विटामिन क्या होते है? विटामिन के प्रकार /What Is Vitamin. Type Of in hindi

विटामिन किसे कहते है। विटामिन क्या है। विटामिन के प्रकार What Is Vitamin . Type Of Vitamin.Full details of vitamin


विटामिन(Vitamin)

विटामिन किसे कहते हैं इसके प्रमुख प्रकार



विटामिन किसे कहते हैं

विटामिन भोजन के अवयव हैं जिनकी सभी जीवधारियों को अल्प मात्रा में आवश्यकता होती है। रासायनिक रूप से ये कार्बनिक यौगिक हैं। उस यौगिक को विटामिन कहा जाता है जो शरीर द्वारा पर्याप्त मात्रा में स्वयं उत्पन्न नहीं किया जा सकता बल्कि भोजन के रूप में लेना आवश्यक होता है विटामिन कहलाता हैं।

Vitamin kise kahte hai. Prakar aur a b c d e f g k vitamin in hindi
विटामिनस ऐसे कार्बनिक यौगिक है जो की चाहे कम मात्रा में ही सही परन्तु हमारे शरीर के उचित कार्यों के लिए बहुत ही आवश्यक है। यह हमें भोजन से मिलते है। हमारा शरीर में खुद से विटामिन नहीं बनता या बहुत ही कम मात्रा में बनता है तो इनकी कमी हम भोजन से पूरी करते है। हर जीव-जंतु को अलग-अलग तरह के विटामिन्स चाहिए। जैसे की मनुष्य का शरीर विटामिन C नहीं बना सकता तो हमे यह भोजन से लेना पड़ता है परन्तु कुछ ऐसे जानवर है जैसे की कुत्ता,जिनका शरीर खुद से विटामिन C बना सकता है।

विटामिन्स क्या होते हैं?

विटामिन सी किसे कहते हैं

विटामिन्स को जीवन रक्षक यूँ ही नहीं कहा जाता। ये न केवल शरीर को रोगों से बचाते हैं, बल्कि शरीर को सही रूप में काम करने लायक भी बना कर रखते हैं। विटामिन वो छोटे-छोटे कार्बोनिक यौगिक हैं जो हमारे शरीर को सही ढंग से काम करने की शक्ति देते हैं। हमारे शरीर को इन विटामिन की बहुत कम मात्रा में जरूरत होती है और यह मात्रा हमें उस भोजन से मिलती है जो हम खाते हैं, क्योंकि विटामिन का निर्माण शरीर में अपने आप नहीं होता है। vitamin kya hote hain. prakar in hindi


विटामिन का महत्व

हम जानते हैं की विभिन्न पोषक तत्व हमारे भोजन को संपूर्णता प्रदान करते हैं और विटामिन का इसमें खास महत्व है। आहार में किसी भी विटामिन की कमी, किसी भी बीमारी का न्यौता होती है। दरअसल विटामिन्स का मुख्य कार्य हमारे भोजन को ईंधन में बदलना है जिससे शरीर में खाया हुआ खाना ठीक से पच सके, शरीर को सही रूप में एनर्जी मिल सके और साथ ही शरीर को निरोग रख सके। हमारे खाने में उपलब्ध सभी पौष्टिक तत्वों का लाभ भी शरीर को सही ढंग से मिल सके, यह काम भी विटामिन्स का ही है।


विभिन्न प्रकार के विटामिन के नाम और उनके बारे में पूरी जानकारी नीचे बताया गया है


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विटामिन ए (Vitamin A)

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विटामिन ए का रासायनिक नाम रेटिनॉल है। इसे antixerophthalmic विटामिन भी कहते है अर्थात यह जीरॉफ्थैलमिया नामक रोग को दूर करने में सहायता करता है।विटामिन आँखों से देखने के लिये अत्यंत आवश्यक होता है। साथ ही यह संक्रामक रोगों से बचाता है। यह विटामिन शरीर में अनेक अंगों को सामान्य रूप में बनाये रखने में मदद करता है। जैसे कि त्वचा, बाल, नाखून,ग्रंथि,दाँत,मसूड़ा और हड्डी।

