यह लेख पूर्णत: रेडक्लिफ, मैकमोहन, डूरंड रेखाओं पर आधारित हैं। सामान्यतः इन तीनों रेखा की जानकारी समस्त रूप से व्यवस्थित। तरीके से लेख में शामिल हैं। redclif rekha, durand, makmohan, mcmohan rekha
रेडक्लिफ रेखा भारत और पाकिस्तान व भारत और बांग्लादेश को अलग करने वाली रेखा का नाम है। प्रमुख रूप से भारत और पाकिस्तान के बीच की इस रेडक्लिफ रेखा का निर्धारण सर सायरिल रेडक्लिफ द्वारा वर्ष 1947 के समय किया था। यह रेखा के निर्धारण के उस समय में बांग्लादेश पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था और पाकिस्तान का ही एक भाग था। जिसके पश्चात बाद में पूर्वी पाकिस्तान के बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्र होने के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच की भी सीमा रेडक्लिफ रेखा बन गई।
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मैकमोहन रेखा भारत को चीन से अलग अलग करती है। तथा इसका निर्धारण सर हेनरी मैकमोहन रेखा द्वारा वर्ष 1914 में किया गया था।
इस रेखा का नाम सर मार्टिमेर डूरण्ड के नाम पर रखा गया है । इन्होंने अफगानिस्तान के अमीर अब्दुर रहमान खाँ को इसे सीमा रेखा मानने पर राजी किया था ।
रेडक्लिफ रेखा
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रेडक्लिफ रेखा जो की पाकिस्तान और भारत को एक दूसरे से विभाजित करती है, विभिन्न शहरी क्षेत्रों से लेकर निर्जन रेगिस्तान के अलग अलग क्षेत्रों से होकर जाती है। आगे चल कर यह सीमा अरब सागर में, पाकिस्तान के मनोरा द्वीप से मुंबई के हार्बर के रास्ते पर चलती हुई दक्षिण पूर्व तक पहुंचती जाती है। redclif rekha, durand, makmohan, mcmohan rekha
भारत और पाकिस्तान सीमा पर स्वतंत्रता के बाद से ही, दोनो देश के बीच कई संघर्ष और युद्ध देख चुका हैं, और यह दुनिया की सबसे जटिल सीमाओं में से एक मानी गई है।
पीबीएस के द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार सीमा की कुल लंबाई 2900 किलोमीटर (1800 मील) हैं। यह 2011 में विदेश नीति में लिखे गए लेख के आधार पर, दुनिया की सबसे खतरनाक सीमाओं में से एक हैं। भारत द्वारा लगभग 50 हजार खम्बों पर 150000 तेज रोशनी वाले बल्ब स्थापित किये जाने के कारण रात में भी इसे अंतरिक्ष से देखा जा सकता है।
पीबीएस के द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार सीमा की कुल लंबाई 2900 किलोमीटर (1800 मील) हैं। यह 2011 में विदेश नीति में लिखे गए लेख के आधार पर, दुनिया की सबसे खतरनाक सीमाओं में से एक हैं। भारत द्वारा लगभग 50 हजार खम्बों पर 150000 तेज रोशनी वाले बल्ब स्थापित किये जाने के कारण रात में भी इसे अंतरिक्ष से देखा जा सकता है।
मैकमोहन रेखा
मैकमहोन रेखा भारत और तिब्बत के बीच सीमा रेखा है। यह अस्तित्व में सन् 1914 में भारत की तत्कालीन ब्रिटिश सरकार और तिब्बत के बीच शिमला समझौते के तहत स्थापित हुई। 1914 के पश्चात के अगले कई वर्षो तक इस सीमा रेखा का अस्तित्व कई अन्य विवादों के कारण कहीं छुप गया था। redclif rekha, durand, makmohan, mcmohan rekha
