दोस्तो आज मै आपको इस पोस्ट के अंदर भारत में पाई जाने वाली प्रमुख मिट्टी के बारे में बताने जा रहा हूं कि यह क्या है,और साथ ही इसमें इसके प्रकार को बता रहा ।अत: आप इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें सभी प्रकार की मिट्टी को मैंने इसमें पॉइंट के द्वारा बताया हूं.
mitti ke prakar
जिसमें मृदा के निर्माण, उसकी विशेषताओं और धरातल पर उसके वितरण का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है, "मृदा विज्ञान" कहलाती है यह भौतिक भूगोल प्रमुख शाखा है।
1)पृथ्वी की ऊपरी सतह के कणों को ही (चाहे वह छोटे या बडे) soil कहलाते है
2)नदियों के किनारे तथा पानी के बहाव से लाई गई मिट्टी जिसको 'कछार मिट्टी' कहते हैं।
3)जिस मिट्टी को खोदने पर चट्टान नहीं मिलती। वहाँ नीचे के स्तर में जल का स्रोत मिलता है।
4) सभी मिट्टियों की उत्पत्ति चट्टान से हुई है।
5) प्रकृति ने मिट्टी में अधिक हेर-फेर नहीं किया और जलवायु का प्रभाव अधिक नहीं पड़ा।
6) यह संभव है कि हम नीचे की चट्टानों से ऊपर की मिट्टी का संबंध क्रमबद्ध रूप से स्थापित कर सकें।
7) ऊपर की सतह की मिट्टी का रंग-रूप नीचे की चट्टान से बिलकुल भिन्न है।फिर भी दोनों में रासायनिक संबंध रहता है और यदि प्राकृतिक क्रिया द्वारा, अर्थात् जल द्वारा बहाकर, अथवा वायु द्वारा उड़ाकर, दूसरे स्थल से मिट्टी नहीं लाई गई है,
तब यह संबंध पूर्ण रूप से स्थापित किया जा सकता है।
8) चट्टान के ऊपर एक स्तर ऐसा भी पाया जा सकता है जो चट्टान से ही बना है।
9)कोई-कोई मिट्टी दूसरी जगह की चट्टानों से बनकर प्राकृतिक कारणों से आ जाती है।
10)खेतों की मिट्टी में चट्टानों के खनिजों के साथ-साथ, पेड़ पौधों के सड़ने से, कार्बनिक पदार्थ भी पाए जाते हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने भारत की मिट्टी को आठ समूहों में बांटा है:
(1) जलोढ़ मिट्टी
(2) काली मिट्टी
(3) लाल एवं पीली मिट्टी
(4) लैटराइट मिट्टी
(5) शुष्क मृदा
(6) लवण मृदा
(7) पीटमय मृदा या जैव मृदा
(8) वन मृदा
जल को अवषोषण करने की क्षमता सबसे अधिक दोमट मिट्टी में होती है।
मृदा संरक्षण के लिए 1953 में केन्द्रीय मृदा संरक्षण बोर्ड की स्थापना की गयी थी। मरूस्थल की समस्या के अध्ययन के लिए राजस्थान के जोधपुर में अनुसंधान केन्द्र बनाये गये हैं। mitti ke prakar
2)क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से भारत में सबसे अधिक क्षेत्रफल पर जलोढ़ मिट्टी पाये जाते है। 3)भारत के कुल क्षेत्रफल का लगभग 40प्रतिशत भाग पर जलोढ़ मिट्टी मिलते है। 4)जलोढ़ मिट्टी का निर्माण नदियों के निक्षेपण से होता है।
5) जलोढ़ मिट्टी में नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस की मात्रा कम होती है।
6) जलोढ़ मिट्टी में पोटाश एवं चूना की पर्याप्त मात्रा होती है।
7) भारत में उत्तर का मैदान (गंगा का मैदान) सिंध का मैदान, ब्रह्मपुत्र का मैदान गोदावरी का मैदान, कावेरी का मैदान नदियों जलोढ़ मिट्टी के निक्षेपण से बने है।