 सबसे महत्वपूर्ण स्थिती जो कि सिर्फ विटामिन ए के अभाव में होती है, वह है अंधेरे में कम दिखाई देना, जिसे रतौंधि कहते हैं। विटामिन ए की कमी से रतोंधी रोग होता है ।इसके साथ आँखों में आँसूओं के कमी से आँखें सूख जाती हैंऔर उनमें घाव भी हो सकते हैं। बच्चों में विटामिन ए के अभाव में विकास भी धीरे हो जाता है,जिससे कि उनके कद पर असर कर सकता है। त्वचा और बालों में भी सूखापन हो जाता है और उनमें से चमक चली जाती है। संक्रमित बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है ताजे फल दूध माॅस अण्डा मछली का तेल गाजर मक्खन हरी सब्जियों में होता है विटामिन  A का संश्लेषण पौधे के पीले या नारंगी वर्णक से प्राप्त केरोटिन से यकृत में होता हैै विटामिन A दृष्टिवर्णक रोडोप्सिन के संश्लेषण में सहायक होता है रंतौधी, मोतियाबिंद ,जीरोफ्थेल्मिया ,त्वचा शुष्क,शल्की, संक्रमण का खतरा ,आंख का लैंस दूधिया आवरण से अपारदर्शक होने से मोतियाबिंद होता है.
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विटामिन बी (Vitamin B)

विटामिन बी शरीर को जीवन शक्ति देने के लिए अति आवश्यक होता है। इस विटामिन की कमी से शरीर अनेक रोगो का घर बन जाता है। विटामिन बी के कई विभागों की खोज की जा चुकी है। ये सभी विभाग मिलकर ही विटामिन ‘बी’ कहलाते हैं। हालाँकि सभी विभाग एक दूसरे के अभिन्न अंग हैं, लेकिन फिर भी सभी आपस में भिन्नता रखते हैं। विटामिन ‘बी’ कॉम्पलेक्स 120 सेंटीग्रेड तक की गर्मी सहन करने की क्षमता रखता है।उससे अधिक ताप यह सहन नहीं कर पाता और नष्ट हो जाता है। यह विटामिन पानी में घुलनशील होता है। इसके प्रमुख कार्य स्वस्थ रखना तथा भोजन के पाचन में सक्रिय योगदान देना होता है। भूख को बढ़ाकर यह शरीर को जीवन शक्ति देता है। खाया-पिया अंग लगाने में सहायता प्रदान करता है। क्षार पदार्थो के संयोग से यह बिना किसी ताप के नष्ट हो जाता है, पर अम्ल के साथ उबाले जाने पर भी नष्ट नहीं होता।

 विटामिन बी कॉम्प्लेक्स के स्रोतों में टमाटर, भूसी दार गेहूँ का आटा, अण्डे की जर्दी, हरी पत्तियों का साग, बादाम, अखरोट, बिना पॉलिश किया चावल, पौधों के बीज, सुपारी, नारंगी, अंगूर, दूध, ताजे सेम, ताजे मटर, दाल, जिगर, वनस्पति साग-सब्जी, आलू, मेवा, खमीर, मक्की, चना, नारियल, पिस्ता, ताजे फल, कमरकल्ला, दही, पालक, बन्दगोभी, मछली, अण्डे की सफेदी, माल्टा, चावल की भूसी, फलदार सब्जी आदि आते हैं।
विटामिन क्या है | विटामिन के प्रकार | Different Types of Vitamins (Hindi)


विटामिन ‘बी’ कॉम्पलेक्स की कमी से उत्पन्न होने वाले रोग


1 -- बी1 -- थियामिन या आन्युरिन -- बेरीबेरी (Beri-beri)
विटामिन बी – 1

रासायनिक नाम: थाइमिन (Thaimine)

