मानव शरीर की हड्डियां इनके कार्य,प्रकार,आस्तियों की संख्या
अस्थियों की रचना, कार्य, प्रकार एवं अस्थियों की संख्याआज के इस लेख में मैं आपको मानव की हड्डियों के बारे में इस पोस्ट में बताने जा रहा हूं। और साथ ही साथ इस पोस्ट में मैंने उसकी रचना ,इसके कार्य ,हड्डियों के प्रकार और मानव शरीर में हड्डियों कि संख्या कितनी हैं ।इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करने वाला हूं।
हड्डियों के बारे में
मानव शरीर का आधारभूत ढाँचा हड्डियों से बना होता है। शरीर की स्थिरता, आकार, आदि का मूल कारण हड्डियां होती है। मूल रूप से हड्डिया नियमित रूप से बढ़ने वाली, अपने आकार को नियमिति करने वाली अपने अन्दर होने वाली किसी भी प्रकार की टूट–फूट को ठीक करने में सक्षम है।मनुष्य का हड्डियों विभिन्न प्रकार के ऊतकों का समूह है।
- अस्थि ऊतक
- उपास्थि
- मेदवह ऊतक
- उपकला ऊतक
- घन संयोजी ऊतक
- नाड़ी वह ऊतक
मांसपेशी, पेशीबन्धन, बन्धनी आदि हड्डियों से लिपटे रहते हैं। मानव शरीर का बाय स्वरूप इसी ढाँचे के अनुरूप होता है। विभिन्न अस्थियाँ जिस स्थान पर आपस में जुड़ी होती है। उस स्थान को संधि कहते है।
हड्डियों के बीच में रिक्त स्थान होते है। जिनमें अस्ती मज्जा भरी होती है। मज्जा एक प्रकार का द्रव है।ये इसमें लाल एवं पीली दो प्रकार की माज्जा होती है। लाल मज्जा में रक्त की लाल एवं सफेद कोशिकाओं का निर्माण होता है। पीली मज्जा में मेद वाही कोशिका होते है।
मानव कंकाल के कार्य
- यह शरीर के सभी कोमल अंगों और मांसपेशियों के लिए एक आधार के रूप में कार्य करती है।
- शरीर के प्रमुख अंगों की सुरक्षा इनका प्रमुख कार्य हैै।
- यह मस्तिष्क, हृदय आदि को बाहरी आघात से सुरक्षा प्रदान करते है।
- यह शरीर को कार्य करने के लिए, चलने फिरने के योग्य बनती है
- यह शरीर के लिए उपयोगी खनिज कैल्शियम, फास्फोरस आदि का संग्रह करते है।
- आवश्यकता के अनुसार खून में खनिज पदार्थों, केल्शियम फास्फोरस को मिला देती है।
- लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण बड़ी हड्डियों के बीच में स्थित लाल मज्जा में होता है।
- पीली मज्जा में Fat जमा होती है।
मानव की हड्डियों के प्रकार एवं आकार
हड्डियों के आकार और संरचना के आधार पर हड्डियों के पाँच प्रकार होते है- लम्बी हड्डियां
- छोटी हड्डियां
- चपटी हड्डियां
- असमाकृति हड्डियां
- कण्डरास्थ
सभी प्रकार की हड्डियों का विस्तार से
लम्बी अस्थियाँ
यह अस्थियाँ लम्बी होती है। इनके बीच के भाग को दण्ड कहते है। इसके दो सिर होते है। यह लम्बाई में बढ़ती है। जैसे उरू अस्थि , प्रगण्डास्थि आदि।
छोटी अस्थियाँ
यह हड्डियाँ लम्बाई, चौड़ाई और मोटाई में लगभग बराबर होती है। यह कलाई में एवं टकनों में पायी जाती है।
चपटी अस्थियाँ
यह चपटे आकार की होती है। जैसे सिर की अस्थियाँ असफलक आदि।
असमाकृति अस्थियाँ
