पृथ्वी की आंतरिक संरचना — भूपर्पटी या भूपटल, भू-प्रावार और क्रोड

पृथ्वी की विशेषताएं आंतरिक संरचना 

दोस्तों आज मैं इसमें पृथ्वी के बारे में जानकारी देने जा रहा हूं, इसमें मैंने पृथ्वी की विशेषताएं और उसकी आंतरिक संरचना के बारे में बताया है।
what is earth, its features and internal structure in hindi
पृथ्वी क्या है, इसकी विशेषताएं और आंतरिक संरचना /what is earth, its features and internal structure in hindi
पृथ्वी के बारे में
पृथ्वी को इंग्लिश में Earth कहा जाता है ।लैटिन में टेरा (Terra) जिसे विश्व भी भर में जाना जाता है।यह सूर्य से तीसरे नम्बर का ग्रह और इस पूरे ब्रम्हांड के सभी ज्ञात ग्रहों में यह मात्र ऐसा ग्रह है जिसपर जीवन पाया जाता है। यह सौर मंडल में सबसे ज्यादा घना और चार स्थलीय ग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह है।



प्रथ्वी की प्रमुख प्रकार की विशेषताएं

1)पृथ्वी न केवल मानव का अपितु अन्य लाखों प्रजातियों का भी घर है
2)ब्रह्मांड में एकमात्र ग्रह जहाँ जीवन का अस्तित्व पाया जाता है। 
3)पृथ्वी की सतह पर जीवन लगभग एक अरब वर्ष पहले प्रकट हुआ।
4) पृथ्वी की सूर्य से सटीक दूरी के कारण जीवन की उत्पत्ति के लिये आदर्श दशा है।
5)जीवन की उत्पत्ति के बाद से विकास क्रम में जीवधारियों ने इस ग्रह के वायुमंडल और अन्य अजैवकीय परिस्थितियों को भी बदला है। 6)जीवन की उत्पत्ति से पर्यावरण को वर्तमान रूप दिया है।
7) पृथ्वी के वायुमंडल में आक्सीजन की वर्तमान प्रचुरता वस्तुतः जीवन की उत्पत्ति का कारण नहीं बल्कि परिणाम भी है।
8) जीवधारी और वायुमंडल दोनों अन्योन्याश्रय के संबंध द्वारा विकसित हुए हैं।
9) पृथ्वी पर वायुजीवी जीवों के प्रसारण के साथ ओजोन परत का निर्माण हुआ ।
10)पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के साथ हानिकारक विकिरण को रोकने वाली परत ओजोन परत है।

हमारी प्रथ्वी की आंतरिक संरचना

हमारी इस पृथ्वी की आतंरिक रचना तीन प्रकार की प्रमुख परतों में (प्रमुख भागो में) हुई है,
  • भूपर्पटी या भूपटल
  • भू-प्रावार और
  • क्रोड
हमारी प्रथ्वी की आंतरिक संरचना

प्रथ्वी की इस संरचना सभी परतों को विस्तार में जाने

(1)भूपर्पटी या भूपटल, 

भूपर्पटी पृथ्वी की सबसे ऊपरी  पाई जाने वाली परत है जिसकी औसतम गहराई 24 किलोमीटर तक पाई जाती हैं। और यह गहराई 5 किलोमीटर से 70 किलोमीटर के बीच बदलती रहती है।यह परत समुद्रों के नीचे कम मोटी समुद्री बेसाल्तिक भूपर्पटी के रूप में है। और इसका ज्यादा अधिक विस्तार महाद्वीपों के नीचे ज्यादा गहराई तक पाया जाता है। सर्वाधिक गहराई पर्वतों के नीचे होती है।

भूपर्पटी की रचना में सर्वाधिक मात्रा आक्सीजन की है। यह सिलिका और एल्युमिनियम की बनी है इसलिए एडवर्ड स्वेस ने इसे सियाल नाम दिया था। यह सियाल महाद्वीपीय भूपर्पटी के अवसादी और ग्रेनाइटिक परतों के लिये सही है। कोनार्ड असातत्य के नीचे सीमा (सिलिका+मैग्नीशियम) की परत शुरू हो जाती है। 

भूपर्पटी और मैंटल के बीच की सीमा मोहोरोविकिक असातत्य द्वारा बनती है जिसे मोहो भी कहा जाता है।

ग्रेनाइटिक और बेसाल्टिक परत के मध्य कोनार्ड असातत्य पाया जाता है। ध्यातव्य है कि समुद्री भूपर्पटी केवल बेसाल्ट और गैब्रो जैसी चट्टानों की बनी होती है जबकि अवसादी और ग्रेनाइटिक परतें महाद्वीपीय भागों में पाई जाती हैं।
भूपर्पटी को भी तीन परतों में बाँटा जाता है - 1)अवसादी परत,
2) ग्रेनाइटिक परत,
3)बेसाल्टिक परत।


