साबुन बनाने की विधि जाने

साबुन बनाने की विधि जाने / sabun banane ki vidhi


आज के इस लेकिन मैं आपके लिए बहुत सारे साबुन बनाने की विधि के बारे में बताने जा रहा हूं। इस की निर्माण विधि बहुत ही अच्छी तरीके से बताया गया है। जो कि आपके लिए बहुत ही मददगार और कारगर साबित होगा जिसे आप हमेशा याद रखें। और कभी-कभी हमसे साबुन बनाने की विधि पूछ लिए जाते हैं। जिसके लिए हमें कभी कभी बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।
साबुन बनाने की विधि जाने


साबुन क्या है

साबुन उच्च अणु भार वाले कार्बनिक वसा युक्त अम्लों के सोडियम अथवा पोटैशियम लवण होते है। मृदु साबुन का सूत्र और कठोर साबुन का सूत्र है। साबुनीकरण की क्रिया में वनस्पति तेल अथवा वसा एवं कास्टिक सोडा अथवा कास्टिक पोटाश के जलीय घोल को गरम करके रासायनिक प्रतिक्रिया के द्वारा साबुन को बनाया जाता है तथा यह ग्लीसराल मुक्त होता है।

वसा या वसीय अम्ल + NaOH या KOH → साबुन + ग्लीसराल

साधारण तापक्रम पर साबुन नरम ठोस एवं अवाष्पशील पदार्थ(metter) है। यह कार्बनिक मिश्रण जल में घुलकर झाग का निर्माण करता है। साबुन का जलीय घोल क्षारीय होता है जो लाल लिटमस को नीला कर देता है।


साबुन के बारे में कुछ तथ्य


1) साबुन, बसा अम्लों के जलविलेय लवण हैं। 2)ऐसा वसा अम्लों में 6 से 22 कार्बन परमाणु रह सकते हैं।
3)साधारणतया वसा अम्लों से साबुन नहीं तैयार होता।
4)वसा अम्लों के ग्लिसराइड प्रकृति में तेल और वसा के रूप में पाए जाते हैं।
5)इन ग्लिसराइडों से ही दाहक सोडा के साथ द्विक अपघटन से संसार का अधिकांश साबुन तैयार होता है।
6)साबुन के निर्माण में उपजात के रूप में ग्लिसरीन प्राप्त होता है जो बड़ा उपयोगी पदार्थ है।
7)उत्कृष्ट कोटि के शुद्ध साबुन बनान के दो क्रम हैं: एक क्रम में तेल और वसा का जल अपघट होता है जिससे ग्लिसरीन और वसा अम्ल प्राप्त होते हैं।
8)आसवन से वसा अम्लों का शोधन हो सकता है। दूसरे क्रम में वसा अम्लों को क्षारों से उदासीन करते हैं।
9)कठोर साबुन के लिए सोडा क्षार और मुलायम साबुन के लिए पोटैश क्षार इस्तेमाल करते हैं।
10)साबुन कपड़े धोने एवं नहाते समय शरीर की सफाई में प्रयुक्त होता है।
11)ऐतिहासिक रूप से यह ठोस या द्रव के रूप में उपलब्ध है।
12)आजकल साबुन का स्थान अन्य सफाई करने वाले उत्पादों ने लिया है, जैसे संश्लेषित डिटर्जेंट आदि।
13)सोडियम साबुन कड़ा होता है इसलिए कपड़ा धोने के लिए इसका उपयोग होता है एवं पोटैशियम साबुन मुलायम होता है इसलिए इसका उपयोग शरीर धोने के लिए, त्वचा को मुलायम रखने एवं दाढ़ी बनाने में होता है।
14)कार्बोलिक साबुन का उपयोग त्वचा रोगों के इलाज में तथा जीवाणुनाशक के रूप में किया जाता है। इसमें 0.5 प्रतिशत फेनाल होता है, इसे औषधीय साबुन भी कहते हैं
15)सल्फर युक्त साबुन का उपयोग भी त्वचा रोगों में किया जाता है। एल्यूमीनियम साबुन का उपयोग वाटर प्रूफिंग में होता है।


साबुन बनाने के लिये कच्चे माल 

बड़ी मात्रा में साबुन बनाने में तेल और वसा इस्तेमाल होते हैं। तेलों में महुआ, गरी, बिनौले, तीसी मूँगफली, ताड़, ताड़ गुद्दी, जैतून और सोयाबीन के तेल तथा जांतव तैलों और वसा में मछली और ह्वेल की चरबी और हड्डी के ग्रीज अधिक महत्व के हैं। इन तेल तथा वसा के अतिरिक्त रोज़िन भी इस्तेमाल होता है।