8) जलोढ़ की मिट्टी गेहूँ के फसल के लिए उत्तम माना जाता है। इसके अलावा इसमें धान एवं आलू की खेती भी की जाती है। 9)जलोढ़ मिट्टी का निर्माण बलुई मिट्टी एवं चिकनी मिट्टी के मिलने से हुई है।
10)जलोढ़ मिट्टी में ही बांगर एवं खादर मिट्टी आते है।
11)बांगर पुराने जलोढ़ मिट्टी को एवं खादर नये जलोढ़ मिट्टी को कहा जाता है।
12) जलोढ़ मिट्टी का रंग हल्के धूसर रंग का होता है।
2) भारत में सबसे ज्यादा काली मिट्टी महाराष्ट्र में एवं दूसरे स्थान पर गुजरात प्रांत है।
3) काली मिट्टी का निर्माण ज्वालामुखी के उदगार के कारण बैसाल्ट चट्टान के निर्माण होने से हुई।
4) बैसाल्ट के टूटने से काली मिट्टी का निर्माण होता है।
5)दक्षिण भारत में काली मिट्टी को 'रेगूर' (रेगूड़) कहा जाता है।
6)केरल में काली मिट्टी को 'शाली' कहा जाता है।
7)उत्तर भारत में काली मिट्टी को 'केवाल' के नाम से जाना जाता है।
8)काली मिट्टी में भी नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस की मात्रा कम होती है।
9) इसमें लोहा, चूना, मैग्नीशियम एवं एलूमिना की मात्रा अधिक हाती है।
10)काली मिट्टी में पोटाश की मात्रा भी पर्याप्त होती है।
11)काली मिट्टी कपास के उत्पादन के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है।
12)काली मिट्टी में मसूर, चना, खेसाड़ी की भी अच्छी उपज होती है।
13)काली मिट्टी में लोहे की अंश अधिक होने के कारण इसका रंग काला होता है।
14)काली मिट्टी में जल जल्दी नहीं सुखता है।
15) काली मिट्टी सुखने पर बहुत अधिक कड़ी एवं भीगने पर तुरंत चिपचिपा हो जाती है। 16)भारत में लगभग 5.46 लाख वर्ग किमी पर काली मिट्टी का विस्तार है।
2) भारत में 5.18 लाख वर्ग किमी0 पर लाल मिट्टी का विस्तार है।
3)लाल मिट्टी का निर्माण ग्रेनाइट चट्टान के टूटने से हुई है।
4)ग्रेनाइट चट्टान आग्नेय शैल का उदाहरण है। 5)भारत में क्षेत्रफल की दृष्टिकोण से सबसे अधिक क्षेत्रफल पर तमिलनाडु राज्य में लाल मिट्टी विस्तृत है।
6) लाल मिट्टी के नीचे अधिकांश खनिज मिलते हैं।
7)लाल मिट्टी में भी नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस की मात्रा कम होती है।
8) लाल मिट्टी में मौजूद आयरनर ऑक्साइड(Fe2O3) के कारण इसका रंग लाल दिखाई पड़ता है।
9) लाल मिट्टी फसल के उत्पादन के लिए अच्छी नहीं मानी जाती है।
10)तमिलनाडु के बाद छतीसगढ़, झारखंड, मध्यप्रदेश एवं उड़ीसा में भी लाल मिट्टी मिलते है।
2) जिस क्षेत्र में लाल मिट्टी होते है एवं उस मिट्टी में अधिक वर्षा होती है तो अधिक वर्षा के कारण लाल मिट्टी के रासायनिक तत्व अलग हो जाते है
3)जिसमें उस मिट्टी का रंग पीला मिट्टी दिखाई देने लगता है।
2) यह मिट्टी भारत में 1.26 लाख वर्ग किमी0 क्षेत्र पर फैला हुआ है।
3) लैटेराइट मिट्टी में लौह ऑक्साइड एवं अल्यूमिनियम ऑक्साइड की मात्रा अधिक होती है
4) नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाष, चुना एवं कार्बनिक तत्वों की कमी पायी जाती है।
5)लैटेराइट मिट्टी चाय एवं कॉॅफी फसल के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है।
6)भारत में लैटेराइट मिट्टी असम, कर्नाटक एवं तमिलनाडु राज्य में अधिक मात्रा में पाये जाते है।
