिना हथियारों के नागरिकों को सम्मेलन करने और जुलूस निकालने का अधिकार होगा । राज्यों की सार्वजनिक सुरक्षा एवं शान्ति व्यवस्था के हित में इस। स्वतंत्रता को सीमित किया जा सकता है।
1419 )अनु. 19(C) भारतीय नागरिकों को संघ या संगठन बनाने की स्वतंत्रता दी गई हैं ! लेकिन सैनिकों को ऐसी स्वतंत्रता नहीं दी गई है
1420 )अनु. 19(D) देश के किसी भी क्षेत्र मे स्वतंत्रता पूर्वक भ्रमण करने की स्वतंत्रता ।
1421 )अनु. 19(E) देश के किसी क्षेत्र में स्थाई निवास की स्वतंत्रता। (जम्मू कश्मीर को छोड़कर)
1422 )अनु. 19(G) कोई भी व्यापार या कारोबार करने की स्वतंत्रता ।
1423 )अनु. 20 के अनुसार अपराधों के लिए दोष सिद्धि के संबध में संरक्षण दिया गया है
1424 )किसी भी व्यक्ति को तब तक अपराधी नहीं माना जाएगा जब तक यह सिद्ध न हो जाये कि उसने किसी कानून का अल्लंघन किया है ।
1425 )किसी व्यक्ति को किसी अपराध के लिए उससे अधिक दण्ड नहीं दिया जा सकता ।
1426 )किसी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए एक बार से अधिक दण्ड नहीं दिया जा सकता ।
1427 )किसी भी व्यक्ति को स्वयं अपने विरूद्ध गवाही देने या सबूत पेश करने के लिये बाध्य नहीं किया जा सकता ।
1428 )अनु. 21 के अनुसारः- किसी भी व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अतिरिक्त उसके जीवन और शरीर की स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता ।
1429 )अनु. 21(क) के अनुसार 86वें संविधान संशोधन अधिनियम 2002 के तहत 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को अनिवार्य और निशुल्क शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार दिया गया है ।
1430 )अनु. 22 के अनुसार किसी भी व्यक्ति को बिना कारण बताए गिरफ्तार नहीं किया जा सकता और गिरफ्तार व्यक्ति को 24 घण्टे के अन्दर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना अनिवार्य है ।
1431 )शोषण के विरू़द्ध अधिकार (23 से 24 तक) -
1432 )अनु. 23 के अनुसार मानव व्यापार व बेगार तथा बलात श्रम पर प्रतिबंध लगाया गया है । लेकिन राज्य सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए
1433 )सार्वजनिक सेवा या श्रम योजना लागू कर सकती है। राज्य इस सेवा में धर्म, मूलवंश, जाति या वर्ग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगा। बंधुआ मजदूरी समाप्त करने के लिए 1975 में बंधुआ मजदूरी का उन्मूलन अधिनियम पारित किया गया ।
1434 )अनु. 24 के अनुसार बाल श्रम का निषेध किया गया है जिसके अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र के किसी भी बच्चे को कारखानो, खदानों या खतरनाक कार्यों में नहीं लगाया जा सकता ।
1435धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकारः- (25 से 28 तक) -
1436 )अनु. 25 के अनुसार देश के प्रत्येक नागरिक को किसी भी धर्म को मानने व आचरण करने और प्रचार करने का अधिकार है ! लेकिन सार्वजनिक व्यवस्था व समाज कल्याण एवं सुधार आदि के अन्र्तगत इस पर रोक लगाई जा सकती है
1437 )अनु. 26 के अनुसार धार्मिक प्रयोजन के लिए संस्था बनाने, उसका पोषण करने और धार्मिक कार्यों के प्रबन्ध के लिये सम्पत्ति अर्जित करने का अधिकार है ।
1438 )अनु. 27 के अनुसारः- किसी भी व्यक्ति को किसी धर्म या सम्प्रदाय विशेष के पोषण हेतु कर देने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा ।
