आज का यह लेख मुख्य रूप से विद्युत मोटर (electric motor) एवं विद्युत जनित्र (electric generator) से संबंधित है जिसे इनके बारे में बताया कि ये क्या है किसे कहते हैं एवं इनके सिद्धांत के साथ साथ कार्यविधि भी लिखी है। इंग्लिश में (Write the principle procedure of what is called electric motor and electric generator in hindi)
यह एक विद्युतयांत्रिक मशीन है, जो कि विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलती है। यानिकि इसे उपयुक्त विद्युत-स्रोत से जोड़ने पर यह घूर्णन करने लगती हैं, जिससे इससे कनेक्टेड सभी मशीन अथवा तंत्र भी साथ साथ घूर्णन करने लगते है। यानी यह विद्युत जनित्र का उल्टा काम करती है, जो यांत्रिक ऊर्जा लेकर विद्युत ऊर्जा पैदा करता है। कुछ मोटरें भिन्न भिन्न परिस्थितियों में मोटर अथवा जनित्र दोनो की तरह भी काम कर सकती हैं।
1] यह विद्युत् ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिणत करने के साधन हैं।
2] यह औद्योगिक प्रगति का महत्वपूर्ण सूचक है।
3] यह एक बड़ी सरल तथा बड़ी उपयोगी मशीन है।
4] उद्योगों में शायद ही कोई ऐसा प्रयोजन हो जिसके लिए उपयुक्त इसका चयन न किया जा सके।
यह एक ऐसी युक्ति है, जो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलने के काम आती है। इसके लिये यह सामान्यतः माईकल फैराडे के विद्युत-चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त का प्रयोग करती है। विद्युत मोटर, इसके विपरीत विद्युत-ऊर्जा को यांत्रिक उर्जा में बदलने का कार्य करती है। विद्युत-मोटर एवं विद्युत-जनित्र में बहुत कुछ समान होता है एवं कई बार एक ही मशीन बिना किसी बदलाव के दोनों की तरह कार्य कर सकती है।
1] विद्युत जनित्र, विद्युत आवेश को एक वाह्य परिपथ से होकर प्रवाहित होने के लिये वाध्य करता है। किन्तु यह आवेश का सृजन नहीं करता।
2] यह जल-पम्प की तरह है, जो केवल जल को प्रवाहित करने का कार्य करती है, जल पैदा नहीं करती।
3] विद्युत जनित्र द्वारा विद्युत उत्पादन के लिये आवश्यक है कि जनित्र के रोटर को किसी बाहरी शक्ति-स्रित की सहायता से घुमाया जाय।
4] इसके लिये प्रत्यागामी इंजन, टर्बाइन, वाष्प-इंजन, किसी टर्बाइन या जल-चक्र पर गिरते हुए जल, किसी अन्तर्दहन इंजन, पवन टर्बाइन या आदमी अथवा जानवर की शक्ति का प्रयोग किया जा सकता है।
5] किसी भी स्रोत से की गई यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करना संभव है।
6]यह ऊर्जा, जलप्रपात के गिरते हुए पानी से अथवा कोयला जलाकर उत्पन्न की गई ऊष्मा द्वारा भाप से, अथवा किसी पेट्रोल अथवा डीज़ल इंजन से प्राप्त की जा सकती है।
7] ऊर्जा के नए-नए स्रोत उपयोग में लाए जा रहे हैं। सामान्यतः पिछले कुछ वर्षों में परमाणुशक्ति का प्रयोग भी विद्युतशक्ति के लिए बड़े पैमाने पर किया गया है.
