मानव फेफड़े के बारे में । फेफड़ों की संरचना । कार्य प्रणाली । फेफड़े का चित्र
हेलो दोस्तों आज मैं आपको मानव के फेफड़ों के बारे में बताने जा रहा हूं। इसमें मैं फेफड़ों की संरचना के साथ-साथ फेफड़ों की कार्यप्रणाली के बारे में भी बताऊंगा और साथ ही साथ इस का नामांकित चित्र भी इस पोस्ट में नीचे दे दूंगा। जिससे आपको फेफड़े के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त हो सके, फेफड़ों के बारे में समस्त प्रकार की जानकारी इसमें देने की पूरी कोशिश की है।
मानव फेफड़ा का चित्र सहित वर्णन
वायु या हवा में सांस लेने वाले सभी प्राणियों का सांस लेने के लिए मुख्य अंग फेफड़ा ही होता है। यह प्राणियों में एक जोडे़ के रूप मे उपस्थित होता है। फेफड़े की दीवारों में असंख्य गुहिकाओं होती है, जिसकी उपस्थिति के कारण स्पंजी होती है। यह वक्षगुहा में स्थित होता है। इसमें खून का शुद्धीकरण होता है।
प्रत्येक फेफड़ा में एक फुफ्फुसीय शिरा हिया से अशुद्ध खून लाती है। फेफड़े में खून का शुद्धीकरण होता है। खून में ऑक्सीजन का मिश्रण होता है। फेफडो़ का मुख्य काम वातावरण से प्राणवायु लेकर उसे खून के परिसंचरण मे प्रवाहित करना या मिलना और रक्त से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर उसे वायू में छोड़ना है। गैसों का यह विनिमय असंख्य छोटे छोटे पतली दीवारों वाली वायु पुटिकाओं जिन्हें अल्वियोली कहा जाता है, मे होता है। यह शुद्ध रक्त फुफ्फुसीय धमनी द्वारा हिया में पहुँचता है, जहां से यह फिर से शरीर के विभिन्न अवयवों मे पम्प किया जाता है।
मानव फेफड़ों का परिचय
फेफड़े श्वास प्रणाली के सबसे महत्वपूर्ण अंग होते हैं। ये बहुत सारे ऊतकों का एक समूह हैं, जो डायाफ्राम के ऊपर, पंजर हड्डियों के नीचे, एवं ह्रदय के दाएं बाएं हिस्से की और में मौजूद होते हैं। शरीर के गंदगियों जैसे मैल,पसीना आदि को रोकने में इन फेफड़ों कि प्रमुख भूमिका होती हैं।
मानव फेफड़ों की संरचना
किसी भी इंसान के दोनों फेफड़े बराबर आकार की नहीं होते है । दायाँ फेफड़ा बाएं फेफड़े की तुलना में अधिक फैला होता है। दाएं फेफड़े के नीचे जिगर या लिवर या यकृत मौजूद रहता है। उसके लिए जगह बनाने की लिए इस फेफड़े का आकार थोड़ा कम रहता है।
पुरुष के फेफड़े महिलाओं के फेफड़ों से ज्यादा हवा भर सकते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबित पुरुष के फेफड़े 750 क्यूबिक सेंटीमीटर तक हवा धारण करके रख सकते हैं। जबकि महिलाओं की 280-300 क्यूबिक सें. मी. तक हवा धारण करने में सक्षम हैं। एक स्वस्थ व्यक्ति का फेफड़ा पूरी तरह से 70 प्रतिशत तक उपयोग हो पता है।
अमेरिकन लंग असोसिअशन की सर्वे की अनुसार एक साधारण इंसान एक मिनट में 15 से 20 बार सांस लेता है। यानी पूरे दिनभर में 20,000 बार तक सांस लेता है। वयस्कों की मुकाबले छोटे बच्चे जल्दी जल्दी सांस लेते हैं। वे एक मिनट में 40 बार तक सांस लेते हैं।