1439 )अनु. 28 के अनुसारः- राज्य निधि से वित्त पोषित या आर्थिक सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाएगी और न ही किसी व्यक्ति को धार्मिक शिक्षा या धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
1440संस्कृति और शिक्षा सम्बन्धी अधिकार (29से 30 तक) -
1441 )अनु. 29 के अनुसार देश के प्रत्येक नागरिक को अपनी भाषाए लिपि या संस्कृति को सुरक्षित रखने का पूर्ण अधिकार होगा ! राज्य द्वारा आर्थिक सहायता प्राप्त किसी भी शिक्षण संस्था में किसी भी नागरिक को धर्म व मूलवंश व जाति और भाषा आदि के आधार पर प्रवेश लेने से वंचित नही किया जा सकता ।
1442 )अनु. 30 के अनुसारः- धर्म या भाषा पर आधारित सभी अल्प संख्यक वर्गो को अपनी पसंद की शिक्षण संस्थाओं की स्थापना करने और प्रशासन का अधिकार होगा और राज्य इस आधार पर शिक्षा संस्थाओ को आर्थिक सहायता देने के लिए कोई विभेद नही करेगा ।
1443संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनु. 32) -
1444 )अनु. 32 के अनुसार यह अधिकार मौलिक अधिकारों के लिए प्रभावी कार्यवाईयाॅं न्यायलय के द्वारा करवाता है । इस अधिकार के तहत यदि किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकार का उल्लघन हुआ है तो वह सीधे सर्वोच्च न्यायालय में जा सकता है ।
1445 )अनु. 32 को डाॅ. भीमराव अम्वेडकर ने भारतीय संविधान की आत्मा कहा है।
1446 )अनु. 32 के तहत सर्वोच्च न्यायालय को और अनु. 226 के तहत उच्च न्यायालय को मौलिक अधिकारों के संरक्षण हेतु 5 रिटे जारी करने का अधिकार है -
1447 )बन्दी प्रत्यक्षीकरण - इसके अन्तर्गत गैर कानूनी या अवैधानिक रूप से बन्द किये गये किसी भी व्यक्ति को सामने लाने हेतु न्यायालय द्वारा आदेश दिया जा सकता है । यह आदेश किसी भी शासकीय कर्मचारी या किसी भी व्यक्ति के लिए जारी किया जा सकता है ।
1448 )परमादेश - यह आदेश सार्वजनिक पद पर काम करने वाले अधिकारियों व सरकार तथा अधीनस्थ न्यायालयों एवं न्यायिक अभिकरण के विरूद्ध़ जारी किया जा सकता है यदि वे अपने कर्तव्यों का सही पालन नही कर रहे हो किन्तु यह किसी संस्था या व्यक्ति के विरूद्ध जारी नही किया जा सकता है ।
1449 )प्रतिषेध - यह निम्न न्यायालयों को जारी की जाने वाली निषेधाज्ञा है जिसमें यह आदेश दिया जाता है कि वे किसी मामले विशेष मे कोई कार्यवाही न करें क्योंकि यह मामला उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है ।
1450 )उत्प्रेषण - इसके द्वारा निम्न न्यायालय के किसी भी केस को या जानकारी को उच्च न्यायालय अपने पास मंगा सकता है यह रिट उस समय जारी की जा सकती है जब निम्न न्यायालय किसी मामले की सुनवाई कर चुका हो ।
1451 )अधिकार प्रच्छा - इस रिट द्वारा न्यायालय किसी भी ऐसे व्यक्ति से जो किसी सार्वजनिक पद पर अवैधानिक रूप से कार्य कर रहा होता है। तो उससे पूछा जाता है कि आप इस पद पर किस अधिकार से कार्य कर रहे हैं ।
1452मौलिक अधिकारों का निलम्बन -
1453 )अनु. 33 संसद को यह शक्ति प्रदान करती है वि वह स्वतंत्र बलों, अद्धसैनिक बलों, खूफिया ऐजेन्सियों के सदस्यों के संबंध में मौलिक अधिकारो को प्रतिबंधित कर सकती है। ताकि वे अपने कर्तव्यों का उचित पालन कर सकें और उनके अनुशासन बना रहे।
1454 )अनु. 34 मौलिक अधिकारों पर तब प्रतिबंध लगाता है जब भारत में कही भी सेना विधि (मार्शल लाॅं) लागू हो मार्शल लाॅं के क्रियान्वयन के समय सैन्य प्रशासन के पास जरूरी कदम उठाने के लिए असाधारण अधिकार मिल जाते हैं वे अधिकारों पर प्रतिबंध यहाॅं तक कि किसी मामले में नागरिकों को मृत्युदंड तक लागू कर सकता है।
