गंगा जी की आरती । ॐ जय गंगे माता, श्री गंगे माता । लिखी हुई । लिरिक्स
इस लेख में गंगा जी की आरती ,ॐ जय गंगे माता, श्री गंगे माता,लिखी हुई है । यह लिरिक्स भी है।
गंगा जी की आरती प्रारंभ
ॐ जय गंगे माता, श्री गंगे माता ।
जो नर तुमको ध्यावता, मनवंछित फल पाता।
चन्द्र सी ज्योत तुम्हारी जल निर्मल आता।
शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता ।
पुत्र सगर के तारे सब जग को ज्ञाता ।
कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता ।
एक ही बार भी जो नर तेरी शरणगति आता।
यम की त्रास मिटा कर, परम गति पाता ।
आरती मात तुम्हारी जो जन नित्य गाता ।
दास वही जो सहज में मुक्ति को पाता ।
ओउम जय गंगे माता ।
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