यह वाटर-सॉल्युबल विटामिन है।

स्रोत: सूरजमुखी के बीज, अनाज, आलू, संतरे और अंडे।

फायदे: मस्तिष्क को विकसित रखने के लिए बहुत ही उपयोगी है। इसकी कमी से हमे बेरीबेरी रोग हो सकता है

2-- बी2 -- रिबोफ्लैविन (Riboflavin) -- आँख लाल रहना, होठ पर झुर्री, मुँह आना, जीभ फूल जाना, चमड़े की विकृति
विटामिन बी – 2

रासायनिक नाम: राइबोफ्लेविन (Riboflavin)

यह वाटर-सॉल्युबल विटामिन है।

स्रोत: केला, दूध, दही, मास, अंडे, हरी बीन्स और मछली।

फायदे: त्वचा को अच्छी रखने के लिए बहुत ही उपयोगी है।



3-- बी -- पेलाग्रा-रक्षक (Pellagra preventing) -- पेलाग्रा होना (विशेष चर्म-रोग)

विटामिन बी – 3

रासायनिक नाम: नियासिन (Niacin)

यह वाटर-सॉल्युबल विटामिन है।

स्रोत: खजूर, दूध, अंडे, टमाटर, गाजर, एवोकाडो।

फायदे: रक्तचाप को नियंत्रण में रखने और सिरदर्द, दस्त को कम करती है।

विटामिन बी – 5

रासायनिक नाम: पैंटोथेनिक एसिड (Pantothenic acid),

यह वाटर-सॉल्युबल विटामिन है।

स्रोत: एवोकैडो, अनाज, मांस।

फायदे: बालो को स्वस्थ और सफेद होने से बचाता है। इससे तनाव भी कम होता है।


4-- बी6 -- पाइरिडॉक्सिन (Pyridoxin) -- वमन, मस्तिष्क रोग तथा दस्त आना
विटामिन बी – 6

रासायनिक नाम: प्यरीडॉक्सीने (Pyridoxine)

यह वाटर-सॉल्युबल विटामिन है।

स्रोत: अनाज, मांस, केले, सब्जियां।

फायदे: यह सुबह की थकान कम करता है। तनाव और अनिद्रा से भी मुख्ती देता है।

विटामिन बी – 7

रासायनिक नाम: बायोटिन (Biotin)

यह वाटर-सॉल्युबल विटामिन है।

स्रोत: अंडे की जर्दी (Egg yolk), सब्जियां।

फायदे: यह त्वचा और बालो के लिए बहुत ही अच्छा है। इसकी कमी से हमे जिल्द की सूजन (dermatitis) हो सकती है।



5 विटामिन बी – 9

रासायनिक नाम: फोलिक एसिड (Folic acid)

यह वाटर-सॉल्युबल विटामिन है।

स्रोत: पत्तीदार शाक भाजी, सूरजमुखी के बीज, कुछ फलो में भी यह होता है।

फायदे: यह त्वचा के लोग और गठिया के उपचार हेतु बहुत ही शक्तिशाली है। गर्भवती महिलाओं को यह लेने ही सलाह दी जाती है।


6-- बी12—स्यानोकोबैलै ऐमाइन
 (Cyanocobalamin) -- विशेष रक्तहीनता और संग्रहणी

विटामिन बी – 12

रासायनिक नाम: कयनोसोबलमीन (Cyanocobalamin)

यह वाटर-सॉल्युबल विटामिन है।

स्रोत: मछी, मास, दूध, अंडे और दूध दे बनाये उत्पादों में यह होता है।

फायदे: यह एनीमिया (खून की कमी), मुँह में अलसर जैसी बिमारियों को कम करता है।

कुछ अन्य रोग जो विटामिन बी कॉम्प्लेक्स की कमी से होते है :-

हाथ पैरों की उँगलियों में सनसनाहट होना, मस्तिष्क की स्नायु में सूजन व दोष होना, पैर ठंडे व गीले होना, सिर के पिछले भाग में स्नायु दोष हो जाना, मांसपेशियों का कमजोर होना, हाथ पैरों के जोड़ अकड़ना, शरीर का वजन घट जाना, नींद कम आना, मूत्राशय मसाने में दोष आना, महामारी की खराबी होना, शरीर पर लाल चक्कत्ती निकलना, दिल कमजोर होना, शरीर में सूजन आना, सिर चकराना, नजर कम हो जाना, पाचन क्रिया की खराबी होना।
विटामिन के प्रकार