दाएं फेफड़े को तीन भागों में विभाजित किया गया है, जिसे लोब कहते हैं। बाएं फेफड़े की दो लोब होते हैं। ये लोब स्पंज की जैसे ऊतक होते हैं। जो प्लेउरा नामक झिल्ली या मेम्ब्रेन से घिरे रहते हैं। हर फेफड़े का अपना प्लेउरा ऊतकों का समूह रहता है। यही वजह है कि अगर एक फेफड़ा ख़राब हो तो दूसरा अच्छे से काम करने में सक्षम है।
फेफड़ों की कार्य प्रणाली
1)फेफड़े जब फैलते हैं, तो वे शरीर में हवा खींचने का काम करते हैं।
2) जब वे सिकुड़ते हैं तो शरीर द्वारा बनाये गए गैस कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं।
3) कार्बन डाइऑक्साइड गैस का शरीर में कोई काम नहीं रहता।
4)इनके पास कोई मांसपेशी नहीं होता जो हवा लेने और छोड़ने का कार्य करता हो।
5)डायाफ्राम एवं पंजर हड्डियां (रिब बोन्स) सांस लेने की काम में फेफड़ों कि मदद करते हैं।
2) जब वे सिकुड़ते हैं तो शरीर द्वारा बनाये गए गैस कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं।
3) कार्बन डाइऑक्साइड गैस का शरीर में कोई काम नहीं रहता।
4)इनके पास कोई मांसपेशी नहीं होता जो हवा लेने और छोड़ने का कार्य करता हो।
5)डायाफ्राम एवं पंजर हड्डियां (रिब बोन्स) सांस लेने की काम में फेफड़ों कि मदद करते हैं।
6)जब इंसान नाक की द्वारा सांस लेता है, तो हवा गले में ट्रेकिआ नामक अंग में जाती है, जिसको विंडपाइप भी कहा जाता है।
7)आगे जाके ट्रेकिआ कई रास्तों में विभाजित हो जाता है, जिसको ब्रोन्कियल ट्यूब कहते हैं। 8)ब्रोन्कियल ट्यूब दोनों फेफड़ों में पहुँच कर फिर कई भागों में विभाजित हो जाते हैं, जिनको ब्रोंकिओल कहा जाता है।
9) इसके अंदर हवा कि एक थैली मौजूद रहती है, जिसे अल्विओली कहते हैं। इनकी कुल संख्या 480 मिलियन रहती है।
10)अल्विओली के दीवारों पर कई केपिलरी वेन पाए जाते हैं।
11)ऑक्सीजन अल्विओली की द्वारा केपिलरी वेन में जाते हैं, फिर रक्त की ओर प्रवाहित कर दिए जाते हैं।
12)इस प्रतिक्रिया को गैस एक्सचेंज कहते हैं। ब्रोन्कियल ट्यूब की चारों ओर सिलिया नाम की परत रहती है, जो फेफड़ों के गंदगियों को दूसरे अंगों तक फैलने से रोकती है।
7)आगे जाके ट्रेकिआ कई रास्तों में विभाजित हो जाता है, जिसको ब्रोन्कियल ट्यूब कहते हैं। 8)ब्रोन्कियल ट्यूब दोनों फेफड़ों में पहुँच कर फिर कई भागों में विभाजित हो जाते हैं, जिनको ब्रोंकिओल कहा जाता है।
9) इसके अंदर हवा कि एक थैली मौजूद रहती है, जिसे अल्विओली कहते हैं। इनकी कुल संख्या 480 मिलियन रहती है।
10)अल्विओली के दीवारों पर कई केपिलरी वेन पाए जाते हैं।
11)ऑक्सीजन अल्विओली की द्वारा केपिलरी वेन में जाते हैं, फिर रक्त की ओर प्रवाहित कर दिए जाते हैं।
12)इस प्रतिक्रिया को गैस एक्सचेंज कहते हैं। ब्रोन्कियल ट्यूब की चारों ओर सिलिया नाम की परत रहती है, जो फेफड़ों के गंदगियों को दूसरे अंगों तक फैलने से रोकती है।
फेफड़ों के लिए स्वस्थ की सलाह/ उपाय
फेफड़ों को स्वस्थ रखना बहुत जरुरी है। डॉक्टरों का ऐसा मानना है कि श्वशन व्यायाम करने से, धूम्रपान छोड़ देने से, सही खाना खाने से एवं बहुत सारा पानी पीने से फेफड़ों कि बीमारी से काफी हद तक बचा जा सकता है।
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