महाजनपद के नाम । इनकी राजधानी । महाजनपद काल के महत्वपूर्ण टॉप प्रश्न जानकारी । महाजनपदों का उदय

महाजनपद के नाम । इनकी राजधानी । महाजनपद काल के महत्वपूर्ण टॉप प्रश्न जानकारी । महाजनपदों का उदय 

आज के इस लेख में मैं आपको महाजनपद के बारे में जानकारी देने जा रहा हूं। साथ ही साथ मै इसमें इनकी राजधानी और इसके मुख्य प्रश्नों को भी इसमें शामिल कर रहा हूं । आप इस लेख को पूरा पड़े और महाजनपद के उदय से लेकर सभी प्रकार के प्रश्नों का जवाब हासिल कर।

महाजनपद:-

प्राचीन भारत में राज्य या प्रशासनिक इकाईयों को महाजनपद कहते थे। उत्तर वैदिक काल में कुछ जनपदों का उल्लेख मिलता है। बौद्ध ग्रंथों में इनका कई बार उल्लेख हुआ है।
महाजनपद के नाम । इनकी राजधानी । महजनपद काल के महत्वपूर्ण टॉप प्रश्न जानकारी । महाजनपदों का उदय

ईसा पूर्व 4वीं 5वीं शताब्दी को प्रारम्भिक भारतीय इतिहास में एक प्रमुख मोड़ के रूप में माना जाता है। जहाँ सिन्धु घाटी की सभ्यता के पतन के बाद भारत के पहले बड़े शहरों के उदय के साथ साथ श्रमण आंदोलनों (बौद्ध धर्म और जैनधर्म सहित) का महाजनपद का उदय हुआ।


महाजनपदों का उदय

बुद्ध के जन्म के पूर्व 6ठी शताब्दी ईसा पूर्व में भारतवर्ष 16 जनपदों में बँटा हुआ था। इसकी जानकारी हमें बौद्धग्रंथ अंगुत्तर निकाय
से मिलती है।


सभी महाजनपद के नाम उनकी राजधानी और वर्तमान स्थिति नीचे लिस्ट में दी गई है।



महाजनपद - राजधानी -  वर्तमान स्थिति  

अंग         चंपा            भागलपुर, मुंगेर (बिहार)

मगध       गिरिब्रज /राजगृह पटना, गया (बिहार)

काशी     वाराणसी      वाराणसी के आस-पास (उत्तर प्रदेश)

वत्स       कौशाम्बी      इलाहाबाद के आस-पास, (उत्तर प्रदेश)

वज्जि     वैशाली/विदेह/मिथिला मुजफ्फरपुर एवं दरभंगा के आस-पास का क्षेत्र

कोशल     श्रावस्ती       फैजाबाद (उत्तर प्रदेश)

अवन्ति     उज्जैन/महिष्मती  मालवा (मध्य प्रदेश)

मल्ल          कुशावती     देवरिया (उत्तर प्रदेश)

पंचाल       अहिच्छत्र, काम्पिल्य  बरेली, बदायूँ, फर्रूखाबाद (उ. प्रदेश)

चेदि          शक्तिमती    बुंदेलखंड (उत्तर प्रदेश)

कुरु          इन्द्रप्रस्थ      आधुनिक दिल्ली, मेरठ एवं हरियाणा के कुछ क्षेत्र

मत्स्य        विराटनगर    जयपुर (राजस्थान) के आस-पास के क्षेत्र

कम्बोज      हाटक          राजोरी एवं हजारा क्षेत्र (उत्तर प्रदेश)

शूरसेन       मथुरा            मथुरा (उत्तर प्रदेश)

अश्मक     पोटली/पोतन    गोदावरी नदी क्षेत्र (द. भारत का एक मात्र जनपद)

गान्धार      तक्षशिला       रावलपिंडी एवं पेशावर (पाकिस्तान)

कुछ प्रमुख महाजनपदों का विस्तार में वर्णन



अवन्ति महाजनपद

आधुनिक मालवा ही प्राचीन काल की अवन्ति है। इस जनपद के दो भाग थे उत्तरी अवन्ति और दक्षिणी अवन्ति।उत्तरी अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी और दक्षिणी अवन्ति की राजधानी माहिष्मति थी । प्राचीन काल में यहाँ हैहयवंश का शासन था।


अश्मक या अस्सक महाजनपद

दक्षिण भारत का एकमात्र महाजनपद। नर्मदा और गोदावरी नदियों के बीच अवस्थित इस प्रदेश की राजधानी पोतन थी। अस्सक राज्य के राजा इक्ष्वाकुवंश के थे। अस्सक का अवन्ति के साथ निरंतर संघर्ष चलता रहता था। धीरे-धीरे यह राज्य अवन्ति के अधीन हो गया।


अंग महाजनपद

यह मगध के पूरब था। वर्तमान के बिहार के मुंगेर और भागलपुर जिले। अंग की राजधानी चंपा थी। चंपा उस समय भारतवर्ष के सबसे प्रशिद्ध नगरियों में से थी। मगध के साथ हमेशा संघर्ष होता रहता था और अंत में मगध ने इस राज्य को पराजित कर अपने में मिला लिया। तथा अंग की राजधानी चम्पा थी


कम्बोज महाजनपद

गांधार-कश्मीर के उत्तर आधुनिक पामीर का पठार था, उसके पश्चिम बदख्शाँ-प्रदेश कंबोज महाजनपद कहलाता था।हाटक या राजपुर कम्बोज राज्य की राजधानी थी।