परन्तु 1935 में ओलफ केरो नामक एक अंग्रेज प्रशासनिक अधिकारी ने तत्कालीन अंग्रेज सरकार को इसे आधिकारिक तौर पर लागू करने का अनुरोध किया। 1937 में सर्वे ऑफ इंडिया के एक मानचित्र में मैकमहोन रेखा को आधिकारिक भारतीय सीमा रेखा के रूप में पर दिखाया गया था।
इस सीमा रेखा का नाम सर हैनरी मैकमहोन के नाम पर रखा गया था, जिनकी इस समझौते में महत्त्वपूर्ण भूमिका थी तथा वे भारत की तत्कालीन अंग्रेज सरकार के विदेश सचिव थे। अधिकांश हिमालय से होती हुई। सीमा रेखा पश्चिम में भूटान से 890 किलोमीटर और पूर्व में ब्रह्मपुत्र तक 260 किलोमीटर तक फैली हैं । जहां भारत के अनुसार यह चीन के साथ उसकी सीमा है ।
वही, चीन 1914 के शिमला समझौते को मानने से इनकार करता हैं । चीन के अनुसार तिब्बत स्वायत्त राज्य नहीं था और उसके पास किसी भी प्रकार के समझौते करने का कोई अधिकार नहीं था । चीन के आधिकारिक मानचित्रों में मैकमहोन रेखा के दक्षिण में 56 हजार वर्ग मील के क्षेत्र को तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र का हिस्सा माना जाता है। इस क्षेत्र को चीन में दक्षिणी तिब्बत के नाम से जाना जाता है ।
1962 - 63 के भारत - चीन युद्ध के समय चीनी फौजों ने कुछ समय के लिए इस क्षेत्र पर अधिकार भी जमा लिया था । इस कारण ही वर्तमान समय तक इस सीमारेखा पर विवाद यथावत बना हुआ है। किन्तु भारत - चीन के बीच भौगोलिक सीमा रेखा के रूप में इसे अवश्य माना जाता है ।
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डूरंड रेखा
डूरंड रेखा भारत को अफगानिस्तान से अलग अलग करती है। डूरंड रेखा का निर्धारण सर हेनरी मोर्टिमर डूरंड द्वारा वर्ष 1896 में किया गया था । भारत के विभाजन से पूर्व, भारत और पाकिस्तान एक ही देश थे। भारत और अफगानिस्तान की सीमा का निर्धारण डूरंड रेखा द्वारा ही होता था । यह भारत की सबसे छोटी सीमा रेखा है और वर्तमान में "पाक-अधिकृत कश्मीर" (PoK) और अफगानिस्तान को अलग अलग करती है ।
अफगानिस्तान और भारत के बीच 2430 किलोमीटर लम्बी अन्तराष्ट्रीय सीमा का नाम डूरण्ड रेखा है । डूरंड रेखा 1896 में एक समझौते के द्वारा स्वीकार की गयी थी। यह रेखा पश्तून जनजातीय क्षेत्र से होकर दक्षिण में बलोचिस्तान से बीच से होकर गुजरती है। इस प्रकार यह रेखा पश्तूनों तथा बलूचों को दो देशों में बाँटते हुए निकलती है। redclif rekha, durand, makmohan, mcmohan rekha
भूराजनैतिक और भूरणनीति की दृष्टि से डूरण्ड रेखा को विश्व की सबसे खतरनाक सीमा माना जाता है । अफगानिस्तन इस सीमा को अस्वीकार करता रहा है । अफ़्गानिस्तान चारों ओर से जमीन से घिरा हुआ है। और इसकी सबसे बड़ी सीमा पूर्व की ओर भारत से लगी है, इसे डूरण्ड रेखा कहते हैं।
यह 1893 में हिंदुकुश में स्थापित सीमा है। जो अफगानिस्तान और ब्रिटिश भारत के जनजातीय क्षेत्रों से उनके प्रभाव वाले क्षेत्रों को रेखांकित करती हुयी गुजरती है । आधुनिक काल में यह अफगानिस्तान और भारत के बीच की सीमा रेखा है।
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इस लेख में जो रेडक्लिफ , मैकमोहन , डूरंड रेखा के बारे में जानकारी दी गई है। वह आपको कैसी लगी इसके अधिकतर जानकारी विकिपीडिया की वेबसाइट से भी देख सकते हैं । कुछ पार्ट इसमें भी लिया गया है।
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