मानव किडनी का चित्र । इस की संरचना । किडनी के कार्य । वजन कितना होता है । शरीर में यह कहां होती है
दोस्तो आज के इस लेख में मैं आपके लिए मानव किडनी का चित्र, इसकी संरचना, कार्य, वजन कितना होता है और शरीर में यह कहां होती है यह सब इस लेख में मैंने सब कुछ नीचे बताया हूं इससे संबंधित प्रश्न परीक्षा में पूछे जाते हैं और वे सभी इस लेख में शामिल है।
किडनी के बारे में
किडनी एक मानव अंग हैं, जिनका प्रमुख कार्य मूत्र उत्पादन (रक्त शोधन कर) करना है। किडनी बहुत से वर्टिब्रेट पशुओं में मिलते हैं। ये मूत्र-प्रणाली का एक अंग होती हैं। किडनी के द्वारा इलेक्त्रोलाइट, क्षार अम्ल संतुलन और रक्तचाप का निर्धारण होता है। इनका मल स्वरुप मूत्र कहलाता है। किडनी में मुख्य रूप से यूरिया और अमोनिया होते हैं।
किडनी एक युग्मित अंग हैं, जो कई कार्य करते हैं। ये अनेक प्रकार के पशुओं में पाये जाते हैं, जिनमें कशेरुकी व कुछ अकशेरुकी जीव शामिल हैं। किडनी हमारी मूत्र-प्रणाली का एक आवश्यक भाग हैं।
मानव किडनी की संरचना
किडनी मानव शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। किडनी की खराबी से किसी गंभीर बीमारी का होना या मौत का कारण भी किडनी हो सकती है।यह एक सुपर कंप्यूटर के जैसी होती है क्योंकि किडनी की रचना बड़ी अटपटी है और उसके कार्य अत्यंत जटिल हैं। किडनी के दो प्रमुख कार्य हैं: हानिकारक विषैले कचरे और अपशिष्ट उत्पादों को शरीर से बाहर करना और शरीर में जल, तरल पदार्थ, खनिजों नियमन करना है।
किडनी हमारे शरीर का खून साफ कर पेशाब बनाती है। शरीर से पेशाब निकालने का कार्य मूत्रवाहिनी , मूत्राशय और मूत्रनलिका द्वारा होता है।
स्त्री और पुरुष दोनों के शरीर में सामान्यत: दो दो किडनी होती है।
किडनी पेट के अंदर, पीछे के हिस्से में, रीढ़ की हड्डी के दोनों तरफ , छाती की पसलियों के सुरक्षित तरीके से स्थित होती है ।
किडनी, पेट के भीतरी भाग में स्थित होती हैं जिससे वे सामान्य बाहर से स्पर्श करने पर महसूस नहीं होती है।
किडनी का आकर के एक जोड़ी अंग हैं। वयस्कों में एक किडनी लगभग 10 सें.मी. लम्बी, 6 सें.मी. चौडी और 4 सें.मी. मोटी होती है। मानव की प्रत्येक किडनी का वजन लगभग 150 - 170 ग्रा. होता है।
किडनी द्वारा बनाए गये पेशाब को मूत्राशय तक पहुँचानेवाली नली को मूत्रवाहिनी कहते हैं। यह सामान्य रूप से 25 सें.मी. लम्बी होती है और विशेष प्रकार की लचीली मांसपेशियों से बनी होती है।
मूत्राशय पेट के निचले हिस्से में सामने की तरफ स्थित एक स्नायु की थैली है, जिसमें पेशाब जमा होता है।
पुरुष और स्त्री दोनों में किडनी की संरचना, स्थान और कार्यप्रणाली एक सामान ही होती है।
वयस्क व्यक्ति के मूत्राशय में 400 से 500 मि.ली. पेशाब एकत्रित हो सकता है। जब मूत्राशय की क्षमता के करीब पेशाब भर जाता है। तब व्यक्ति को पेशाब त्याग करने की तीव्र इच्छा होती है।
मूत्रनलिका द्वारा पेशाब शरीर से बाहर किया जाता है। महिलाओं में पुरुषों की तुलना में मूत्रमार्ग छोटा होता है किन्तु पुरुषों में मार्ग लम्बा होता है।
किडनी शरीर में अनावश्यक द्रव या पदार्थों को पेशाब के द्वारा दूर कर खून का शुद्धीकरण करती है। और शरीर में क्षार एवं अम्ल का संतुलन कर खून में इनकी उचित मात्रा बनाए रखती है। इस तरह किडनी शरीर को स्वच्छ एवं स्वस्थ रखती है।
मानव किडनी के मुख्य कार्य
किडनी के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:
1. खून का शुद्धीकरण करना