(2)भू-प्रावार या मैंटल

विश्व मानचित्र पर मोहो की गहराई

मैंटल का विस्तार मोहो से लेकर 2490 किलोमीटर की गहराई पर स्थित Gutenberg असातत्य तक है। मैंटल के इस निचली सीमा पर दाब ~140 GPa पाया जाता है। 

मैंटल में संवहनीय धाराएँ चलती हैं जिनके कारण स्थलमण्डल की प्लेटों में गति होती है।

मैंटल को दो भागों में बाँटा जाता है।
1)ऊपरी मैंटल और
2) निचला मैंटल
इनके बीच की सीमा 810 किलोमीटर पर रेपिटी असातत्य के नाम से जानी जाती है। मैंटल का गाढ़ापन 1021 से 1024 Pa·s के बीच पाया जाता है। जो गहराई पर निर्भर करता है।
 तुलना के लिये ध्यातव्य है कि पानी का गाढ़ापन 10−3 Pa·s और कोलतार (pitch) 107 Pa·s होता है।

(3)क्रोड

सीमा परत के नीचे पृथ्वी की तीसरी तथा अंतिम परत पाई जाती है जो क्रोड कहलाती है। क्रोड में निकल (Ni) तथा लोहा (Fe) की अधिकता होती है। इसलिए इस परत का नाम निफे (NiFe) है।

यह 2890 किमी० गहराई से पृथ्वी की केन्द्र तक है। इसका घनत्व 11-12 तक है तथा औसत घनत्व 13 ग्राम/घन सेमी. है।

क्रोड का भार पृथ्वी के भार का लगभग 1/3 है। यह पृथ्वी का लगभग 16% भाग घेरे हुए है। 

क्रोड दो भागो में बाटा गया है।
1) बाह्य क्रोड तथा 2)आंतरिक क्रोड,

बाह्य क्रोड सतह के नीचे लगभग 2900 से 5150 किलोमीटर तक फैला हुआ है तथा आंतरिक क्रोड लगभग 5150 से 6371 किलोमीटर पृथ्वी के केंद्र तक फैला हुआ है।

बाह्य क्रोड में भूकम्प की द्वातीयक लहरें या S-तरंगे प्रवेश नही कर पति है इससे प्रमाणित होता है कि यह भाग द्रव अवस्था में है।

आंतरिक क्रोड में भूकम्प की P-लहरों की गति कम अर्थात 11•23 किमी0/सेकेण्ड हो जाती है।

बाह्य कोर तरल अवस्था में पाया जाता है क्योंकि यह द्वितीयक भूकंपीय तरंगों (एस-तरंगों) को सोख लेता है। 

आतंरिक क्रोड की खोज 1936 में के. ई. बूलेन ने की थी। यह ठोस अवस्था में माना जाता है। इन दोनों के बीच की सीमा को बूलेन-लेहमैन असातत्य कहा जाता है।

आतंरिक क्रोड मुख्यतः लोहे का बना है जिसमें निकल की भी कुछ मात्रा है। चूँकि बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है और इसमें रेडियोधर्मी पदार्थो और विद्युत आवेशित कणों की कुछ मात्रा पाई जाती है।

जब इसके पदार्थ धारा के रूप में आतंरिक ठोस क्रोड का चक्कर लगते हैं तो चुंबकीय क्षेत्र बन जाता है।

पृथ्वी के चुम्बकत्व या भूचुम्बकत्व की यह व्याख्या डाइनेमो सिद्धांत कहलाती है।

इसमें से बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है और एक ठोस लोहे और निकल के आतंरिक कोर के साथ क्रिया करके पृथ्वी मे चुंबकत्व या चुंबकीय क्षेत्र को पैदा करता है।