अधिकांश साबुन एक तेल से नहीं बनते, यद्यपि कुछ तेल ऐसे हैं जिनसे साबुन बन सकता है। अच्छे साबुन के लिए कई तेलों अथवा तेलों और चरबी को मिलाकर इस्तेमाल करते हैं। अलग अलग कामों के लिए अलग अलग प्रकार के साबुन बनते हैं।
धुलाई के लिए साबुन सस्ता होना चाहिए। नहाने वाला साबुन महंगा भी रह सकता है। तेलों के वसा अम्लों के टाइटर, तेलों के आयोडीन मान, साबुनीकरण मान एवं रंग महत्व के हैं। टाइटर के साबुन की विलेयता का, आयोडीन मान से तेलों की असंतृप्ति का और साबुनीकरण मान से वसा अम्लों के अणुभार का पता लगता है तथा कुछ के लिए ऊँचे टाइटर वाला।
असंतृप्त वसा अम्लों वाला साबुन रखने से साबुन में से पूतिगंध आती है। कम अणुभार वाले अम्लों के साबुन चमड़े पर मुलायम नहीं होते।
तेल के रंग पर ही साबुन का रंग निर्भर करता है। सफेद साबुन के लिए तेल और रंग की सफाई नितांत आवश्यक है। तेल की सफाई तेल में थोड़ा सोडियम हाइड्रॉक्साइट का विलयन डालकर गरम करने से होती है।
तेल के रंग की सफाई तेल को वायु के बुलबुले और भाप पारित कर गरम करने से अथवा सक्रियित सरंध्र फुलर मिट्टी के साथ गरम कर छानने से होती है। साबुन में रोज़िन के अम्ल का सोडियम लवण बनता है। यह साबुन सा ही काम करता है। रोज़िन की मात्रा 25 प्रतिशत से अधिक नहीं रहनी चाहिए।
सामान्य साबुन में यह मात्रा प्राय: 5 प्रतिशत रहती है। साबुन के चूर्ण में रोज़िन नहीं रहता। रोज़िन से साबुन में पूतिगंध नहीं आती। साबुन को मुलायम अथवा जल्द घुलने वाला और चिपकने वाला बनाने के लिए उसमें थोड़ा अमोनिया या ट्राइ इथेनोलैमिन मिला देते हैं। हजामत बनाने में प्रयुक्त होने वाले साबुन में उपर्युक्त रासायनिक द्रव्यों को अवश्य डालते हैं।


साबुन बनाने की विधि यह है

साबुन बनाने की विधि जाने

1)सबसे पहले 40 किलो नूडल्स को मिक्सर मशीन में टूटने के लिए छोड़ दे,
2)उसके बाद मिक्सर में स्टोन पाउडर डालना होता है ध्यान रहे स्टोन पाउडर रॉ मटेरियल की मात्रा का 3 % ही डाला जाता है। यानी यदि 40 किलो रॉ मटेरियल है तो 1.4 kg ही स्टोन पाउडर डालें
3)इसके बाद आप मिक्सर में कलर तथा परफ्यूम डाल सकते है। इसे रॉ मटेरियल की मात्रा का 1% डाला जाता है।
4)मिक्सर में सभी सामग्री अच्छे से मिक्स हो जाने पर तैयार मटेरियल को मिलर मशीन में डाल दे
5)मिलर मशीन में 40 किलो मटेरियल को बारीक करने में लगभग आधा लीटर पानी इस्तेमाल होता है।
6)इसके बाद शॉप प्रिंटिंग मशीन की सहायता से साबुन तैयार कर लें

