वायुदाब कटिबंध क्या हैं । प्रकार । विषुवत् रेखीय निम्न । उपोष्ण उच्च । उपधरुवीय निम्न । उपधरुवीय निम्न वायुदाब । समदाब रेखा किसे कहते हैं

वायुदाब कटिबंध क्या हैं । प्रकार, विषुवत् रेखीय निम्न, उपोष्ण उच्च, उपधरुवीय निम्न,उपधरुवीय निम्न वायुदाब, समदाब रेखा किसे कहते हैं

वायुदाब कटिबंध क्या हैं । प्रकार । विषुवत् रेखीय निम्न । उपोष्ण उच्च । उपधरुवीय निम्न । उपधरुवीय निम्न वायुदाब । समदाब रेखा किसे कहते हैं

दोस्तो आज के इस लेख में वायुदाब किसे कहते हैं, वायुदाब कटिबंध क्या हैं, विषुवत् रेखीय निम्न, उपोष्ण उच्च, उपधरुवीय निम्न, उपधरुवीय निम्न वायुदाब ,समदाब रेखा किसे कहते हैं इन सभी के बारे में आपको बताने वाला हूं।

वायुदाब किसे कहते हैं।

सामान्य दशाओं में समुद्रतल पर वायुदाब पारद वायु-दाबमापी ई. टॉरीसेली पारे के 76 सेमी. या 760 निद्रव वायु दाबमापी लूसियन विडाई मिमी. ऊँचे स्तम्भ द्वारा सेल्सियस थर्मामीटर एण्डर्स सेल्सियस पड़ने वाला दाब होता है । केश आर्द्तामापी वायुदाब बैरोमीटर से मापा जाता है। वायुमंडलीय दाब को मौसम के पूर्वानुमान के लिए एक महत्वपूर्ण सूचक माना जाता है।

वायुमंडलीय दाब की इकाई बार (bar) है 
(1 bar = 10°N/m°)



समदाब रेखा 

वह कल्पित रेखा जो समुद्रतल के बराबर घटाये हुये समान वायुदाब वाले स्थानों को मिलाती है, समदाब रेखा कहते हैं। वायुदाब को मानचित्र पर समदाब रेखा द्वारा दर्शाया जाता है। दूरी की प्रति इकाई पर दाब के घटने को दाब प्रवणता कहते हैं। जब समदाब रेखा एक-दूसरे कपास होती है तो दाब प्रवणता अधिक होती है। परन्तु जब समदाब रेखाएँ एक-दूसरे से दूर होती हैं तो दाब प्रवणता कम होती हैं।

वायुदाब कटीबंध प्रथ्वी के धरातल में चार प्रकार के होते है

  1. विषुवत् रेखीय निम्न वायुदाब
  2. उपोष्ण उच्च वायुदाब
  3. उपधरुवीय निम्न वायुदाब
  4. ध्रुवीय उच्च वायुदा


वायुदाब कटिबंध क्या हैं । प्रकार । विषुवत् रेखीय निम्न । उपोष्ण उच्च । उपधरुवीय निम्न । उपधरुवीय निम्न वायुदाब । समदाब रेखा किसे कहते हैं

1)विषुवत् रेखीय निम्न वायुदाब 


यह पेटी भूमध्य रेखा से 10° उत्तरी तथा 10° दक्षिणी अक्षांशों के बीच स्थित है । यहाँ सालों भर सूर्य की किरणें लम्बवत् पड़ती हैं, जिसके कारण तापमान हमेशा ऊँचा रहता है। इस कटिबंध में धरातलीय क्षैतिज पवनें नहीं चलतीं बल्कि अधिक तापमान के कारण वायु हल्की होकर ऊपर को उठती है और संवहनीय धाराओं का जन्म होता है । इसलिए इस कटिबन्ध को शान्त कटिबन्ध या डोलड्रम कहते हैं।

नोट : विषुवत रेखा पर पृथ्वी के घूर्णन का वेग सबसे अधिक होता है, जिससे यहाँ पर अपकेन्द्रीय बल सर्वाधिक होती है, जो वायु को पृथ्वी के पृष्ठ से परे धकेलती है। इसके कारण भी यहाँ पर वायुदाब कम होता है।

2. उपोष्ण उच्च वायुदाब 

उत्तरी तथा दक्षिणी गोलाद्धों में क्रमशः कर्क और मकर रेखाओं से 35° अक्षांशों तक उच्च दाब-पेटियाँ पायी जाती हैं। यहाँ उच्च दाब होने के दो कारण हैं-
(a) विषुवत रेखीय कटिबन्ध से गर्म होकर उठने वाली वायु ठण्डी और भारी होकर कर्क तथा मकर रेखाओं से 35° अक्षांशों के बीच नीचे उतरती है और उच्च वायुदाब उत्पन्न करती है।
(b) पृथ्वी के दैनिक गति के कारण उपध्रुवीय क्षेत्रों से वायु विशाल राशियाँ कर्क तथा मकर रेखाओं से 35° अक्षांशों के बीच एकत्रित हो जाती हैं, जिससे वहाँ पर उच्च वायुदाब उत्पन्न हो जाती है ।

नोट : विषुवत रेखा से 30°-35° अक्षांशों के मध्य दोनों गोलाद्धों में उच्च वायुदाब की पेटियाँ उपस्थित होती हैं। इस उच्च वायुदाब वालीपेटी को अश्व अक्षांश कहते हैं। इसका कारण यह है कि मध्य युग में यूरोप में खेती के लिए पश्चिमी द्वीप समूह में पालदार जलयानों में लादकर घोड़े भेजे जाते थे । प्रायः इन जलयानों को इन अक्षांशों के बीच वायु शान्त रहने के कारण आगे बढ़ने में कठिनाई होती थी। अतः जलयानों का भार कम करने के लिए कुछ घोड़े समुद्र में फेंक दिये जाते थे।

3. उपधरुवीय निम्न वायुदाब  

45° उत्तरी तथा दक्षिणी अक्षांशों से क्रमशः आर्कटिक तथा अंटार्कटिक वृत्तों के बीच निम्न वायु-भार की पेटियाँ पायी जाती हैं जिसे उपध्रुवीय निम्न दाब पेटियाँ कहते हैं।

4. ध्रुवीय उच्च वायुदाब 

80° उत्तरी तथा दक्षिणी अक्षांश से उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुव तक उच्च दाब पेटियाँ पायी जाती हैं।

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