विटामिन सी (Vitamin C)

रासायनिक नाम: एस्कॉर्बिक एसिड (Ascorbic acid)

यह वाटर-सॉल्युबल विटामिन है।

यह हमारी त्वचा और हड्डियों के लिए बहुत ही आवश्यक है। यह किसी घाव को ठीक करने में बहुत ही ज्यादा मदद करता है। विटामिन सी की कमी हम फल और सब्ज़ियां खा कर पूरी कर सकते है। टमाटर, ब्रोकोली में अच्छी मात्रा में विटामिन सी होता है। यह गर्भवती महिलाओ, धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों को ज्यादा मात्रा में खाना चाहिए।
नारंगी, विटामिन सी का उत्तम स्रोत है।

विटामिन सी को एस्कोरबिक ऐसिड के नाम से भी जाना जाता है। इसे सर्वप्रथम गायोर्जी ने प्रथक किया था। यह शरीर की कोशिकाओं को बांध के रखता है। इससे शरीर के विभिन्न अंगों को आकार बनाने में मदद मिलता है। यह शरीर के खून की नसों (रक्त वाहिकाओं, blood vessels) को मजबूत बनाता है। इसके एंटीहिस्टामीन गुणवत्ता के कारण, यह सामान्य सर्दी-जुकाम में दवा का काम कर सकता है। इसके अभाव में मसूड़ों से खून बहता है, दाँत दर्द हो सकता है, दाँत ढीले हो सकते हैं या निकल सकते हैं। त्वचा या चर्म में भी चोट लगने पर अधिक खून बह सकता है, रुखरा हो सकता है। आपको भूख कम लगेगी। बहुत अधिक विटामिन के अभाव से स्कर्वी (scurvy) रोग हो सकता है। विटामिन सी की कमी से शरीर का वजन कम हो जाता है

इससे शरीर के विभिन्न अंगों में, जैसे कि गुर्दे में, दिल में और अन्य जगह में, एक प्रकार का पथरी हो सकता है। यह ओक्ज़लेट क्रिस्टल का बना होता है। इससे पेशाब में जलन या दर्द हो सकता है, या फिर पेट खराब होने से दस्त हो सकते हैं। खून में कमी या एनिमीया (anemia) हो सकता है। विटामिन सी के अच्छे स्रोत नारंगी जैसे फल या सिट्रस फ्रूट्स, खरबूजा

विटामिन डी  (Vitamin D)

रासायनिक नाम: एरगोसेल्सिफेरोल (Ergocalciferol)

यह फैट-सॉल्युबल विटामिन है।

विटामिन डी हमारे शरीर में कैल्शियम अब्सॉर्ब करने में बहुत ही मदद करता है। यह हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत करने में भी मदद करता है, दांतो की सड़न को कम करता है। इसकी कमी से हमे सूखा रोग (Rickets) हो सकता है।
तीन चीज़ो के ज़रिये हमे विटामिन डी मिल सकता है – त्वचा के माध्यम से, अपने आहार से, और पूरक से। हमारा शरीर खुद विटामिन डी बना लेता है जब उसे सूरज की रौशनी मिलती है। आहार की बात करे तो दूध और अंडे की जर्दी से भी हमे विटामिन डी मिल जाता है।यह शरीर की हड्डीयों को बनाने और संभाल कर रखने में मदद करता है। साथ ही यह शरीर में केल्शियम (calcium) के स्तर को नियंत्रित रखता है। इसके अभाव में हड्डीयाँ कमजोर हो जाता हैे और टूट भी सकती हैं (फ्रेकचर या Fracture)। बच्चों में इस स्थिती को रिकेट्स (Rickets)कहते हैं और व्यस्क लोगों में हड्डी के मुलायम होने को ओस्टीयोमलेशिया (osteomalacia) कहते हैं। इसके अलावा, हड्डी के पतला और कमजोर होने को ओस्टीयोपोरोसिस कहते हैं।

