परमाणु क्या होता हैं । परमाणु की संरचना

परमाणु संरचना तथा उससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

Atomic structure and some important facts related to it.

आज हम इस पोस्ट में परमाणु संरचना के बारे में जानकारी देखेंगे,इसमें हम परमाणु,अणु,परमाणु भार ,अणु भार, मोल संख्या,समस्थानिक,समभारिक की पूरी परिभाषा और यह किसे कहते हैं। सभी इस तरह से सरलता पूर्वक बताया है।
Atomic structure and some important facts related to it

                       परमाणु संरचना

परमाणु(Atom):- परमाणु , तत्व का वह छोटा से छोटा कण हैं , जो किसी भी रासायनिक अभिक्रिया में भाग ले सकता हैं  परन्तु स्वतंत्र अवस्था में नहीं रह सकता हैं।

अणु(Molecules) :- तत्व तथा योगिक का वह छोटा से छोटा कण जो स्वतंत्र अवस्था में रह सकता हैं , अणु कहलाता हैं।

परमाणु भार :- किसी भी तत्व का परमाणु - भार वह संख्या हैं , जो यह प्रदर्शित करता है की तत्व का एक परमाणु , कार्बन-12 के परमाणु के 1/12 भाग के द्रव्यमान अथवा हाइड्रोजन के 1.008 भाग  द्रव्यमान से कितना गुना भरी हैं।

अणु भार :- किसी पदार्थ का अणुभार वह संख्या हैं जो यह प्रदर्शित करें की उस पदार्थ का एक अनु कार्बन -12 के एक परमाणु के 1/12 भाग से कितना गुना भारी हैं।

मोल धारणा :- एक मोल किसी भी निश्चित सूत्र वाले पदार्थ की  वह राशि हैं , जिसमे इस पदार्थ के इकाई - सूत्र की संख्या उतनी ही हैं , जिनकी शुद्ध कार्बन -12 आइसोटोप के ठीक 12 ग्राम में परमाणुओं की संख्या  होती हैं।

मोल इकाई का मान :- मोल का मान 6.022*10 की घात २३ हैं।  कार्बन के 12 ग्राम या एक मोल में 6.022*10 की घात 23 परमाणु है।  6.022*10 की घात 23 को आवोगाड्रो संख्या कहते हैं।


मोल संख्या एवं द्रव्यमान दोनों का प्रतीक हैं।  सन 1967 में मोल को इकाई के रूप में स्वीकार किया गया।

20वीं शताब्दी में आधुनिक खोजो के परिणामस्वरूप जे० जे० थॉमसन , ररदरफोर्ड , चैडविक आदि वैज्ञानिको ने यह सिद्ध कर दिया की परमाणु विभाज्य हैं तथा मुख्यतः तीन मूल कणो से मिलकर बना होता हैं , जिन्हे इलेक्ट्रॉन , प्रोटोन , तथा न्यूट्रॉन कहते हैं।

परमाणु क्रमांक :- किसी तत्व के परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों की संख्या को परमाणु क्रमांक कहते हैं।

द्रव्यमान संख्या : - किसी परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों और न्यूट्रॉनों की संख्याओं का योग  उस परमाणु  की द्रव्यमान संख्या कहलाती हैं।

द्रव्यमान संख्या = प्रोटॉनों की संख्या + न्यूट्रॉनों की संख्या

क्वांटम संख्या :- स्पेक्ट्रम रेखाओ की सूक्ष्म प्रकृति समझने तथा इलेक्ट्रॉन की ठीक - ठीक स्थिति का वर्णन करने हेतु चार क्वांटम संख्याओं का प्रयोग किया जाता हैं , ये हैं


सूक्ष्म क्वांटम संख्या :- "n " यह इलेक्ट्रॉन के मुख्य ऊर्जा स्तर को प्रदर्शित करती हैं।

दिगंशी क्वांटम संख्या :- " l " यह इलेक्ट्रॉन कक्षक की आकृति को प्रकट करती हैं।  इसका न्यूनतम मान शून्य तथा अधिकतम मान (n-1) होता हैं।

चुंबकीय क्वांटम संख्या :- " m " यह उप ऊर्जा स्तरों  के कक्षकों को प्रदर्शित करती हैं।  m का मान l के मान पर निर्भर करता हैं। किसी l के लिए m का मान +1 से लेकर -1 तक होते हैं।  (शून्य सहित )

चक्रण क्वांटम संख्या :- " s " यह इलेक्ट्रॉन के चक्रण की दिशा को प्रदर्शित करती हैं।  किसी चुंबकीय क्वांटम संख्या (m) के लिए चक्रण क्वांटम संख्या (s) का मान +1/2 और -1/2 होता हैं।
समस्थानिक :- समान परमाणु क्रमांक परन्तु भिन्न परमाणु द्रव्यमानो के परमाणुओं को समस्थानिक कहते हैं।  संस्थानिको में प्रोटोन की संख्या समान होती हैं , किन्तु न्यूट्रॉन की संख्या भिन्न होती हैं।  जैसे -1H1, 1H2, 1H3 समस्थानिक हैं।

सबसे अधिक समस्थानिको वाला तत्व पॉलोनियम हैं।

समभारिक :- समान परमाणु द्रव्यमान परन्तु भिन्न परमाणु क्रमांक के परमाणुओं को समभारिक कहते हैं जैसे - 18 ऑर्गन 40 , 19पोटेशियम 40 , 20 कैल्सियम 40 समभारिक हैं।
परमाणु
समन्यूट्रोन :- जिन परमाणुओं में न्यूट्रॉनों की संख्या समान होती हैं , उन्हें समन्यूट्रॉनिक कहते हैं।  जैसे 1 हाइड्रोजन 3 , और  2 हीलियम 4 इन दोनों परमाणुओं के नाभिक में न्यूट्रॉनों की संख्या दो दो होती हैं। 

समइलेक्ट्रॉनिक :- जिन आयनो और परमाणुओं के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान होते हैं , उन्हें समइलेक्ट्रॉनिक  कहते हैं।  समइलेक्ट्रॉनिक परमाणुओं और आयनो में इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होती हैं।  जैसे नियोन , सोडियम+, मैग्नीशियम++, और एल्युमीनियम+++ समइलेक्ट्रॉनिक हैं। 
पाउली का अपवर्जन का नियम :- इसके अनुसार एक दिए गए परमाणु में किन्ही दो इलेक्ट्रॉनो के लिए चारो क्वांटम संख्याओं का मान समान नहीं हो सकता।प्राणी विज्ञान के लिए यहाँ क्लिक करें   अतः यदि दो इलेक्ट्रॉन n, l, और m के मान एक ही हो , तो उनका चक्रण विपरीत होगा।

हुण्ड का अधिकतम बहुलता का नियम :- इसके  अनुसार इलेक्ट्रॉन तब तक युग्मित नहीं होते जब तक की रिक्त कक्षक प्राप्य हैं अर्थात जब तक संभव हैं , इलेक्ट्रॉन अयुग्मित रहते हैं।
हाइजेनबर्ग का अनिश्चितता सिद्धांत :- इसके अनुसार किसी कण की स्थिति और वेग का एक साथ यथार्थ निर्धारण असंभव हैं।

ऑफबाऊ नियम :- इस नियम द्वारा तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखने के लिए विभिन्न परमाणु कक्षको की ऊर्जा का क्रम इस प्रकार हैं.