या
साबुन बनाने की विधि यह

1)साबुन बनाने के लिए तेल या वसा को दाहक सोडा (कास्टिक सोडा) के विलयन के साथ मिलाकर बड़े बड़े कड़ाहों या केतली में उबालते हैं।
2)कड़ाहे अलग अलग आकार के हो सकते हैं। साधारणतया 10 से 150 टन जलधारिता के ऊर्ध्वाधार सिलिंडर मृदु इस्पात के बने होते हैं। ये भापकुंडली से गरम किए जाते हैं। धारिता के केवल 1/3 ही तेल या वसा से भरा जाता है।
3)कड़ाहे में तेल और क्षार मिलाने और गरम करने के तरीके अलग अलग कारखानों में भिन्न-भिन्न हो सकते हैं।
4) कहीं- कहीं कड़ाहे मे तेल रखकर गरम कर उसमें सोडा द्राव डालते हैं। कहींकहीं एक ओर से तेल ले आते और दूसरी ओर सोडा विलयन ले आकर गरम करते हैं। प्राय: 8 घंटे तक दोनों को जोरों से उबालते हैं।
5)अधिकांश तेल साबुन बन जाता है और ग्लिसरीन उन्मुक्त होता है। अब कड़ाहें में नमक डालकर साबुन का लवणन कर निथरने को छोड़ देते हैं।
6)साबुन ऊपरी तल पर और जलीय द्राव निचले तल पर अलग-अलग हो जाता है। निचले तल के द्राव में ग्लिसरीन को निकाल लेते हैं।
7)साबुन में क्षार का सांद्र विलयन (8 से 12 प्रतिशत) डालकर तीन घंटे तक फिर गरम करते हैं। इसे साबुनीकरण परिपूर्ण हो जाता है।
8)साबुन को फिर पानी से धोकर 2 से 3 घंटे उबालकर थिराने के लिए छोड़ देते हैं। 36 से 72 घंटे रखकर ऊपर के स्वच्छ चिकने साबुन को निकाल लेते हैं।
9)ऐसे साबुन में प्राय: 33 प्रतिशत पानी रहता है। यदि साबुन का रंग कुछ हल्का करना हो, तो थोड़ा सोडियम हाइड्रोसल्फाइट डाल देते हैं।
10)इस प्रकार साबुन तैयार करने में 5 से 1/ दिन लग सकते हैं। 24 घंटे में साबुन तैयार हो जाए ऐसी विधि भी अब मालूम है।
11)इसमें तेल या वसा को ऊँचे ताप पर जल अपघटित कर वसा अम्ल प्राप्त करते और उसको फिर सोडियम हाइड्रॉक्साइड से उपचारित कर साबुन बनाते हैं।
12)साबुन को जलीय विलयन से पृथक् करने में अपकेंदित्र का भी उपयोग हुआ है। आज ठंडी विधि से भी थोड़ा गरम कर सोडा विलयन के साथ उपचारित कर साबुन तैयार होता है।
13)ऐसे तेल में कुछ असाबुनीकृत तेल रह जाता है। तेल का ग्लिसरीन भी साबुन में ही रह जाता है। यह साबुन निकृष्ट कोटि का होता है, पर अपेक्षया सस्ता होता है।
14)अर्ध-क्वथन विधि से भी प्राय: 80 डिग्री सेल्सियस तक गरम करके साबुन तैयार हो सकता है। मुलायम साबुन, विशेषत: हजामत बनाने के साबुन, के लिए यह विधि अच्छी समझी जाती है।
15)यदि कपड़ा धोने वाला साबुन बनाना है, तो उसमें थोड़ा सोडियम सिलिकेट डालकर, ठंढा कर, टिकियों में काटकर उस पर मुद्रांकण करते हैं।
16)ऐसे साबुन में 30 प्रतिशत पानी रहता है। नहाने के साबुन में 10 प्रतिशत के लगभग पानी रहता है। पानी कम करने के लिए साबुन को पट्टवाही पर सुरंग किस्म के शोषक में सुखाते हैं।
17)यदि नहाने का साबुन बनाना है, तो सूखे साबुन को काटकर आवश्यक रंग और सुगंधित द्रव्य मिलाकर पीसते हैं, फिर उसे प्रेस में दबाकर छड़ (बार) बनाते और छोटा-छोटा काटकर उसको मुद्रांकित करते हैं।
18)पारदर्शक साबुन बनाने में साबुन को ऐल्कोहॉल में घुलाकर तब टिकिया बनाते हैं।
19)धोने के साबुन में कभी-कभी कुछ ऐसे द्रव्य भी डालते हैं जिनसे धोने की क्षमता बढ़ जाती है। इन्हें 'निर्माण द्रव्य' कहते हैं।
20)ऐसे द्रव्य सोडा ऐश, ट्राइ-सोडियम फ़ास्फ़ेट, सोडियम मेटा सिलिकेट, सोडियम परबोरेट, सोडियम परकार्बोनेट, टेट्रा-सोडियम पाइरों-फ़ास्फ़ेट और सोडियम हेक्सा-मेटाफ़ॉस्फ़ेट हैं।
21)कभ कभी ऐसे साबुन में नीला रंग भी डालते हैं जिससे कपड़ा अधिक सफेद हो जाता है। भिन्न-भिन्न वस्त्रों, रूई, रेशम और ऊन के तथा धातुओं के लिये अलग-अलग किस्म के साबुन बने हैं।
22)निकृष्ट कोटि के नहाने के साबुन में पूरक भी डाले जाते हैं: पूरकों के रूप में केसीन, मैदा, चीनी और डेक्सट्रिन आदि पदार्थ प्रयुक्त होते है।
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हा तो में अब आशा करता हूं, कि आपने यह साबुन बनाने की विधि जो कि आपको बहुत ही मददगार और अच्छी तरीके से समझ आया होगा यदि आपको यह अच्छा लगा हो तो वैसे तो आप नीचे कमेंट या इसे शेयर नहीं करेंगे, लेकिन फिर भी मेरी यह आपसे आशा रहेगी कि आप इसे साबुन बनाने की विधि को शेयर अपने दोस्तों के साथ शेयर करें, और इसे नीचे कमेंट करें ताकि हमें भी आपके द्वारा दी गई कमेंट के जवाब देने के लिए तत्पर रहें। और आपको अच्छी से अच्छी जानकारी विस्तार पूर्वक देने की हमारी कोशिश सफल हो सके।

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