काशी महाजनपद

इसकी राजधानी वाराणसी थी। जो वरुणा और असी नदियों की संगम पर बसी थी। वर्तमान की वाराणसी व आसपास का क्षेत्र काशी में सम्मिलित रहा था। जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ के पिता अश्वसेन काशी के राजा थे। काशी का कोशल राज्य के साथ संघर्ष रहता था। गुत्तिल जातक के अनुसार काशी नगरी 12 योजन विस्तृत थी और भारत वर्ष की सर्वप्रधान नगरी थी


कुरु महाजनपद

आधुनिक हरियाणा तथा दिल्ली का यमुना नदी के पश्चिम वाला अंश शामिल था। कुरु की राजधानी आधुनिक इन्द्रप्रस्थ (दिल्ली) थी। जैनों के उत्तराध्ययनसूत्र में यहाँ के इक्ष्वाकु नामक राजा का उल्लेख मिलता है। जातक कथाओं में सुतसोम, कौरव और धनंजय यहाँ के राजा माने गए हैं। कुरुधम्मजातक के अनुसार, कुरु के लोग अपने सीधे-सच्चे मनुष्योचित बर्ताव के लिए अग्रणी माने जाते थे और दूसरे राष्ट्रों के लोग उनसे धर्म सीखने आते थे।


कोशल महाजनपद

उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिला, गोंडा और बहराइच के क्षेत्र शामिल थे। कोशल की प्रथम राजधानी अयोध्या थी। द्वितीय राजधानी श्रावस्ती थी। कोशल के एक राजा कंश को पालिग्रंथों में 'बारानसिग्गहो' कहा गया है। उसी ने काशी को जीत कर कोशल में मिला लिया था। कोशल देश के राजा प्रसेनजित थे।


गांधार महाजनपद

पाकिस्तान का पश्चिमी तथा अफ़ग़ानिस्तान का पूर्वी क्षेत्र और कश्मीर का कुछ भाग। इसकी राजधानी तक्षशिला थी गांधार को आधुनिक कंदहार से जोड़ने की गलती कई बार लोग कर देते हैं जो कि वास्तव में गांधार क्षेत्र से कुछ दक्षिण में स्थित था।


चेदि महाजनपद

वर्तमान में बुंदेलखंड का इलाका। चेदि की राजधानी शक्तिमती थी। इस राज्य का उल्लेख महाभारत में भी है। शिशुपाल यहाँ का राजा था।


वज्जि या वृजि

यह आठ गणतांत्रिक कुलों का संघ था जो उत्तर बिहार में गंगा के उत्तर में अवस्थित था तथा जिसकी राजधानी वैशाली थी। वज्जि में आज के बिहार राज्य के दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, शिवहर व मुजफ्फरपुर जिले सम्मिलित थे।


वत्स या वंश महाजनपद

उत्तर प्रदेश के प्रयाग (आधुनिक प्रयागराज) के आस-पास केन्द्रित था। पुराणों के अनुसार, राजा निचक्षु ने यमुना नदी के तट पर अपने राज्यवंश की स्थापना तब की थी। जब हस्तिनापुर राज्य का पतन हो गया था। वत्स की राजधानी कौशाम्बी थी।


पांचाल महाजनपद

पश्चिमी उत्तर प्रदेश। पांचाल की दो शाखाये थी। उत्तरी और दक्षणि। उत्तरी पांचाल की राजधानी अहिच्छत्र और दक्षणि पांचाल की काम्पिल्य थी।मध्य दोआब क्षेत्र (बदायु फरूखाबाद ) चुलानी ब्रह्मदत्त पांचाल देश का एक महान शासक था।


मगध महाजनपद

यह महाजनपद दक्षिण बिहार के पटना व गया जिलो पे स्थित था। इसकी प्रारम्भिक राजधानी राजगीर थी जो चारो तरफ से पर्वतो से घिरी होने के कारण गिरिब्रज के नाम से जानी जाती थी।इसकी स्थापना बृहद्रथ ने की थी और ब्रहद्रथ के बाद जरासंध यहाँ का शाषक था। शतपथ ब्राह्मण में इसे 'कीकट' कहा गया है। आधुनिक पटना तथा गया जिले और आसपास के क्षेत्र। सभी महाजन पदों में सबसे‌ शक्तिशाली महाजनपद के रूप में जाना जाता है। मगध पर हर्यक नंद मोर्य आदि ने शासन किया।


मत्स्य या मच्छ महाजनपद

मत्स्य में राजस्थान के अलवर, भरतपुर तथा जयपुर जिले के क्षेत्र शामिल थे। मत्स्य की राजधानी विराटनगर थी। यहां के लोग बहुत ईमानदार हुआ करते थे।


मल्ल महाजनपद

मल्ल भी एक गणसंघ था और गोरखपुर के आसपास था। मल्लों की दो शाखाएँ थीं। एक की राजधानी कुशीनारा थी जो वर्तमान कुशीनगर है तथा दूसरे की राजधानी पावा या पव थी जो वर्तमान फाजिलनगर है।


सुरसेन या शूरसेन महाजनपद

शूरसेन राजधानी मथुरा थी।बौद्ध ग्रंथों के अनुसार अवंति पुत्र यहाँ का राजा था। पुराणों में मथुरा के राजवंश को यदुवंश कहा जाता था। अपने ज्ञान,बुद्धि और वैभव के कारण यह नगर अत्यन्त प्रसिद्ध था। 

भारत मे कुंभ मेले का आयोजन चार अस्थानो पर किया जाता है :-

1. हरिद्वार -       गंगा नदी 
2.  प्रयागराज -   त्रिवेणी संगम (गंगा, यमुना और सरस्वती) 
3. उज्जैन -        क्षिप्रा नदी 
4. नासिक -        गोदावरी नदी

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