7)यह मिट्टी पहाड़ी एवं पठारी क्षेत्र में पाये जाते है।
8)यह मिट्टी काजू फसल के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है।
9)इसमें लौह अॉक्साइड एवं अल्यूमिनियम ऑक्साइड की मात्रा अधिक होती है।
10) इस मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटास एवं चूना की कमी होती है।
11)इस मिट्टी की भी रंग लाल होती है।
12 जब वर्षा होती है तब इस मिट्टी से चूना-पत्थर बहकर अलग हो जाती है, जिसके कारण यह मिट्टी सुखने पर लोहे के समान कड़ा हो जाती है।
13) सबसे ज्यादा केरल में पाई जाती है
2) पर्वतीय मिट्टी में भी पोटाश, फास्फोरस एवं चूने की कमी होती है।
3)पहाड़ी क्षेत्र में खास करके बागबानी कृषि होती है।
4) पहाड़ी क्षेत्र में ही झूम खेती होती है।
5) झूम खेती सबसे ज्यादा नागालैंड में की जाती है।
6) पर्वतीय क्षेत्र में सबसे ज्यादा गरम मसाले की खेती की जाती है।
mitti ke prakar
मिट्टी की साधारण भाषा में परिभाषा की यह क्या है
पृथ्वी के ऊपरी सतह पर मोटे आकार, मध्यम और बारीक कार्बनिक तथा अकार्बनिक मिश्रित कणों को मिट्टी कहते हैं।मिट्टी की सतह हो ऊपर से हटाने के बाद उसमें नीचे प्राय: चट्टान पाई जाती है। कभी कभी थोड़ी गहराई पर ही चट्टान मिल जाती है। mitti ke prakarजिसमें मृदा के निर्माण, उसकी विशेषताओं और धरातल पर उसके वितरण का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है, "मृदा विज्ञान" कहलाती है यह भौतिक भूगोल प्रमुख शाखा है।
मिट्टी के बारे में कुछ जानकारी
2)नदियों के किनारे तथा पानी के बहाव से लाई गई मिट्टी जिसको 'कछार मिट्टी' कहते हैं।
3)जिस मिट्टी को खोदने पर चट्टान नहीं मिलती। वहाँ नीचे के स्तर में जल का स्रोत मिलता है।
4) सभी मिट्टियों की उत्पत्ति चट्टान से हुई है।
5) प्रकृति ने मिट्टी में अधिक हेर-फेर नहीं किया और जलवायु का प्रभाव अधिक नहीं पड़ा।
6) यह संभव है कि हम नीचे की चट्टानों से ऊपर की मिट्टी का संबंध क्रमबद्ध रूप से स्थापित कर सकें।
7) ऊपर की सतह की मिट्टी का रंग-रूप नीचे की चट्टान से बिलकुल भिन्न है।फिर भी दोनों में रासायनिक संबंध रहता है और यदि प्राकृतिक क्रिया द्वारा, अर्थात् जल द्वारा बहाकर, अथवा वायु द्वारा उड़ाकर, दूसरे स्थल से मिट्टी नहीं लाई गई है,
तब यह संबंध पूर्ण रूप से स्थापित किया जा सकता है।
8) चट्टान के ऊपर एक स्तर ऐसा भी पाया जा सकता है जो चट्टान से ही बना है।
9)कोई-कोई मिट्टी दूसरी जगह की चट्टानों से बनकर प्राकृतिक कारणों से आ जाती है।
10)खेतों की मिट्टी में चट्टानों के खनिजों के साथ-साथ, पेड़ पौधों के सड़ने से, कार्बनिक पदार्थ भी पाए जाते हैं।
यह भी पढ़ें
मिट्टी के प्रमुख प्रकार नीचे
भारतीय मिट्टी के प्रमुख प्रकार निम्न दिए गए है:- जलोढ़ मिट्टी या कछार मिट्टी (Alluvial soil),
- काली मिट्टी या रेगुर मिट्टी (Black soil),
- लाल मिट्टी (Red soil),
- लैटराइट मिट्टी (Laterite),
- मरु मिट्टी (desert soil)।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने भारत की मिट्टी को आठ समूहों में बांटा है:
(1) जलोढ़ मिट्टी
(2) काली मिट्टी
(3) लाल एवं पीली मिट्टी
(4) लैटराइट मिट्टी
