जीवधारियों का वर्गीकरण/Classification of organisms in hindi

दोस्तों इस पोस्ट में मैं आपको जीवधारियों का वर्गीकरण के बारे में बताने जा रहा हूं जीवधारियों का वर्गीकरण इसके बारे में बहुत सारी जानकारी आपको इस पोस्ट में देने जा रहा हूं इसकी परिभाषा भी इसमें बताई गई है।

जीवधारियों के वर्गीकरण को वैज्ञानिक आधार जॉन रे नामक वैज्ञानिक ने प्रदान किया, लेकिन जीवधारियों के आधुनिक वर्गीकरण में सबसे प्रमुख योगदान स्वीडिश वैज्ञानिक कैरोलस लीनियस (1708-1778 ई० ) का है । लीनियस ने अपनी पुस्तकों जेनेरा प्लाण्टेरम,सिस्टेमा नेचुरी, क्लासेस प्लाण्टेरम एवं फिलासोफिया बॉटेनिका में जीवधारियों के वर्गीकरण पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला।

 इन्होंने अपनी पुस्तक Systema Naturae में सम्पूर्ण जीवधारियों को दो जगतों पादप जगत तथा जन्तु जगत में विभाजित किया। इससे जो वर्गीकरण की प्रणाली शुरू हुई उसी से आधुनिक वर्गीकरण प्रणाली की नींव पड़ी,इसलिए कैरोलस लीनियस को वर्गिकी का पिता  कहा जाता है।
जीवधारियों का वर्गीकरण
जीवधारियों का वर्गीकरण
परम्परागत द्वि-जगत वर्गीकरण का स्थान अन्ततः आर० एच० हट्टेकर (R. H. Whittaker) द्वारा सन् 1969 ई० में प्रस्तावित 5-जगत प्रणाली ने ले लिया ।

इसके अनुसार समस्तजीवों को निम्नलिखित पाँच जगत में वर्गीकृत किया गया ।


(i) मोनेरा ,(ii) प्रोटिस्टा  (iii) पादप , (iv) कवक तथा (v) एनीमेलिया


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(1) मोनेरा (Monera): इस जगत में सभी प्रोकैरियोटिक जीव अर्थात् जीवाणु, सायनोबैक्टीरिया तथा आर्कीबैक्टीरिया सम्मिलित किए गए हैं तन्तुमय जीवाणु भी इसी जगत के भाग हैं।

(2) प्रोटिस्टा (Protista): इस जगत में विविध प्रकार के एककोशिकीय, प्रायः जलीय
जीव विज्ञान(Aquatic) यूकैरियोटिक जीव सम्मिलित किए गए हैं।
पादप एवं जन्तु के बीच स्थित यूग्लीना इसी जगत में है। यह दो प्रकार की जीवन पद्धति
प्रदर्शित करती है-सूर्य के प्रकाश में स्वपोषित एवं प्रकाश के अभाव में इतर पोषित।

(3) पादप (Plantae): इस जगत में प्रायः वे सभी रंगीन, बहुकोशिकीय, प्रकाश संश्लेषी
उत्पादक जीव सम्मिलित है। शैवाल, मॉस, पुष्पीय तथा अपुष्पीय बीजीय पौधे इसी जगत के
(4) कवक (Fungi):-इस जगत में वे यूकैरियोटिक तथा परपोषित जीवधारी सम्मिलित किए
गए हैं, जिनमें अवशोषण द्वारा पोषण होता है । ये सभी इतरपोषी होते हैं ये परजीवी अथवा
मृतोपजीवी होते हैं। इसकी कोशिका भित्ति काइटिन (Chitin) की बनी होती है ।

(5)एनीमेलिया (Animalia): इस जगत में सभी बहुकोशिकीय जन्तु समभोजी(Holozoic)यूकैरियोटिक, उपभोक्ता जीव सम्मिलित किए गए हैं इनको मेटाजोआ (Metazoa) भी कहते हैं। हाइड्रा, जेलीफिश, कृमि, सितारा मछली, सरीसृप, उभयचर, पक्षी तथा स्तनधारी जीव इसी का अंग हैं।

जीवों का नामकरण की द्विनाम पद्धति



सन् 1753 में कैरोलस लीनियस ने जीवों के नामकरण की द्विनाम पद्धति को प्रचलित किया।इस पद्धति के अनुसार, प्रत्येक जीवधारी का नाम लैटिन भाषा के दो शब्द से मिलकर बनता है।पहला शब्द वश नाम तथा दूसरा शब्द जाति नाम  कहलाता है। वंश तथा जाति नामों के बाद उस वर्गिकीविद (वैज्ञानिक) का नामलि जाता है, जिसने सबसे पहले उस जाति
को खोजा या जिसने इस जाति को सबसे

पहले वर्तमान नाम प्रदान किया, जैसे-मानव का वैज्ञानिक नाम होमो सैपियन्सलि है । वास्तव में
होमो उस वंश का नाम है, जिसकी एक जाति सैपियन्स है। लिन वास्तव में लिनियस शब्द का संक्षिप्त रूप है। इसका अर्थ यहहै कि सबसे पहले लिनियस ने इस जातिको होमो सैपियन्स नाम से पुकारा है ।
जीवधारियों का वर्गीकरण को समझाइए
वर्गीकरण



कुछ जीवधारियों के वैज्ञानिक नाम


1. मनुष्य (Man)-Homo sapiens
2. मेढ़क (Frog)-Rana tigrina
3. बिल्ली (Cat)-Felis domestica
4. कुत्ता (Dog)-Canis familiaris
5. गाय (Cow)-Bos indicus

6. मक्खी(Housefly)-Musca domestica
7. आम (Mango)-Mangifera indica
8. धान (Rice)-Oryza sativa
9. गेहूँ (Wheat)-Triticum aestivum

10. मटर (Pea)-Pisum sativum
11. चना (Gram)-Cicer arietinum
12. सरसों (Mustard)-Brassica campestris
कुछ जीवधारियों के वैज्ञानिक नाम

कुछ जीवधारियों के वैज्ञानिक नाम



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