इससे शरीर के विभिन्न अंगों में,जैसे कि गुर्दे में, दिल में, खून के नसों में और अन्य जगह में, एक प्रकार का पथरी हो सकती है। यह केल्सियम (calcium) का बना होता है। इससे ब्लड प्रेशर या रक्तचाप बढ सकता है, खून में कोलेस्ट्रोल अधिक हो सकता है और दिल पर असर पर सकता है। साथ ही चक्कर आना, कमजोरी लगना और सिरदर्द हो सकता है। पेट खराब होने से दस्त भी हो सकते है। अंडे का पीला भाग, मछली के तेल, विटामिन डी युक्त दूध और बटर इसके अच्छे स्रोत हैं, इसके आलावा धूप सेकने से भी शरीर में शरीर में इसका निर्माण होता है।


विटामिन E 

रासायनिक नाम: तोसोफेरोल्स (Tocopherols)

यह फैट-सॉल्युबल विटामिन है।

विटामिन ई हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली मज़बूत बनाता है। वनस्पति तेल, अनाज, बादाम, एवोकैडो, अंडे और दूध से हमे विटामिन ई मिल जाता है। जिन लोगो को किसी प्रकार के यकृत रोग होते है उनको यह ज्यादा लेने के लिए कहा जाता है। विटामिन ई के लिए कोई पूरक लेने से पहले डॉक्टर से जरूर परामर्श लें।

विटामिन ई, खून में रेड बल्ड सेल या लाल रक्त कोशिका को बनाने के काम आता है। इसे टोकोफ़ेरल भी कहते हैं। यह विटामिन शरीर में अनेक अंगों को सामान्य रूप में बनाये रखने में मदद करता है जैसे कि मांसपेशियां एवं अन्य टिशू या ऊत्तक। यह शरीर को ऑक्सिजन के एक नुकसानदायक रूप से बचाता है, जिसे ऑक्सिजन रेडिकल्स कहते हैं। इस गुण को एंटीओक्सिडेंट कहा जाता है। विटामिन ई, कोशिका के अस्तित्व बनाये रखने के लिये, उनके बाहरी कवच या सेल मेमब्रेन को बनाये रखता है। विटामिन ई, शरीर के फैटी एसिड को भी संतुलन में रखता है।

समय से पहले हुये या प्रीमेच्योर नवजात शिशु (Premature infants) में, विटामिन ई की कमी से खून में कमी हो जाती है। इससे उनमें एनिमीया (anemia) हो सकता है।


विटामिन के (Vitamin k )

रासायनिक नाम: फीलोक्विनोने (Phylloquinone)

यह फैट-सॉल्युबल विटामिन है।

विटामिन के स्वस्थ हड्डियों और ऊतकों के लिए प्रोटीन बनाकर हमारे शरीर की मदद करता है।

विटामिन्स हमारी सेहत के लिए बहुत ही जरुरी है। इसलिए अपनी डाइट को इस प्रकार रखें के उसमे विटामिन्स जरूर हो। और स्वास्थ्य टिप्स हिंदी में पाने के लिए हमारी वेबसाइट पर ब्लॉग पढ़ते रहे। आप अपने सुझाव हमे यहां क्लिक करके भेज सकते है।

विटामिन

आहार में विटामिन का रहना पोषण के लिये आवश्यक है।

भिन्न-भिन्न देशों और समाजों में आहार भिन्न-भिन्न प्रकार का होता है। आहार स्वादिष्ठ, देखने में आकर्षक और अच्छी तरह पकाया हुआ होना चाहिए, ताकि उससे मन ऊब न जाय और रुचि बनी रहे।