यह विशमाकार अस्थियाँ है और किसी भी प्रकार में नहीं रखी जा सकती ह। जैसे कशेरूका नितम्बास्थि आदि।
कण्डरास्थि
यह कण्डराओं, या जोड़ों में विकसित होने वाली हड्डियाँ है। जैसे जन्वास्थि
हड्डियों की संरचना एवं संगठन
हड्डियों में उपस्थित कोशिकाएंभले ही हड्डियां अन्य अंगों की तरह कोमल न दिखें पर इनमें बढ़ने का और किसी भी प्रकार की टूटफूट को ठीक करने गुण होता हैं।इसका कारण इनमें मौजूदकोशिकाऐं है जो चार प्रकार की होती हैं-
- आस्टिओजैनिक कोशिका
- आस्टिओब्लास्ट कोशिका
- आस्टिओसाइट कोशिका
- आस्टियोक्लास्ट कोशिक
आस्टिओजैनिक कोशिका
आस्टिओजैनिक विभाजन में सक्षम हड्डियों की कोशिका है । यह आस्टिओब्लास्ट का निर्माण करते हैं। यह अस्थि आवरक कला के अन्दरूनी भाग में पाए जाते हैं।
आस्टिओब्लास्ट
आस्टिओब्लास्ट कोशिकाऐं अपने चारों तरफ कोलैजन नामक प्रोटीन और कैल्शियम का स्राव कर हड्डियों का निर्माण करते हैं।
आस्टिओसाइट
आस्टिओसाइट अस्थि निर्माण कर चुकी कोशिकाऐं हैं। जो अस्थियों के बीच में बारीक रिक्त स्थान में होती है। आस्टिओसाइट में कोई विभाजन नहीं होता है।
आस्टियोक्लास्ट
आस्टियोक्लास्ट बड़ी बड़ी कोशिका होती है। इसका कार्य अस्थि को घोलकर सोखना है, जिससे उनका आकार नियंत्रित हो सके।
इनके अलावा हड्डियों में आस्टियोब्लास्ट द्वारा स्रावित कोलेजन नामक प्रोटीन, कैल्शियम कार्बोनेट, कैल्शियम फॉस्फेट, मैग्नीशियम , पोटेशियम जैसे खनिज होते है। व्यस्क की अस्थियों का दो तिहाई हिस्सा खनिज लवणों से ही बना होता है।
कोलेजन से अस्थियों में लचक और खजिन लवणों से मजबूती आती है। इनके कारण ही हड्डियों में स्टील जितनी मजबूती होती है।
मानव के शरीर के विभिन्न अंगों में कितनी कितनी हड्डियां होती है
मनुष्य शरीर में कुल 206 हड्डियाँ पायी जाती है। अंगों के आधार पर इनकी गणना निम्न प्रकार की जा सकती है।
- कपाल में कितनी हड्डी होती है- 8
- चेहरा में कितनी हड्डी होती है- 14
- कान में कितनी हड्डी होती है- 6
- गले में हाइऑइड में कितनी हड्डी होती है - 1
- रीढ़ में कितनी हड्डी होती है - 26
- पसली में कितनी हड्डी होती है- 24
- छाती में कितनी हड्डी होती है- 1
- उध्र्व शाखा (प्रत्येक हाथ मे 30) - 60
- अधो शाखा (प्रत्येक पैर मे 30) - 60
- नितम्बास्थि - 2
- अक्षकास्थि - 2
- स्कन्धास्थि - 2
कुल हड्डियों कि संख्या/योग - 206
इन अस्थियों का विशेष विवरण निम्न प्रकार है –
कपाल की हड्डियांकपाल में कुल 22 अस्थियाँ है। इनको दो हिस्सों में बाँटा जा सकता है। कपाल अस्थि, चेहरे अस्थियाँ। कपाल की अस्थियाँ, मस्तिष्क को सुरक्षा प्रदान करती है।
चेहरे की हड्डियां निम्न है।
- नासास्थि – 2
- उध्र्वहन्वास्थि – 2
- कपोलास्थि – 2
- अधोहन्वास्थि – 2
- अश्रुअस्थि – 2
- तालु अस्थि – 2
- अध: शुक्तिकास्थि – 2
- नासाफलकास्थि – 1
कुल – 14
इनमें से केवल अधोहन्वास्थि ही चल संधि युक्त है। कपाल अस्थियाँ 8 है।