1455 )अनु. 352 के तहत राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय आपात की घोषणा होने पर उसके द्वारा अनु. 359 के तहत सभी मौलिक अधिकार निलम्बित किये जा सकते हैं । परन्तु 44वें संविधान संशोधन के पश्चात अनु. 20 व 21 किसी भी स्थिति में निलबिंत नही किये जा सकते ।
1456 )नोट - अनु. - 15,16,19,29 व 30 के अन्तर्गत प्राप्त मौलिक अधिकार केवल भारतीय नागरिकों के लिए है । जबकि शेष सभी अधिकार सभी व्यक्तियों के लिये हैं ।
1457 )अनु. 1 - संघ कानाम और राज्य क्षेत्र
1458 )अनु. 2 - नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना
1459 )अनु. 3 - राज्य का निर्माण तथा सीमाओं या नामों मे परिवर्तन
1460 )अनु. 4 - पहली अनुसूचित व चौथी अनुसूची के संशोधन तथा दो और तीन के अधीन बनाई गई विधियां
1461 )अनु. 5 - संविधान के प्रारंभ पर नागरिकता
1462 )अनु. 6 - भारत आने वाले व्यक्तियों को नागरिकता
1463 )अनु. 7 -पाकिस्तान जाने वालों को नागरिकता
1464 )अनु. 8 - भारत के बाहर रहने वाले व्यक्तियों का नागरिकता
1465 )अनु. 9 - विदेशी राज्य की नागरिकता लेने पर नागरिकता का ना होना
1466 )अनु. 10 - नागरिकता के अधिकारों का बना रहना
1467 )अनु. 11 - संसद द्वारा नागरिकता के लिए कानून का विनियमन
1468 )अनु. 12 - राज्य की परिभाषा
1469 )अनु. 13 - मूल अधिकारों को असंगत या अल्पीकरण करने वाली विधियां
1470 )अनु. 14 - विधि के समक्ष समानता
1471 )अनु. 15 - धर्म जाति लिंग पर भेद का प्रतिशेध
1472 )अनु. 16 - लोक नियोजन में अवसर की समानता
1473 )अनु. 17 - अस्पृश्यता का अंत
1474 )अनु. 18 - उपाधीयों का अंत
1475 )अनु. 19 - वाक् की स्वतंत्रता
1476 )अनु. 20 - अपराधों के दोष सिद्धि के संबंध में संरक्षण\
1477 )अनु. 21 -प्राण और दैहिक स्वतंत्रता
1478 )अनु. 21 क - 6 से 14 वर्ष के बच्चों को शिक्षा का अधिकार
1479 )अनु. 22 - कुछ दशाओं में गिरफ्तारी से सरंक्षण
1480 )अनु. 23 - मानव के दुर्व्यापार और बाल आश्रम
1481 )अनु. 24 - कारखानों में बालक का नियोजन का प्रतिशत
1482 )अनु. 25 - धर्म का आचरण और प्रचार की स्वतंत्रता
1483 )अनु. 26 -धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता
1484 )अनु. 29 - अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण
1485 )अनु. 30 - शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार
1486 )अनु. 32 - अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए उपचार
1487 )अनु. 36 - परिभाषा
1488 )अनु. 40 - ग्राम पंचायतों का संगठन
1489 )अनु. 48 - कृषि और पशुपालन संगठन
1490 )अनु. 48 क - पर्यावरण वन तथा वन्य जीवों की रक्षा
1491 )अनु. 49 - राष्ट्रीय स्मारक स्थानों और वस्तुओं का संरक्षण
1492 )अनु. 50 - कार्यपालिका से न्यायपालिका का प्रथक्करण
1493 )अनु. 51 - अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा
1494 )अनु. 51 क - मूल कर्तव्य
1495 )अनु. 52 - भारत का राष्ट्रपति
1496 )अनु. 53 - संघ की कार्यपालिका शक्ति
1497 )अनु. 54 - राष्ट्रपति का निर्वाचन
1498 )अनु. 55 - राष्ट्रपति के निर्वाचन की रीती
1499 )अनु. 56 - राष्ट्रपति की पदावधि
1500 )अनु. 57 - पुनर्निर्वाचन के लिए पात्रता
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