विभिन्न परीक्षाओं के लिए पृथ्वी की संरचना से संबंधित प्रश्न

1) वाइट ऑफ द अर्थ किसे कहा जाता है :-  मेंटल
2) मेंटल में किन तत्वों की प्रधानता होती है  :- सिलिका और मैग्नीशियम
3) पृथ्वी ग्रह की संरचना में  प्रावार के नीचे रोड में से किससे बना होता है  :- लोहा
4) सर्वप्रथम पृथ्वी को गोलाभअरस्तू ने बताया है।
5) वैज्ञानिक धरातल पर सर्वप्रथम पृथ्वी की गोलाभ आकृति को सिद्ध न्यूटन द्वारा किया गया।
6) सभी ग्रहों का निर्माण 4.6 अरब वर्ष पहले हुआ।
7) आदिपृथ्वी का वायुमंडल उपचारक है।
8) बिग बैंग सिद्धांत के प्रतिपादक जॉर्ज लैमेंटेयेर।
9) पृथ्वी की उत्पत्ति गैसों और कणों से हुई थी( ओटो स्मिथ) ।
विभिन्न परीक्षाओं के लिए पृथ्वी की संरचना से संबंधित प्रश्न
10) आदि पृथ्वी के वायुमंडल में हाइड्रोजन तथा हीलियम गैस की प्रधानता है।
11) पृथ्वी की आयु लगभग 3.9 अरब वर्ष है।
12) जीवन सबसे पहले आदि सागर में 3.8 अरब वर्ष पहले हुआ।
13) भूगर्भिक इतिहास में सबसे लंबी आबादी वाला प्रभाग( इयोन)  है ।
14) पृथ्वी का जीवन सर्वप्रथम आरकियोओजोइक महाकल्प मैं प्रारंभ हुआ।
15) सौरमंडल का जनक निहारिका है।
16) विस्तारित ब्रह्मांड परिकल्पना के प्रतिपादक एडविन हब्बल।
17) पृथ्वी की उत्पत्ति के संबंध में ग्रहाणु परिकल्पना के प्रतिपादक चम्बरलीन और मोल्टन।
18) चरनियन हलचल इस पर्वत निर्माणकारी हलचल के फलस्वरुप अरावली पर्वत का विकास हुआ।
19) येनिडिला एवं आर्थोपोडा संघ का  संयोजक जंतु पेरीपेटस है।
20) सर्वाधिक प्राचीन जीवाश्म की प्राप्ति कैंब्रियन युग की अवसादी चट्टानों से होता है।
21) हिमालय पर्वत की उत्पत्ति कैंब्रियन युग में हुई है।
22) कल्प 1- महाकल्प(Era) ,2- युग(Epoch) ,3- शक या कल्प
23) पृथ्वी की आंतरिक संरचना के संबंध में सर्वाधिक महत्वपूर्ण जानकारी का स्रोत क्या है :- भूकंप विज्ञान
24) सियाल , सीमा और निफे के रूप में भूगर्भ का विभाजन किसके द्वारा किया गया  :-स्वेस द्वारा
25) भूपृष्ठ की किस परत में बेसाल्ट चट्टानों की अधिकता होती है  :- सीमा
26) पृथ्वी के किस भाग में निकेल और लोहा की प्रधानता है :- निफे
27) स्वेस ने पृथ्वी के आंतरिक भागों को तीन भागों में बांटा है उनके विभाजन में हैं :-  सियाल , सीमा और निफे
28) स्थलमंडल का तात्पर्य है  :- पृथ्वी की बाह्य पपड़ी
29) स्थलमंडल की मोटाई भूकंपीय तरंगों के आधार पर कितनी मापी गई है :-  100 किमी
30) पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत के लिए सर्वप्रथम सियाल शब्द का प्रयोग किसने किया  :- स्वेस
31)  पृथ्वी के तीन  परतों में ऊपर से दूसरी परत का नाम क्या है  :- सीमा
32) पृथ्वी के केंद्र में पाया जाने वाला चुंबकीय पदार्थ है :-
निकेल

33)  किस परत को  बेरीस्फीयर कहा जाता है  - पृथ्वी की सबसे आंतरिक परत
34) धरातल से भूगर्भ की ओर जाने पर गहराई के साथ तापमान वृद्धि की दर क्या है  :- 1°c  प्रति 32 मीटर
35) पृथ्वी की आंतरिक संरचना के अनुसार भूगर्भ का विभाजन  " भूपटल  , मेंटल तथा कोर "  में किया गया यह विभाजन किस का है :-  ग्रांट
36) महासागरीय सतह का निर्माण किस प्रकार की चट्टानों से हुआ है  :- बेसाल्ट
37) भूपटल की औसत मोटाई लगभग 33 किमी है
38) मेंटल की गहराई 35 किमी से 29 किमी तक है
39) मोहो असंबद्धता स्थित है  :-  क्रस्ट तथा मेंटल के बीच  
40) भूगर्भ में तापमान वृद्धि का कारण है :-  दबाव एवं रेडियोसक्रिय पदार्थों का विखंडन
41) गहराई में वृद्धि के अनुसार महाद्वीपीय भूपटल के विभिन्न परतों का सही क्रम है :-  परतदार - ग्रेनाइट - बेसाल्ट
42) भूपर्पटी पर पाए जाने वाले विभिन्न तत्वों की मात्रा का सही अवरोही क्रम है  :-- ऑक्सीजन - सिलिकॉन - एलुमिनियम - लोहा
43) भूपर्पटी में कौन सा तत्व प्रचुर मात्रा में पाया जाता है :-  एलुमिनियम
44) धरातल से मोहो असंबद्धता की गहराई लगभग है  :- 30 किमी
45) पृथ्वी के आयतन का 82.5% एवं द्रव्यमान का 67.8 भाग मेंटल है
46) इसका घनत्व है 3 से लेकर 5.5 तक है
47) वलन क्रिया किसका परिणाम है :-  पर्वत निर्माणकारी बल
48) मिश्रित धातु , सिलीकेट से बनी धरती की परत कहलाती है :-  सीयल  


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