(5) शुष्क मृदा
(6) लवण मृदा
(7) पीटमय मृदा या जैव मृदा
(8) वन मृदा
जल को अवषोषण करने की क्षमता सबसे अधिक दोमट मिट्टी में होती है।
मृदा संरक्षण के लिए 1953 में केन्द्रीय मृदा संरक्षण बोर्ड की स्थापना की गयी थी। मरूस्थल की समस्या के अध्ययन के लिए राजस्थान के जोधपुर में अनुसंधान केन्द्र बनाये गये हैं। mitti ke prakar
सभी प्रकार की मिट्टी का विस्तार पूर्वक
जलोढ़ मिट्टी (दोमट मिट्टी)
1)इसे दोमट मिट्टी भी कहते है,2)क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से भारत में सबसे अधिक क्षेत्रफल पर जलोढ़ मिट्टी पाये जाते है। 3)भारत के कुल क्षेत्रफल का लगभग 40प्रतिशत भाग पर जलोढ़ मिट्टी मिलते है। 4)जलोढ़ मिट्टी का निर्माण नदियों के निक्षेपण से होता है।
5) जलोढ़ मिट्टी में नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस की मात्रा कम होती है।
6) जलोढ़ मिट्टी में पोटाश एवं चूना की पर्याप्त मात्रा होती है।
7) भारत में उत्तर का मैदान (गंगा का मैदान) सिंध का मैदान, ब्रह्मपुत्र का मैदान गोदावरी का मैदान, कावेरी का मैदान नदियों जलोढ़ मिट्टी के निक्षेपण से बने है।
8) जलोढ़ की मिट्टी गेहूँ के फसल के लिए उत्तम माना जाता है। इसके अलावा इसमें धान एवं आलू की खेती भी की जाती है। 9)जलोढ़ मिट्टी का निर्माण बलुई मिट्टी एवं चिकनी मिट्टी के मिलने से हुई है।
10)जलोढ़ मिट्टी में ही बांगर एवं खादर मिट्टी आते है।
11)बांगर पुराने जलोढ़ मिट्टी को एवं खादर नये जलोढ़ मिट्टी को कहा जाता है।
12) जलोढ़ मिट्टी का रंग हल्के धूसर रंग का होता है।
काली मिट्टी
1)काली मिट्टी क्षेत्रफल की दृष्टिकोण से भारत में दूसरा स्थान रखता है।2) भारत में सबसे ज्यादा काली मिट्टी महाराष्ट्र में एवं दूसरे स्थान पर गुजरात प्रांत है।
3) काली मिट्टी का निर्माण ज्वालामुखी के उदगार के कारण बैसाल्ट चट्टान के निर्माण होने से हुई।
4) बैसाल्ट के टूटने से काली मिट्टी का निर्माण होता है।
5)दक्षिण भारत में काली मिट्टी को 'रेगूर' (रेगूड़) कहा जाता है।
6)केरल में काली मिट्टी को 'शाली' कहा जाता है।
7)उत्तर भारत में काली मिट्टी को 'केवाल' के नाम से जाना जाता है।
8)काली मिट्टी में भी नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस की मात्रा कम होती है।
9) इसमें लोहा, चूना, मैग्नीशियम एवं एलूमिना की मात्रा अधिक हाती है।
10)काली मिट्टी में पोटाश की मात्रा भी पर्याप्त होती है।
11)काली मिट्टी कपास के उत्पादन के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है।
12)काली मिट्टी में मसूर, चना, खेसाड़ी की भी अच्छी उपज होती है।
13)काली मिट्टी में लोहे की अंश अधिक होने के कारण इसका रंग काला होता है।
14)काली मिट्टी में जल जल्दी नहीं सुखता है।
15) काली मिट्टी सुखने पर बहुत अधिक कड़ी एवं भीगने पर तुरंत चिपचिपा हो जाती है। 16)भारत में लगभग 5.46 लाख वर्ग किमी पर काली मिट्टी का विस्तार है।
लाल मिट्टी
1)क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से भारत में लाल मिट्टी का तीसरा स्थान है।2) भारत में 5.18 लाख वर्ग किमी0 पर लाल मिट्टी का विस्तार है।