देश और काल के अनुसार कार्बोहाइड्रेट की मात्रा विभिन्न रह सकती है। गरम देश में वनस्पति की उपज बहुत अच्छी होती है। अत: यहाँ के भोजन में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा विशेष रहती है। शीत देशों में लोग विशेष रूप से मांस और मछली खाते हैं। बर्फीले अति शीत देश में एस्किमा जाति के भोजन में जानवरों की वसा (fat) की बहुतायत होती है। इन सब खाद्य पदार्थों में उचित मात्रा में कार्बोहाइड्रेट मिल सकता है। आजकल परिवहन की सुगमता होने से दुनिया के एक स्थान से दूसरे स्थान तक आहार सामग्री अल्प अवधि में आ जा सकती है। उन्नत देशों में पोषण का प्रबंध वैज्ञानिकों की और राज्यचालकों की राय के समन्वय से होता रहता है। प्रत्येक देश में धनीमानी लोग मँहगी पोषण की चीजों को खरीदते और खाते हैं। समस्या साधारण जनता और गरीब कामगार लोगों के पोषण की है और इस समस्या का हल राज्यचालकों पर निर्भर करता है। Vitamin kise kahte hai. Prakar aur a b c d e f g k vitamin


विभिन्न विटामिनों की कमी से उत्पन्न



1 -- ए -- कैरोटिन (Carotin) -- रतौधी, आँख की सफेदी पर झुर्री (Xerophţĥalmia)

7 -- फोलिक अम्ल (Folic acid) -- विशेष रक्तहीनता

8 -- सी -- ऐसकौर्बिक अम्ल -- स्कर्वी (scurvy)

9 -- डी -- कैल्सिफेरोल (Calciferol) -- सुखंडी, रिकेट (Rickets)

10—इ -- टोकोफेरोल (Tocopherol) -- पुरुषत्व और स्त्रीत्व में कमी

11—पी -- रुटीन (Rutin) -- कोशिकाओं से रक्तपात

12—के -- ऐंफेंटामिन (Amphentamin) -- रक्त में जमने की शक्ति का ह्रास

भारत के अतीत काल में जनता के पोषण का नक्शा बड़ा ही उत्साहजनक है। दूध, दही और मक्खन की कमी नहीं थी। जंगलों में शिकार होता था। खेती की उपज भी जनसमूह के हिसाब से अच्छी थी। सभी को आहार समाग्री उचित मात्रा में मिलती थी और पोषण भी उत्तम था। जनसंख्या की वृद्धि और आहार सामग्रियों की कमी से पोषण में गड़बड़ी हो गई।

आवश्यक पोषण का भार समाज और राज्य पर अनिवार्य है और इन्हीं के द्वारा जनता का पोषण उत्तम हो सकता है। जैसे गर्भवती स्त्री का पोषण मातृ-सेवा-सदन पर निर्भर है; शिशु का पोषण शिशु-सेवा-सदन पर आधारित है; इसी प्रकार पाठशाला जानेवाली बालक बालिकाओं का पोषण उद्योग-संचालकों पर बहुत निर्भर करता है। इन सबों की देखभाल और निरीक्षण का भार देश की राज्य व्यवस्था पर है।

गरम देशों में प्रोटीन की कमी से एक प्रकार की रक्तहीनता पाई जाती है। इसका भी ध्यान रखना जरूरी है। विटामिनों को कमी हो और यदि इसकी पूर्ति आहार पदार्थो से न होती हो, तो कृत्रिम विटामिन के सेवन से इसे पूरा किया जा सकता है। गर्भवती स्त्रियों की 100 मिलीग्राम ऐसकौर्बिक अम्ल (विटामिन सी) की आवश्यकता है, जो एक गिलास नारंगी के रस से मिल सकता हे, या 100 मिलीग्राम ऐकौर्बिक अम्ल के खाने से प्राप्त हो सकता है। गर्भावस्था में सब विटामिनों की आवश्यकता विशेष मात्रा में होती है। और यह आहार या कृत्रिम विटामिनों से पूरी की जा सकती है। अवस्था का लिहाज करते हुए सर्वांग पूर्ण और संतुलित भोजन उन्हें प्रतिदिन मिलना चाहिए।
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