- ललाटास्थि
- पािश्र्वकास्थि
- शंखास्थि
- पश्च कपालास्थिअ
- कीलकास्थि
- झर्झरास्थि
इसके अलावा सिर में कान की अस्थियाँ भी मिलती हैं जो तीन अस्थियों का जोड़ा है – मुद्गर ,नेहाई ,रकाब
कपाल में दो रन्ध्र भी मिलते है। ब्रहम्रन्ध्र और अधिपति रन्ध्र। यह बच्चों में एक वर्ष होने तक भर जाते है।
गर्दन की हड्डियां
गर्दन में कुल आठ अस्थियाँ होती है। जिसमें एक आगे की तरफ श्वास नलिका के आगे की तरफ होती है। जिसे हाइआइड अस्थि कहते हैं। बाकी सात ग्रीवा कशेरूका है जिनके बीच में कशेरूका रन्ध्रक होता है। इसमें से सुशुम्ना नाड़ी रहती है।
वक्ष की हड्डियां
वक्ष के बीचों बीच आगे की तरफ उर्वास्थि होता है। यह चपटी अस्थि है।
पसलियाँ आगे की तरफ इसी अस्थि से जुड़ी रहती है। पसलियाँ उर्वास्थि के दोनों तरफ 12 की संख्या होती है। जिनमें से ऊपर की 10 उर्वास्थि से जुड़ी रहती है। बाकी की 2 जिन्हें फ्लोटिंग रिब्स कहते हैै यह उर्वास्थि से नहीं जुड़ी होती है। पीछे की ओर यह 12 वक्षीय कशेकरूकाओं से जुड़ी रहती है। इनका कार्य हृदय और फेफड़ों की रक्षा करना है। कशेरूका के कशेरूक रन्ध्रक से सुशुम्ना नाड़ी होती है। इनके अलावा एक अक्षकास्थि और एक स्कन्धास्थि भी है।
भुजाओं की हड्डियां
हर भुजा में सबसे ऊपर की तरफ प्रगण्डास्थि होती है। जो स्कन्धास्थि से जुड़ा रहता है। इस सन्धि को स्कन्ध संधि कहते है। नीचे की तरफ प्रण्डास्थि बहि:कोश्ठाअस्थि एवं अन्त: प्रकोश्ठास्थि से जुड़ी होती है। इस संधि को कूर्पर संधि कहते है। हाथ की कलाई 8 मणिबन्ध की अस्थियाँ से बनती है। यह 8 अस्थियाँ चार–चार अस्थियों की दो पंक्तियों में लगी होती है। इन अस्थियों से हथेली की 5 शलाकास्थियाँ जुड़ी होती है। जिनके अग्रभाग में अंगुलियों की अस्थियाँ होती है। हर अंगुली में तीन अंगुलास्थि होती है और अंगूठे में दो अंगुलास्थि होती है।
उदर एवं श्रोणी की हड्डियां
उदर में केवल पाँच कशेरूका होती है। जिसके रन्ध्रक में सुशुम्ना नाड़ी सुरक्षित रहती है।
श्रोणी में दो नितम्बास्थि एक त्रिकास्थि और एक अनुत्रिकास्थि होती है। त्रिकास्थि अनुत्रिकास्थि में सुशुम्ना की नाड़ियाँ सुरक्षित रहती है। पैर उर्वास्थि नितम्बास्थियों से जुड़ी रहती है।
टाँगों की हड्डियां
जाँघ की अस्थि को उर्वास्थि फीमर (Femur) कहते है। यह नितम्बास्थि से जुड़ी होती है नीचे की तरफ यह अन्तर्जघास्थि (Tibia) और बहिर्जघास्थि (Fibula) से जुड़ी होती है। इसी जोड़ में ऊपर की तरफ जान्वास्थि (Patella) होती है। एड़ी में 7 गुल्फास्थियाँ (Tarsals) होती है। इनसे 5 अनुगुल्फास्थियाँ (Mehatarsals) जुड़ी होती है। इनसे प्रत्येक पैर की अंगुली की तीन अंगुलास्थियाँ और पैर के अंगूठे से दो अंगुलास्थि जुड़ी होती है। इस प्रकार मनुष्य के कंकाल में कुल 206 हड्डियाँ होती है।
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