3)लाल मिट्टी का निर्माण ग्रेनाइट चट्टान के टूटने से हुई है।
4)ग्रेनाइट चट्टान आग्नेय शैल का उदाहरण है। 5)भारत में क्षेत्रफल की दृष्टिकोण से सबसे अधिक क्षेत्रफल पर तमिलनाडु राज्य में लाल मिट्टी विस्तृत है।
6) लाल मिट्टी के नीचे अधिकांश खनिज मिलते हैं।
7)लाल मिट्टी में भी नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस की मात्रा कम होती है।
8) लाल मिट्टी में मौजूद आयरनर ऑक्साइड(Fe2O3) के कारण इसका रंग लाल दिखाई पड़ता है।
9) लाल मिट्टी फसल के उत्पादन के लिए अच्छी नहीं मानी जाती है।
10)तमिलनाडु के बाद छतीसगढ़, झारखंड, मध्यप्रदेश एवं उड़ीसा में भी लाल मिट्टी मिलते है।
पीली मिट्टी
1) भारत में सबसे अधिक पीली मिट्टी केरल राज्य में है।2) जिस क्षेत्र में लाल मिट्टी होते है एवं उस मिट्टी में अधिक वर्षा होती है तो अधिक वर्षा के कारण लाल मिट्टी के रासायनिक तत्व अलग हो जाते है
3)जिसमें उस मिट्टी का रंग पीला मिट्टी दिखाई देने लगता है।
लैटेराइट मिट्टी
1)भारत में क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से लैटेराइट मिट्टी को चौथा स्थान प्राप्त है।2) यह मिट्टी भारत में 1.26 लाख वर्ग किमी0 क्षेत्र पर फैला हुआ है।
3) लैटेराइट मिट्टी में लौह ऑक्साइड एवं अल्यूमिनियम ऑक्साइड की मात्रा अधिक होती है
4) नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाष, चुना एवं कार्बनिक तत्वों की कमी पायी जाती है।
5)लैटेराइट मिट्टी चाय एवं कॉॅफी फसल के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है।
6)भारत में लैटेराइट मिट्टी असम, कर्नाटक एवं तमिलनाडु राज्य में अधिक मात्रा में पाये जाते है।
7)यह मिट्टी पहाड़ी एवं पठारी क्षेत्र में पाये जाते है।
8)यह मिट्टी काजू फसल के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है।
9)इसमें लौह अॉक्साइड एवं अल्यूमिनियम ऑक्साइड की मात्रा अधिक होती है।
10) इस मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटास एवं चूना की कमी होती है।
11)इस मिट्टी की भी रंग लाल होती है।
12 जब वर्षा होती है तब इस मिट्टी से चूना-पत्थर बहकर अलग हो जाती है, जिसके कारण यह मिट्टी सुखने पर लोहे के समान कड़ा हो जाती है।
13) सबसे ज्यादा केरल में पाई जाती है
पर्वतीय मिट्टी
1)पर्वतीय मिट्टी में कंकड़ एवं पत्थर की मात्रा अधिक होती है।2) पर्वतीय मिट्टी में भी पोटाश, फास्फोरस एवं चूने की कमी होती है।
3)पहाड़ी क्षेत्र में खास करके बागबानी कृषि होती है।
4) पहाड़ी क्षेत्र में ही झूम खेती होती है।
5) झूम खेती सबसे ज्यादा नागालैंड में की जाती है।
6) पर्वतीय क्षेत्र में सबसे ज्यादा गरम मसाले की खेती की जाती है।
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मिट्टी क्या है इस लेख का समापन
दोस्तों आपने यह लेख मिट्टी के अच्छे से पढ़ा इसमें मैंने आपको मिट्टी के प्रमुख प्रकारों के बारे में बताया था ।और उनको पॉइंट के द्वारा अच्छे से समझाने की कोशिश की है यदि आपको यह पोस्ट पसंद आई हो तो नीचे कमेंट अवश्य करें, और अपने दोस्तों को भी शेयर कर सकते हैं धन्यवाद।