8] बहुत से देशों में परमाणुशक्ति द्वारा संचालित बिजलीघर बनाए गए हैं।
9] ज्वार भाटों एवं ज्वालामुखियों में निहित असीम ऊर्जा का उपयोग भी विद्युत्शक्ति के जनन के लिए किया गया है।
10] विद्युत उत्पादन के लिए इन सब शक्ति साधनों का उपयोग, विशालकाय विद्युत् जनित्रों द्वारा ही हाता है, जो सामान्यतः फैराडे के चुंबकीय क्षेत्र में घूमते हुए चालक पर वेल्टता प्रेरण सिद्धांत पर कार्य करता है।
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यह एक विद्युतयांत्रिक मशीन है, जो कि विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलती है। यानिकि इसे उपयुक्त विद्युत-स्रोत से जोड़ने पर यह घूर्णन करने लगती हैं, जिससे इससे कनेक्टेड सभी मशीन अथवा तंत्र भी साथ साथ घूर्णन करने लगते है। यानी यह विद्युत जनित्र का उल्टा काम करती है, जो यांत्रिक ऊर्जा लेकर विद्युत ऊर्जा पैदा करता है। कुछ मोटरें भिन्न भिन्न परिस्थितियों में मोटर अथवा जनित्र दोनो की तरह भी काम कर सकती हैं।
1] यह विद्युत् ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिणत करने के साधन हैं।
2] यह औद्योगिक प्रगति का महत्वपूर्ण सूचक है।
3] यह एक बड़ी सरल तथा बड़ी उपयोगी मशीन है।
4] उद्योगों में शायद ही कोई ऐसा प्रयोजन हो जिसके लिए उपयुक्त इसका चयन न किया जा सके।
यह एक ऐसी युक्ति है, जो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलने के काम आती है। इसके लिये यह सामान्यतः माईकल फैराडे के विद्युत-चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त का प्रयोग करती है। विद्युत मोटर, इसके विपरीत विद्युत-ऊर्जा को यांत्रिक उर्जा में बदलने का कार्य करती है। विद्युत-मोटर एवं विद्युत-जनित्र में बहुत कुछ समान होता है एवं कई बार एक ही मशीन बिना किसी बदलाव के दोनों की तरह कार्य कर सकती है।
1] विद्युत जनित्र, विद्युत आवेश को एक वाह्य परिपथ से होकर प्रवाहित होने के लिये वाध्य करता है। किन्तु यह आवेश का सृजन नहीं करता।
2] यह जल-पम्प की तरह है, जो केवल जल को प्रवाहित करने का कार्य करती है, जल पैदा नहीं करती।
3] विद्युत जनित्र द्वारा विद्युत उत्पादन के लिये आवश्यक है कि जनित्र के रोटर को किसी बाहरी शक्ति-स्रित की सहायता से घुमाया जाय।
4] इसके लिये प्रत्यागामी इंजन, टर्बाइन, वाष्प-इंजन, किसी टर्बाइन या जल-चक्र पर गिरते हुए जल, किसी अन्तर्दहन इंजन, पवन टर्बाइन या आदमी अथवा जानवर की शक्ति का प्रयोग किया जा सकता है।
5] किसी भी स्रोत से की गई यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करना संभव है।
6]यह ऊर्जा, जलप्रपात के गिरते हुए पानी से अथवा कोयला जलाकर उत्पन्न की गई ऊष्मा द्वारा भाप से, अथवा किसी पेट्रोल अथवा डीज़ल इंजन से प्राप्त की जा सकती है।
7] ऊर्जा के नए-नए स्रोत उपयोग में लाए जा रहे हैं। सामान्यतः पिछले कुछ वर्षों में परमाणुशक्ति का प्रयोग भी विद्युतशक्ति के लिए बड़े पैमाने पर किया गया है.
8] बहुत से देशों में परमाणुशक्ति द्वारा संचालित बिजलीघर बनाए गए हैं।
9] ज्वार भाटों एवं ज्वालामुखियों में निहित असीम ऊर्जा का उपयोग भी विद्युत्शक्ति के जनन के लिए किया गया है।
10] विद्युत उत्पादन के लिए इन सब शक्ति साधनों का उपयोग, विशालकाय विद्युत् जनित्रों द्वारा ही हाता है, जो सामान्यतः फैराडे के चुंबकीय क्षेत्र में घूमते हुए चालक पर वेल्टता प्रेरण सिद्धांत पर कार्य करता है।
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