किडनी निरंतर कार्यरत रहकर शरीर में रक्त खून के सभी अनावश्यक जहरीले पदार्थों को पेशाब द्वारा बाहर निकालती है।
2. अपशिष्ट उत्पादों को छानकर बाहर निकलना
अपशिष्ट उत्पादों को छानकर रक्त की शुद्धि करना ही किडनी का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। हमाने जो भोजन लिया जाता है उसमें प्रोटीन होता है। यह प्रोटीन शरीर को आरोग्य रखने और शरीर के विकास के लिए आवश्यक है। प्रोटीन का शरीर द्वारा उपयोग किया जाता है किन्तु इस प्रक्रिया में कुछ अपशिष्ट पदार्थों का उत्पादन होता है। इन सभी अपशिष्ट पदार्थों का संचय से हमारे शरीर के अंदर जहर बन सकता है। हमारी किडनी, रक्त से विषाक्त अपशिष्ट उत्पादों को छानकर उसे शुद्ध करती हैं। ये विषाक्त पदार्थ बाद में पेशाब से विसर्जित हो जाते हैं।
3. हमारे शरीर में पानी का संतुलन बनाए रखना
किडनी शरीर के लिए जरूरी पानी की मात्रा को बराबर रखते हुए अधिक जमा होने वाले पानी को पेशाब द्वारा बहार निकाल देती है।
जब किडनी ख़राब हो जाती हैं । तो वे इस अतिरिक्त पानी को शरीर से बाहर नहीं निकल पाती हैं।इससे शरीर में अतिरिक्त पानी एकत्रित होने के कारण शरीर में सूजन हो जाती है।
4. शरीर में अम्ल और क्षार पदार्थो का संतुलन बनाए रखना
किडनी शरीर में सोडियम, मैग्नेशियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम, क्लोराइड, बाइकार्बोनेट की मात्रा सही रूप में रखने का कार्य करती है। उपरोक्त पदार्थ ही शरीर में अम्ल एवं क्षार की मात्रा के लिए जिम्मेदार हैं। सोडियम की मात्रा बढ़ने या घटने से दिमाग पर और पोटैशियम की मात्रा बढ़ने या कम होने से हृदय और स्नायु की गतिविधियों पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।
कैलशियम और फॉस्फोरस को उचित रखना और उनके सही स्तर को सामान्य रखना । हमारे शरीर के लिए, स्वस्थ हडिड्यों और स्वस्थ दांतों के लिए महत्वपूर्ण होता है।
5. खून के दबाव पर नियंत्रण करने का काम
किडनी कई हार्मोन बनाती है जैसे एंजियोटेन्सीन, प्रोस्टाग्लेन्डिन, एल्डोस्टोरोन आदि। इन हार्मोनों की सहायता से शरीर में पानी की मात्रा और अम्लों एवं क्षारों के संतुलन को सही रूप में बनाए रखती है। इस संतुलन की मदद से किडनी शरीर में खून के दबाव को सामान्य बनाये रखना इसका मुख्य कार्य है।किडनी की खराबी होने पर होर्मोन के उत्पादन , नमक और पानी के संतुलन में गड़बड़ी से उच्च रक्तचाप हो सकता है।
6. रक्त के कणों के उत्पादन में सहायता
खून में उपस्थित लाल रक्त कणों का उत्पादन एरिथ्रोपोएटीन की मदद से अस्थिमज्जा में होता है। एरिथ्रोपोएटीन किडनी में बनता है। किडनी के फेल होने की स्थिति में यह पदार्थ कम या बिल्कुल ही बनना बंद हो जाता है, जिससे लाल रक्त कणों का बनना कम हो जाता है और खून में फीकापन आ जाता है। जिसे खून की कमी का रोग या एनीमिया कहते हैं।
7. हड्डियों की मजबूती में सहायक
स्वस्थ हड्डियों को बनाए रखने के लिए किडनी, विटामिन डी को सक्रिय रूप में परिवर्तित करती है। जो भोजन से कैल्सियम के अवशोषण, हडिड्यों और दांतों के विकास और हडिड्यों को मजबूत और स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है।
हा तो दोस्तो आज मैंने ये मानव किडनी का चित्र, इसकी संरचना, किडनी का कार्य, किडनी का वजन कितना होता है यह सब कुछ इस लेख में बताया ।यदि यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो कृपया नीचे कमेंट अवश्य करें और अपने दोस्तों को शेयर भी करें।